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सब्जी की खेती से है शोभा टोला की शोभा

रामगढ़वा प्रखंड के शोभा टोला गांव के किसान सब्जी की खेती से अपने जीवन स्तर को काफी ऊं चाई पर ले जा रहे हैं. गांव के सौ किसान छोटे पैमाने पर सब्जी की खेती कर अच्छी बचत कर रहे हैं. सभी किसानों के घर पक्का के हैं और उनके बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर रहे […]

रामगढ़वा प्रखंड के शोभा टोला गांव के किसान सब्जी की खेती से अपने जीवन स्तर को काफी ऊं चाई पर ले जा रहे हैं. गांव के सौ किसान छोटे पैमाने पर सब्जी की खेती कर अच्छी बचत कर रहे हैं. सभी किसानों के घर पक्का के हैं और उनके बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. हालांकि ये किसान कृषि बीमा समेत सभी तरह के सरकारी योजनाओं से अनजान हैं और अपनी मेहनत से अपनी किस्मत लिख रहे है.

रक्सौल : रामगढ़वा प्रखंड के आमोदेई पंचायत का एक ऐसा गांव है, जहां शोभा टोला के सौ परिवारों को जीने का जरिया सब्जी की खेती है. इस गांव के सभी किसानों के पास खेती के लिए बहुत कम जमीन है.

लेकिन यहां के किसान कट्ठा-दो कट्ठा जमीन सब्जी की खेती कर न सिर्फ अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं, बल्कि विकास के रास्ते पर लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं. गांव में लगभग सभी किसानों को अपना पक्का का मकान है.

किसी का बहुत सुंदर तो किसी का सामान्य है. इस गांव में फूस का घर देखने को नहीं मिला. गांव के एक ऐसे ही किसान हैं महादेव महतो 60 वर्ष. महादेव महतो बताते हैं कि वे बचपन से ही सब्जी की खेती करते आये हैं. विरासत में उन्हें तीन कट्ठा जमीन मिली थी.

इसमें से डेढ़ कट्ठा जमीन सब्जी की खेती लायक नहीं थी. डेढ़ कट्ठा जमीन में वे सब्जी की खेती शुरू किये. आज बीस कट्ठा जमीन खरीद चुके हैं. वहीं बीस कट्ठा जमीन बंधक भी रखे हैं. पक्का मकान बनाने के साथ-साथ परिवार के नौ सदस्यों का भरण-पोषण सब्जी की खेती पर ही है. हालांकि वे आज भी सब्जी सात कट्ठा जमीन में ही उगाते हैं.

इस साल भिंडी, खीरा, कद्दू की खेती की है. महादेव की माने तो सभी खर्च करने के बाद औसतन 10 से 15 हजार की बचत है. किसान श्रीनिवास कुशवाहा चार कट्ठा जमीन पर सब्जी की खेती किये हैं. मुख्य रूप से करेला, बोरो, कद्दू की खेती किये हैं. श्रीनिवास की एक लड़की बीए में पढ़ती है.

जबकि दो लड़का क्रमश: नौवीं व दसवीं में पढ़ते हैं. ये भी पक्का मकान बना चुके हैं. किसान रविंद्र कुशवाहा मात्र दो कट्ठा जमीन में सब्जी की खेती करते हैं और उससे ही उनका परिवार बेहतर तरीके से चलता है. इस तरह गांव के सौ किसान छोटे पैमाने पर सब्जी की खेती कर अपने घर-आंगन में खुशहाली लाये हैं. सभी किसानों की एक ही समस्या थी कि गांव के आस-पास जो जमीन है, वह धान व गेहूं के लिए बेहतर है. लेकिन धान व गेहूं से आय नहीं होती. सब्जी को ऊंचे खेत की जरूरत होती है. ऐसे में काफी कम जमीन पर सब्जी की खेती किया जाता है.

नहीं हुआ है बीमा

सरकार के कृषि बीमा से यहां के किसान बिल्कुल अनजान थे. सभी किसानों ने बताया कि उन्हें सब्जी की खेती के बीमा के संबंध में कोई जानकारी नही है. सरकार कोई नुमाइंदा इस गांव में जाकर बीमा व किसी तरह की सरकारी सुविधा के संबंध में जानकारी मुहैया नहींकराये हैं.

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