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मधुबन में सैलून संचालक की हत्या, आंखें फोड़ी

मधुबन (पू. चंपारण) : थाना क्षेत्र पकड़िया बाजार स्थित पोखर में अपराधियों ने गुरुवार की रात्रि सैलून संचालक विनोद ठाकुर (35) की चाकू से गोद कर हत्या कर दी. उसकी दोनों आंखों फोड़ दी गयी हैं. अपराधियों ने शव को पोखर में फेंक दिया था. वह मरुआडीह माधोपुर गांव के शोषण ठाकुर का पुत्र था. […]

मधुबन (पू. चंपारण) : थाना क्षेत्र पकड़िया बाजार स्थित पोखर में अपराधियों ने गुरुवार की रात्रि सैलून संचालक विनोद ठाकुर (35) की चाकू से गोद कर हत्या कर दी. उसकी दोनों आंखों फोड़ दी गयी हैं. अपराधियों ने शव को पोखर में फेंक दिया था. वह मरुआडीह माधोपुर गांव के शोषण ठाकुर का पुत्र था.
शुक्रवार की अहले सुबह ग्रामीणों ने पोखर में शव देख पुिलस को सूचना दी. सूचना पर दारोगा सूरज प्रसाद व रघुनंदन राम पहुंचे. ग्रामीणों ने पुिलस को शव उठाने से मना कर दिया. डीएसपी विजय कुमार के पहुंचने पर ग्रामीणों ने शव उठाने दिया. इसके शव को पोस्टमार्टम के लिए मोतिहारी सदर अस्पताल भेजा गया.
पुिलस ने उसके पास से उसका सेलफोन, खैनी का डिब्बा, बच्चों का चॉकलेट व कफ सीरफ की एक शीशी बरामद की है.ग्रामीणों के अनुसार विनोद मधुबन मलंग चौक स्थित अपना सैलून बंदकर वीरेंद्र सिंह के साथ घर के लिए चला था. देर रात तक घर नहीं पहुंचने पर परिजनों ने रात भर खोजबीन की थी .परिजनों से रात्रि 11 बजे तकशेष पेज 15 पर उसकी पत्नी ममता देवी से मोबाइल पर बात हुई. विनोद का मोबाइल बंद हो जाने पर परिजन सशंकित हो गये.
सुबह सूचना मिली कि विनोद का शव पोखरा में तैर रहा है. पोखरा के बगल से ही पक्की सड़क उसके गांव की तरफ जाती है, जहां से वह प्रतिदिन गुजरता था. लोगों ने बताया कि सात बजे प्रतिदिन की भांति वह दो-तीन लोगों के साथ पकड़िया बाजार में ताड़ी पीता था. उसके बाद ही घर जाता था.
घटना के बाद उसके परिवार में कोहराम मच गया है. डीएसपी विजय कुमार ने बताया कि परिजन से पूछताछ की गयी है.
अभी कुछ पता नहीं चल पा रहा है. वह जिस ग्रामीण के साथ देर शाम तक देखा गया है, वह भी अपने घर पर नहीं है. वैज्ञानिक अनुसंधान किया जा रहा है. बहुत जल्द मामले का खुलासा कर लिया जायेगा. िवनोद की हत्या क्यों की गयी. इसके बारे में पता नहीं चल सका है.
बच्चों को चाकलेट नहीं दे सका िवनोद. सैलून संचालक गुरुवार को जब दुकान बंद करके घर िनकला, तो उसने िदन भर की कमाई से बच्चों के िलए चाकलेट खरीदी थी, लेिकन नीयति को कुछ और ही मंजूर था, जब उसका शव िमला, तो उसकी जेब से बच्चों की चाकलेट िनकली और खांसी की वो दवा भी, िजसे वो परिजनों के िलए ले जा रहा था. जिस व्यक्ति ने िवनोद के जेब से चाकलेट िनकलती देखा, वो खुद को भावुक होने से नहीं रोक सका.

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