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1200 फाइल दबाये बैठे हैं अधिकारी

लापरवाही . जिले में करीब 10 हजार मामले विभिन्न कारणों से हैं लंबित जिले के विभिन्न थानों में 10 हजार मामले लंबित हैं. इनकी पड़ताल नहीं होने से जहां एक ओर लोग न्याय के लिए भटक रहे हैं, वहीं विभाग पर बोझ बढ़ता जा रहा है. इन मामलों में से करीब 12 सौ फाइल अधिकारियों […]

लापरवाही . जिले में करीब 10 हजार मामले विभिन्न कारणों से हैं लंबित

जिले के विभिन्न थानों में 10 हजार मामले लंबित हैं. इनकी पड़ताल नहीं होने से जहां एक ओर लोग न्याय के लिए भटक रहे हैं, वहीं विभाग पर बोझ बढ़ता जा रहा है. इन मामलों में से करीब 12 सौ फाइल अधिकारियों ने दबा रखी है.
तबादला व रिटायरमेंट के बाद भी जांच अधिकारियों ने नहीं सौंपी फाइल
मोतिहारी : पूर्वी चंपारण में दस हजार मामले पुलिस जांच में लंबित है, जिनमें से करीब 12 सौ मामले ऐसे हैं, जिनकी फाइल जांच अधिकारियों ने दबा रखी है. ये फाइलें उनके पास है, जिनका तबादला हो चुका है.
कुछ फाइलें रिटायर पुलिसकर्मियों के पास है. वैसे लोग न तो फाइल का प्रभार सौंप रहें, न ही विभागीय स्तर पर उनसे प्रभार लेने का कोई ठोस उपाय किया जा रहा है. इस बेपरवाही के कारण जिले की दर्जनों चर्चित घटनाओं का अनुसंधान प्रभावित है. पीड़ित पक्ष को न्याय नहीं मिल रहा. वहीं, विभाग पर भी लोड बढ़ते जा रहा है.
विभागीय रिकॉर्ड बता रहा है कि फिलहाल जिले में 9420 मामले लंबित चल रहे हैं. इनमें एसआर (विशेष) कांडों की संख्या 5728 और ननएसआर (अविशेष) कांडों की संख्या 3692 के आसपास है. एसआर की श्रेणी में हत्या, लूट, डकैती, रंगदारी व अपहरण जैसी घटनाएं आती हैं, जबकि ननएसआर में मारपीट, गाली गलौज, साधारण चोरी जैसे मामले शामिल हैं. प्रत्येक क्राइम मीटिंग में समीक्षा होती है, कांडों के निष्पादन में तेजी लाने का निर्देश दिया जाता है.
तबादला व सेवानिवृत्त पुलिस पदाधिकारियों से फाइल वापस लेने पर के लिए कड़ी चेतावनी दी जाती है, लेकिन विभागीय रिकॉर्ड इस बात का गवाह है कि क्राइम मीटिंग में एसपी के निर्देशों का पालन सिर्फ केस डिस्पोजल तक हो रहा है. उसकी गति भी काफी धीमी है. जो फाइल जांच अधिकारियों ने दबा रखी हैं, वह पिछले माह भी उनके जमाखाता में था. इस महीना में भी उनके ही पास है.
फाइल नहीं सौंपने पर होगी कार्रवाई: लंबित मामलों के निष्पादन में तेजी लाने का निर्देश अनुसंधानकर्ताओं को दिया गया है. तबादला व रिटायर कर चुके पुलिसकर्मियों के पास कुछ फाइलें हैं. उनको प्रभार सौंपने का आदेश दिया गया है. अगर फाइल नहीं सौपतें है तो उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
जितेंद्र राणा, एसपी
दर्जनों चर्चित घटनाओं की जांच प्रभावित
बन गये थानाध्यक्ष, नहीं सौंपी फाइल
नगर थाना में सब इंस्पेक्टर थे तो उनको अनुसंधान के लिए फाइलें सौंपी गयी थी. आज थानाध्यक्ष बन गये हैं, फिर भी नगर थाना की कई फाइलें उनके पास पेंडिंग दिखायी जा रही है. संग्रामपुर थानाध्यक्ष पंकज ठाकुर, केसरिया के थानाध्यक्ष जितेंद्र देव दीपक, डुमरियाघाट के तत्कालीन थानाध्यक्ष मिथिलेश कुमार पांडेय के पास नगर थाना के रिकॉर्ड में फाइल पेंटिंग है.
पीड़ित पक्ष को नहीं मिल रहा इंसाफ तो विभाग पर भी बढ़ रहा है लोड
क्राइम मीटिंग में पुलिस कप्तान के दिये निर्देशों का भी नहीं होता पालन
लंबित कांडों की लिस्ट पर एक नजर
नाम एसआर ननएसआर
नगर थाना 686 635
मुफस्सिल अंचल 962 954
छतौनी थाना 170 73
चकिया अंचल 262 111
चकिया थाना 216 87
अरेराज अंचल 502 319
गोविंदगंज थाना 58 20
केसरिया अंचल 630 536
मधुबन अंचल 562 274
ढाका अंचल 221 116
छौड़ादानो अंचल 451 158
सुगौली अंचल 492 141
रक्सौल थाना 175 62
पकड़ीदयाल थाना 231 160
ढाका थाना 110 46
तीन रिटायर्ड दारोगा के पास 39 फाइल
नगर थाना की 39 फाइलें तीन रिटायर दारोगाओं के पास है. अधिकांश फाइलें विशेष कांड के हैं. रिटायर दारोगा केडी यादव के पास 24 फाइलें हैं. उनके पास नगर थाना के मालखाना का भी प्रभार है. श्री यादव वर्ष 2013 में रिटायर हो गये. वहीं, पीके ठाकुर के पास नौ व सफदर खां के पास छह फाइलें हैं. श्री ठाकुर नगर थाना से तबादला होकर बेतिया गया और वहीं से रिटायर कर गये. जबकि सफदर खां केसरिया थाना से रिटायर किये, लेकिन उनसे फाइल का प्रभार आज तक नहीं लिया गया.

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