बक्सर : पांच सौ और हजार रुपये के नोट बंद होने के बाद जिले में दवा कारोबार में अजीब हालात पैदा हो गये हैं. मेडिकल स्टोर्स दवाई के बदले में बड़े नोट ले रहे हैं. लेकिन जब ये डीलरों या बड़े कारोबारियों के पास थोक में दवाइयां खरीदने जा रहे हैं, तो वहां छोटे नोट मांगे जा रहे हैं. इसका नतीजा ये हुआ है कि हफ्तेभर में ज्यादातर मेडिकल स्टोर्स का स्टॉक खाली हो गया है. ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों के दुकानों में सिर्फ दो-तीन दिन की ही दवा बची है,
वह भी चुनिंदा. दवाइयां खत्म हो रही हैं, इसलिए कारोबार भी रोजाना दो करोड़ रुपये से घटकर महज एक करोड़ रुपये से भी कम का हो गया है. दवा के रिटेलरों का तो यहां तक कहना है कि डीलर बड़े नोट नहीं भी लें, अगर कुछ दिन तक दवाइयां उधार सप्लाइ करेंगे, तब भी दिक्कत नहीं होगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, तो दो-तीन दिन बाद से ही दवाइयों का संकट शुरू हो जायेगा. अभी हालात ये हैं कि स्टोर्स में जिन दवाइयों का स्टॉक खत्म हो गया, उनके ग्राहकों को लौटना पड़ रहा है. खत्म होनेवाली दवाइयों की लिस्ट भी लगातार बढ़ रही है.
थोक दवा बाजार में सन्नाटा, सीरप की बिक्री बढ़ी : दवा व्यवसायी चंदन वर्मा ने बताया कि बाजार में अभी कारोबार सिमट कर 50 फीसदी रह गया है. खुदरा दुकानदारों के पास करेंट एकाउंट नहीं होने से परेशानी है. उन्हें ज्यादा परेशानी है, जो पहले से कैश ही धंधा किये हैं. चेक से भी भुगतान किये जा रहे हैं. इधर कई मरीजों के परिजनों ने बताया कि हार्ट किडनी की बीमारियों से जुड़ी कुछ दवाइयां मेडिकल स्टोर्स में नहीं हैं. उधर, मेडिकल स्टोर्सवालों का दो-टूक कहना है कि बड़े नोट बंद होने से ये हालात बने हैं.
50% दवा दुकानदारों के पास करेंट एकाउंट नहीं : जिले के करीब 50 फीसद दवा दुकानदारों को परेशानी उठानी पड़ रही है. इसमें अधिकांश ग्रामीण इलाके के दुकानदार हैं. खुदरा दुकानदारों को और परेशानी झेलनी पड़ रही है. उनके पास करेंट एकाउंट भी नहीं है. इस सूरत में वे चेक डेबिट कार्ड से भुगतान नहीं कर सकते हैं.
शॉपिंग कॉम्प्लेक्स व रेंस्टोरेंट में 75% ग्राहक नहीं पहुंच रहे : वैसे तो बक्सर शहर में ज्यादा मॉल्स, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स या रेस्टोरेंट नहीं हैं. लेकिन जितने हैं भी उनमें ग्राहक नहीं दिख रहे. विशाल मेगा मार्ट,
अपना बाजार आदी में ग्राहक पहले की अपेक्षा 75 प्रतिशत घट गये हैं. स्थिति यह है कि लोगों के पास जितने पैसे हैं, उससे वे इन शॉपिंग मॉल्स से केवल जरूरत के सामान जैसे खाने पीने और फिलहाल सर्दियों के जरूरी कपड़े, हवाई चप्पल, आदी छोटे सामान ही खरीद रहे हैं. इसका असर उन शॉपिंग मॉल्स में या उनके आसपास चल रहे रेस्टोरेंट पर भी हुआ है. शहर में 5-6 रेस्टोरेंट हैं, जिनमें लगन व शादी ब्याह के दिनों में खासी भीड़ हुआ करती थी.
शहर में बीते दो सालों में काफी रेस्टोरेंट खुले हैं. हालांकि पहले से भी दो से तीन रेस्टोरेंट थे. नोटबंदी के बाद हाल यह है कि 10 दिन पहले ये रेस्टोरेंट ग्राहकों से भरे होते थे, फिलहाल इन जगहों पर 75 प्रतिशत ग्राहक कम रहे हैं. पार्सल तो बिल्कुल भी नहीं हो रहा. शहर के नामी रेस्टोंरेंट के संचालक ने कहा कि यहां एटीएम व डेबिड कार्ड की सुविधा नहीं है, जिसके कारण लोग नहीं आ रहे हैं.
80% तक वाहनों का कारोबार ठप : बक्सर में अधिकतर वाहन कंपनियों के शो रूम्स हैं. हाल यह है कि यहां एक भी शो रूम में ग्राहक नजर नहीं आ रहे हैं. चार चक्का वाहनों के शो रूम तो ऐसे नजर आते हैं, मानों अब बंद हो जायेंगे.
वहीं, दो पहिया वाहनों के शो रूम में इक्के दुक्के ही ग्राहक नजर आ रहे हैं. शो रूम संचालकों के अनुसार स्थिति सामान्य होने में अभी वक्त लगेगा. शो-रूम संचालकों की मानें, तो शादी-विवाह को लेकर इन दिनों वाहनों की अच्छी बुकिंग हो जाती थी. लेकिन, नोट बंदी ने उनके कारोबार को पूरी तरह ठप कर दिया है. शहर में तीन-चार शोरूम ऐसे भी हैं, जो पिछले चार दिनों से खुल ही नहीं रहे हैं.