दरभंगा : अब किसी भी स्कूल के लिए सीबीएसइ से मान्यता के लिए केवल भवन व इंफ्रास्ट्रक्चर ही काफी नहीं होगा. इसके लिए डीइओ कार्यालय से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है. बिना अनुमति के किसी भी नए स्कूल को अब मान्यता नहीं मिलेगी. डीइओ सुधीर कुमार झा ने बताया कि मान्यता के मामले में फर्जीवाड़ा के कई मामले सामने आने के बाद बोर्ड ने प्रक्रिया में बदलाव किया है. सीबीएसई की एफिलिएशन कमेटी व गवर्निंग बॉडी ने इस बदलाव को मंजूरी दी है.
डीइओ श्री झा ने बताया कि जनवरी 2017 के बाद मान्यता के लिए मिलने वाले आवेदनों में नई प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है. इस माध्यम से बोर्ड उन स्कूलों के बारे में भी आसानी से जानकारी हासिल कर सकेगा, जो गलत इंफ्रास्ट्रक्चर के सहारे मान्यता लेने का प्रयास करते हैं. डीइओ श्री झा ने बताया कि अब तक जिले के पांच स्कूलों का निरीक्षण किया जा चुका है, ताकि किसी तरह की गड़बड़ी की संभावना नहीं रहे. विदित हो कि सीबीएसइ से मान्यता लेने के लिए अब तक स्कूल प्रबंधन को स्थानीय स्तर पर डीइओ से अनुमति की जरूरत नहीं थी. केवल राज्य सरकार से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेना होता था.
इसके लिए किसी तरह का प्रतिबंध नहीं था कि किस क्लास तक के लिए स्वीकृति ली गई है. ऐसे मामले सामने आये जिसमें पहली से आठवीं तक के लिए बिहार सरकार से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेने के बाद सीबीएसई से 10वीं तक की मान्यता ले ली गयी. नए प्रावधान के अनुसार हाईस्कूल व इंटर की मान्यता के लिए जूनियर स्कूलों के पास शिक्षा विभाग का औपचारिक पत्र होना अनिवार्य कर दिया गया है. डीइओ के पत्र के आधार पर ही स्कूल की मान्यता की सीमा तय की जाएगी.