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आर्सेनिकयुक्त पानी पी रहे प्रखंडवासी

चक्की : प्रखंडवासियों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के उद्देश्य से पीएचइडी द्वारा लगाये गये चापाकलों से आर्सेनिकयुक्त पानी निकल रहा है, जिसकी वजह से लोगों को पीने का साफ पानी भी नसीब नहीं हो रहा है़ मजबूरीवश लोग इसी पानी को पी रहे हैं, जिसके चलते तरह-तरह की बीमारियां हो रही हैं. सबसे ज्यादा […]

चक्की : प्रखंडवासियों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के उद्देश्य से पीएचइडी द्वारा लगाये गये चापाकलों से आर्सेनिकयुक्त पानी निकल रहा है, जिसकी वजह से लोगों को पीने का साफ पानी भी नसीब नहीं हो रहा है़ मजबूरीवश लोग इसी पानी को पी रहे हैं, जिसके चलते तरह-तरह की बीमारियां हो रही हैं.

सबसे ज्यादा लोग चर्म रोग की चपेट में आ रहे हैं. पैसेवाले, तो अपने-अपने घरों में फिल्टर या आरओ प्लांट लगा रखे हैं, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिये ये सुविधा वश में नहीं है, लिहाजा अधिकतर लोग आज भी आर्सेनिकयुक्त जल ही पी रहे हैं. वहीं, चर्म रोग होने के पश्चात अनपढ़ और अंधविश्वास में भरोसा रखनेवाले लोग इस बीमारी को दैवीय प्रकोप या पिछले जन्म के पापों का परिणाम मान रहे हैं.

वहीं, बुद्धिजीवी और विज्ञान की समझ रखनेवाले लोग इसे आर्सेनिकयुक्त पानी के सेवन का परिणाम मान रहे हैं. क्षेत्र के ज्यादातर लोगों को आर्सेनिक के बारे में पूरी तरह जानकारी भी नहीं है़

क्या है आर्सेनिक
दरअसल आर्सेनिक एक ऐसा घुलनशील तत्व है, जो चापाकल के पानी में घुला हुआ रहता है तथा इसके सेवन से लोगो में लीवर, गैस, रक्तचाप, चर्म रोग आदि जैसी बीमारियां होती हैं.
कहते हैं पीएचसी प्रभारी
इस संबंध में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ निर्मल ओझा से संपर्क किया गया, तो उन्होंने ने कहा कि क्षेत्र के अधिकांश चापाकलों से निकलनेवाला पानी आर्सेनिकयुक्त है, जो विभिन्न रोगों का कारक है़ इनसे बचने के लिए लोग पानी उबाल कर पिये, तो बहुत हद तक इन बीमारियों से बचा जा सकता है़

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