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सूख रहा गला. गरमी बढ़ते ही सत्तू व बेल के शरबत की बढ़ी मांग

आज 43 पार पहुंचेगा जिले का पारा गरमी से राहत के लिए लोग पी रहे बेल का शरबत सुबह नौ बजे के बाद से ही गरमी अपने रंग में आ जा रही है़ अगर जरूरी काम न हो, तो लोग अपने घरों से निकलना नहीं चाह रहे हैं़ लोगों के मुह से बस यही निकल […]

आज 43 पार पहुंचेगा जिले का पारा

गरमी से राहत के लिए लोग पी रहे बेल का शरबत
सुबह नौ बजे के बाद से ही गरमी अपने रंग में आ जा रही है़ अगर जरूरी काम न हो, तो लोग अपने घरों से निकलना नहीं चाह रहे हैं़ लोगों के मुह से बस यही निकल रहा, अप्रैल ऐसा तो आगे क्या होगा.
चौक-चौराहों पर खुल गयीं फुटपाथी सत्तू व शरबत की दुकानें
बक्सर : गरमी अप्रैल महीने में ही ऐसी आ गयी है कि जैसी मई व जून की गरमी हो. घर से बाहर लोगों का निकलना मुश्किल हो गया है. घर से बाहर निकलते ही गरमी के कारण हलक सूखने लगता है और लोग तरावट की चाह पाये इधर-उधर ताकने लगते हैं. गरमी के इस मौसम में चौकचौराहों पर और रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और सार्वजनिक स्थानों पर गरमी से निजात दिलाने के लिए बेल और आम के शरबत की दुकानें सज गयीं हैं. इनके साथ चने का सत्तू भी लोग बेच रहे हैं.
इनकी अच्छी खासी बिक्री अभी से ही शुरू हो गयी है. 500 रुपये से लेकर हजार-बारह सौ रुपये तक की बिक्री प्रति दुकानदार रोज कर रहे हैं. गरमी को देखते हुए इन ठेलों की संख्या दिन प्रतिदिन चौक चौराहों और सड़कों पर बढ़ती ही जा रही है.
छोटे टिकोले के कारण कम मिल रहे आम के पन्ने : छोटे टिकोले होने के कारण बेच रहे सभी दुकानदारों के पास आम के पन्ने नहीं हैं, मगर कुछ-कुछ दुकानदारों ने इसकी व्यवस्था कर रखी है.
ज्योति चौक पर सत्तू बेचनेवाले और श्रीफल (बेल) का शरबत बेचनेवाले अशोक गुप्ता कहते हैं कि हर वर्ष मौसमी कारोबार करते हैं और इसी से परिवार का पेट पालते हैं. कहते हैं कि अभी बिक्री सामान्य चल रही है. आम के टिकोले छोटे होने के कारण आम का पन्ना नहीं बेच पा रहे हैं. बड़ा टिकोला मिलने पर उसे भी साथ में रखेंगे.
वहीं, दूसरी ओर ज्योति चौक पर ही ठेले पर सत्तू और श्रीफल (बेल) का जूस बेचनेवाले महेंद्र प्रसाद कहते हैं कि दुकानदारी अभी तेज नहीं हुई है. क्योंकि खोमचेवाले बढ़ गये हैं. गरमी बढ़ेगी, तो बिक्री भी बढ़ेगी. फिलहाल रोज पांच से छह सौ रुपये आ जा रहे हैं.
वहीं पास में ही गुमटी पर सत्तू और श्रीफल (बेल) बेचनेवाले एक अन्य दुकानदार भूवर कुमार कहते हैं कि बिक्री ठीकठाक चल रही है. 500-700 रुपये तक की बिक्री अभी से ही हो जा रही है. गरमी बढ़ने पर बिक्री और अच्छी होगी.
वहीं, रसना और बर्फ का शरबत बेचनेवाले चंदन कुमार कहते हैं कि किराये का ठेला लेकर रोजगार करता हूं. पांच रुपये, सात रुपये और 10 रुपये की तीन वेराइटी बेचते हैं. बर्फ के साथ-साथ रसना और मावा बेचने में ग्राहकों को अच्छा टेस्ट मिलता है. पेट भरें या न भरें, मगर लोगों को उनका शरबत राहत जरूर देती है.

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