बक्सर/चक्की.
जिले में रवि फसल की बुआई अच्छी खासी हुई है. सर्दी कम पड़ने के कारण गेहूं की फसल को व्यापक नुकसान होने से किसान परेशान हैं. सर्दी के मौसम इस समय चल रहा है लेकिन इस साल ऐसा लग रहा है कि सर्दी अपने समय से पहले ही जा चुकी है. क्योंकि पिछले साल कि अपेक्षा इस साल जनवरी माह में उतनी ठंड नहीं पड़ी इसका असर सीधे तौर पर गेहूं के फसलों पर पड़ रहा है. किसानों को ऐसे में गेहूं की फसल को काफी नुकसान होने का डर सता रहा है. फरवरी में ही अप्रैल जैसी गर्मी पड़ने लगी है. प्रखंड में गेहूं, आलू, सरसों, मटर सहित अन्य सब्जियों की भी खेती होती है. तापमान बढ़ने से फसल चौपट : अचानक मौसम में आए परिवर्तन के कारण फसल का ग्रोथ जैसा होना चाहिए वैसा नहीं हो रहा है. गेहूं की फसल को अंकुरण, विकास और उपज के लिए सर्द और स्थिर तापमान की जरूरत होती है. अगर इस तरह का मौसम रहेगा तो पैदावार पर भी असर पड़ेगा. किसान रमेश ओझा ने बताया कि ठंड एवं शीत नहीं पड़ने की वजह से गेहूं के पौधों को सही तरीके से विकास नहीं हो रहा है. सर्दी नहीं पड़ने से हरदा रोग लग गया है जीससे पौधें पीले पड़ गए है. पौधे भी कमजोर हो गए हैं जिससे पैदावार में 40 पर्सेंट की कमी होने की आशंका है. फसल के विकास के लिए जरूरी है ओस: वहीं चक्की प्रंखड के गोपाल यादव ने बताया कि गेहूं की अच्छी फसल एवं सही पैदावार के लिए शीत अमृत की तरह काम करती है. उन्होंने बताया कि नवंबर माह में गेहूं की बुवाई हुई हैं. आधा फरवरी बीत चुकी है. जनवरी में ठंड नहीं पड़ने से पौधों में विकास नहीं हो रहा है. इस समय गेहूं के पौधे में बाली निकल रही है. ऐसे में गेहूं के दाने में दूध होता है इसलिए यदि तापमान सर्दी के जाने से बढ़ रहा है तो इसका असर पैदावार पर पड़ सकता है. हो सकते हैंकिसान चन्दन सिंह ने बताया कि इस सीजन की खेती मौसम की बेरुखी से चौपट हो गया है. उन्होंने बताया कि सरसों के भी फसल पर असर पड़ा है. 20 से 30 परसेंट उपज कम होने की आशंका है. इतने महंगे दर पर बीज, खाद, कीटनाशक खरीद कर खेती की जाती है. लेकिन मौसम की मार से सब पर पानी फिर रहा है. उन्होंने बताया कि पौधे का ग्रोथ जैसा होना चाहिए उस तरह से नहीं हो रहा है. पौधे में जितना तना निकलना चाहिए नहीं निकाला है. पौधे भी पीला होने लग गये हैं. ऐसी स्थिति रही तो पैदावार भी अच्छी नहीं होगी. किसानों का कहना है कि पछुआ हवा के कारण खेत की नमी बहुत जल्द ही भाग जा रही हैं. जिसकी वजह से बार-बार सिंचाई करनी पड़ रही है. एक बीघा खेत की सिंचाई करने में लगभग 14 से 15 घंटे बोरिंग चलाना पड़ रहा है. किसानों ने बताया एक बीघा गेहूं की खेती करने में करीब 12 से 13 हजार रुपए खर्च होता है. उन्होंने बताया कि पौधे पर जब शीत गिरती है तो पौधे का अच्छा ग्रोथ होता है, एवं पौधे में अधिक गुच्छे भी निकलते हैं. जिससे पैदावार अच्छी होती है एवं दाने भी पुष्ट होने से पैदावार का वजन बढ़ता है. किसानों ने बताया कि आलू, टमाटर, मटर सहित अन्य फसलों के लिए मौसम ठीक है लेकिन ठंड नहीं पड़ने से गेहूं और सरसों की फसल कमजोर हो गई हैडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है