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एक ऑक्सीजन सिलेंडर के भरोसे 70 मरीज

बदइंतजामी. वार्डों में पाइपलाइन का इंतजाम नहीं बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में ऑक्सीजन सप्लाई ठप होने से तकरीबन 33 बच्चों की मौत के बाद पूरे देश के अस्पतालों की व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं. हॉस्पिटलों की तनिक सी लापरवाही किस कदर हादसे को अंजाम दे सकती है, उसकी बानगी जिले से सटे गोरखपुर में […]

बदइंतजामी. वार्डों में पाइपलाइन का इंतजाम नहीं

बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में ऑक्सीजन सप्लाई ठप होने से तकरीबन 33 बच्चों की मौत के बाद पूरे देश के अस्पतालों की व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं. हॉस्पिटलों की तनिक सी लापरवाही किस कदर हादसे को अंजाम दे सकती है, उसकी बानगी जिले से सटे गोरखपुर में दिख चुकी है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या हमारे शहर के हॉस्पिटल ऐसी चुनौतियों से निबटने को तैयार हैं.
बेतिया : हाल ही के दिनों में आक्सीजन के अभाव में कमलनाथ नगर की कलीजन खातुन, जबदौल की प्रभावती समेत करीब आधा दर्जन मरीजों की मौत के बाद भी जीएमसीएच सह एमजेके सदर हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं सुधर सकी है. वार्डों में बेड तक पाइपलाइन के जरिए ऑक्सीजन की सप्लाई की व्यवस्था तो दूर यहां सिलेंडर भी पर्याप्त मात्रा में नहीं है. 70 बेड के वार्ड में मरीजों की सांसे नौ लीटर के एक सिलेंडर पर टिकी है. ऐसे में बड़ी अनहोनी पर ऑक्सीजन देने में इस हॉस्पिटल की सांसे फूलनी तय हैं.
गोरखपुर मेडिकल कॉलेज की घटना के बाद ‘प्रभात खबर’ टीम जब बेतिया सदर हॉस्पिटल में ऑक्सीजन व अन्य व्यवस्थाओं का जायजा लेने पहुंची तो हालात चौकाने वाले निकले. 70 बेड के मेल सर्जिकल वार्ड में भरती तो 50 मरीज थे, लेकिन वार्ड में महज एक ही ऑक्सीजन सिलेंडर दिखा. पूछने पर कर्मियों ने बताया कि मरीज की तबियत बिगड़ने की स्थिति में इस सिलेंडर को बारी-बारी मरीजों को लगायी जाती है. कुछ ऐसा ही हाल मेल मेडिकल, महिला वार्ड, हलवे वार्ड में दिखी. यहां भी बेड की अपेक्षा ऑक्सीजन सिलेंडर कम दिखे. कमोवेश प्रसव वार्ड में भी ऑक्सीजन सिलेंडर की स्थिति यही बतायी गयी. वह भी तब, जब प्रसव के दौरान प्रसूताओं को ऑक्सीजन की बेहद जरूरत होती है. हालांकि हॉस्पिटल प्रशासन की ओर से ऑक्सीजन की कोई भी कमी होने से इनकार किया गया. लेकिन,
कर्मियों ने बताया कि कोई बड़ी दुर्घटना, हादसा या अनहोनी होने की स्थिति में एक साथ जब दर्जनों मरीज भरती होने आते हैं तो ऑक्सीजन को लेकर दिक्कत शुरु हो जाती है.
हर दस में से छह मरीज कर देते हैं रेफर : हॉस्पिटल में ऑक्सीजन व अन्य संसाधनों की कमी ही है कि यहां के डॉक्टर तनिक भी जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं. मेडिकल कॉलेज के आने वाले हर 10 सीरियस मरीजों में से 6 को यहां से पीएमसीएच पटना के लिए रेफर कर दिया जाता है. इसमें से भी आधे मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. ऐसा नहीं है कि हॉस्पिटल में आक्सीजन समेत अन्य संसाधनों की कमी से हॉस्पिटल प्रशासन अनभिज्ञ है, बल्कि इसे जानने के बाद भी वह चुप है. बीते दिनों हॉस्पिटल में दौरे पर आयी एमसीआइ टीम के सामने भी डॉक्टरों ने इन कमियों से रूबरू कराया था.
500 बेड के हॉस्पिटल में 39 सिलेंडर, कइयों की हो चुकी है मौत : यूं तो बेतिया मेडिकल कॉलेज 500 बेड का है. ऐसे में पाइप लाइन की व्यवस्था नहीं होने की दशा में नियमानुसार हर बेड पर एक सिलेंडर होनी चाहिए. लेकिन यहां 500 बेड के हॉस्पिटल में महज 39 ही ऑक्सीजन सिलेंडर है. नतीजा आये दिन हॉस्पिटल में मौत होने पर ऑक्सीजन के अभाव के मामले सामने आते हैं. बावजूद इसके व्यवस्था नहीं सुधर रही है.
महज आइसीयू में पाइपलाइन की व्यवस्था : चार बेड के आइसीयू में ऑक्सीजन पाइप लाइन की व्यवस्था है. इसके लिए छह सिलेंडर आरक्षित रखा गया है. इसके अलावे दो छोटे आक्सीजन सिलेंडर भी आइसीयू में मौजूद है.
जीएमसीएच सह एमजेके अस्पताल में ऑक्सीजन का नहीं है पर्याप्त इंतजाम, हाल ही में ऑक्सीजन के अभाव में हुई थी मरीज की मौत
हॉस्पिटल में हैं महज 39 ऑक्सीजन सिलेंडर
फैक्ट फाइल
500 बेड का है एमजेके सदर अस्पताल
800 के करीब रोजाना ओपीडी में आते हैं मरीज
150 मरीज औसत हर रोज होते हैं भरती
विपरीत हालात के लिए रखे जाते हैं 10 सिलेंडर
हॉस्पिटल में मौजूद ऑक्सीजन सिलेंडर से ही कार्य चलाया जा रहा है. जो भी सिलेंडर खाली होता है, उसे तुरंत भरे सिलेंडर से बदलवा दिया जाता है. स्टॉक में हमेशा विपरीत हालात के लिए 10 सिलेंडर रखे जाते हैं.
डा. एचएन झा, अस्पताल अधीक्षक एमजेके सदर अस्पताल बेतिया

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