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नीरा के लिए नि:शुल्क लाइसेंस

सुविधा. जीविका व काॅम्फेड द्वारा बनाया जायेगा क्लस्टर बक्सर : एक्साइज विभाग द्वारा नीरा बिक्री के लिए लाइसेंस की प्रक्रिया बक्सर में शुरू कर दी गयी है. इसके लिए उत्पाद विभाग बक्सर द्वारा कार्यालय में आवेदन जमा लिया जा रहा है. विभाग द्वारा निशुल्क में लाइसेंस दिया जायेगा. जिला उत्पाद अधीक्षक मनोज कुमार सिन्हा ने […]

सुविधा. जीविका व काॅम्फेड द्वारा बनाया जायेगा क्लस्टर

बक्सर : एक्साइज विभाग द्वारा नीरा बिक्री के लिए लाइसेंस की प्रक्रिया बक्सर में शुरू कर दी गयी है. इसके लिए उत्पाद विभाग बक्सर द्वारा कार्यालय में आवेदन जमा लिया जा रहा है. विभाग द्वारा निशुल्क में लाइसेंस दिया जायेगा. जिला उत्पाद अधीक्षक मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि सरकार से नोटिफिकेशन मिला है. इसके लिए निजी जमीन में ताड़ का पेड़ रहने पर टैपर (ताड़ी उतारनेवाले) को पेड़ के मालिक से एग्रीमेंट कराना होगा. यदि पेड़ सरकारी जमीन में रहा,
तो संबंधित सीओ से एग्रीमेंट करा कर विभाग में जमा करना होगा. ताड़ के पेड़ पर आधारित उद्योग ( पहले चरण) को बढ़ावा देने के लिए जिले की जीविका दीदी से उत्पादक समूह का गठन और क्लस्टर की पहचान करायी जायेगी. फिर उत्पादक समूह से नीरा का संग्रहण कराया जायेगा. जीविका और काॅॅम्फेड द्वारा क्लस्टर प्वाइंट और रूट चार्ट तैयार कर उत्पादन इकाई तक परिवहन की व्यवस्था करायी जायेगी.
दुबारा होगी पेड़ों की गिनती : जिले के विभिन्न प्रखंडों व पंचायतों में पदस्थापित कृषि समन्वयक व किसान सलाहकार अपने क्षेत्र के ताड़, खजूर व नारियल के पेड़ों की गिनती करेंगे
. इतना ही नहीं विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये विशेष प्रारूप प्रपत्र में पेड़ों की संख्या, प्रकार, लंबाई, फल लगने की ऋतु आदि का विवरण भर कर विभाग में जमा करेंगे. अधिकारियों द्वारा समीक्षा किये जाने के बाद उक्त रिपोर्ट को विभागीय वेबसाइट पर भी अपलोड किया जायेगा, ताकि किसी भी तरह की हेरफेर न हो सके और सरकार उसकी ऑनलाइन मॉनीटरिंग कर सके.
जीविका दीदी के हाथों में होगा ताड़ उत्पादों का संग्रहण : जिले में भी ताड़ और नीरा संग्रहण को लेकर विशेष पहल की जा रही है. जीविका और काॅम्फेड के माध्यम से क्लस्टर प्वाइंट और रूट चार्ट तैयार किया जायेगा, ताकि नीरा संग्रहण की प्रक्रिया आसान हो जाये. इसके लिए जीविका दीदी को ट्रेनिंग भी दी गयी है, जिसमें गुड़ बनाने की तकनीक नीरा से कैसे अन्य भोज्य पदार्थ बनाये जाते हैं इसके बारे में बताया गया.
नौ हजार के करीब हैं ताड़ व खजूर के पेड़ : जिले में नौ हजार से ज्यादा ताड़ व खजूर के पेड़ हैं. पेड़ों की गिनती एक बार की जा चुकी है. हालांकि इस बार विभाग ग्राउंड में जाकर गिनती करेगा. ताड़ के रस से गुड़ का निर्माण किया जायेगा. इसके निर्माण को लघु कुटीर उद्योग के रूप में बढ़ावा दिया जायेगा. साथ ही नीरा से तरह-तरह की मिठाइयां भी भविष्य में बनायी जायेंगी. नीरा से पेड़ा का भी निर्माण किया जायेगा.
निर्देश को ले िवभागीय तैयारियां शुरू
ये है लाइसेंस लेने की प्रक्रिया
नीरा उत्पादन के लिए लाइसेंस की प्रक्रिया बहुत ही सरल है. इसके लिए टैंपर को ताड़ के मालिक से स्टाॅप पेपर पर एग्रीमेंट करना होगा. यदि ताड़ का पेड़ निजी जमीन में है, तो जमीन मालिक से तथा सरकारी जमीन में हो तो संबंधित सीओ से एग्रीमेंट करना होगा. एग्रीमेंट के कागजात के साथ इच्छुक उत्पादक को कार्यालय से आवेदन लेकर फाॅर्म जमा करना होगा. किसी भी हालत में जमीन या पेड़ मालिक को लाइसेंस नहीं मिलेगा.
तीस दिन में मिल जायेगा लाइसेंस
नीरा उत्पादन के लिए जिले में आवश्यक विभागीय तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं. आवेदनकर्ता को विभाग से फाॅर्म लेकर एग्रीमेंट पेपर के साथ विभाग में जमा करना है. नियमानुसार तीस दिन में लाइसेंस निर्गत कर दिया जायेगा.
मनोज कुमार सिन्हा, उत्पाद अधीक्षक

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