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चौपाल में बोले लोग, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार से आयेंगे अच्छे दिन
बक्सर : नगर का मल्लाह टोली शहर के बीच में स्थित है. यहां दो हजार से अधिक की आबादी है. लगभग आठ सौ वोटर हैं. यहां के लोग स्थानीय निकाय से लेकर लोकसभा चुनाव में अपनी भूमिका गर्मजोशी के साथ निभाते हैं, लेकिन आज भी इनके मुहल्ले की समस्या ज्यों-की-त्यों बनी हुई है. नये वर्ष […]
बक्सर : नगर का मल्लाह टोली शहर के बीच में स्थित है. यहां दो हजार से अधिक की आबादी है. लगभग आठ सौ वोटर हैं. यहां के लोग स्थानीय निकाय से लेकर लोकसभा चुनाव में अपनी भूमिका गर्मजोशी के साथ निभाते हैं, लेकिन आज भी इनके मुहल्ले की समस्या ज्यों-की-त्यों बनी हुई है. नये वर्ष पर मुहल्ले के अधिकांश युवा पिकनिक मनाने के लिए गंगा के तटीय इलाके पर गये हुए थे.
जबकि कुछ अन्य ने रोज की तरह मुहल्ले में लगनेवाली चौपाल पर पुराने और नये साल में फर्क का अनुभव पास में जली आग के गरमी के बीच कर रहे थे. ठंड में चाय की चुस्की लेते राजू कहते हैं कि पुराने साल में जो हुआ सो हुआ, लेकिन नये साल में कुछ उम्मीद तो जगनी चाहिए. दूसरी कक्षा पास राजू बढ़ई मिस्त्री का काम करते हैं. उन्हें बस यह चिंता है कि मुहल्ले का हर लड़का स्कूल पहुंचने लगे और स्कूल में सरकार शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करे. तब कहीं नये साल में अच्छे दिन आयेंगे. इस बीच व्यवसायी देवेंद्र चौधरी कहते हैं कि मुहल्ले में एक भी प्राथमिक स्कूल नहीं है. यहां प्राथमिक स्कूल का होना आवश्यक है. 75 प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं है. इससे महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है. इन कमियों को गिनाते हुए कहते हैं कि तो काहे (कैसा) का नया साल भाई.
मुहल्ले के चर्चित डब्बू चौधरी ने बीच में ही बात काट दी और कहने लगे कि यह तो काफी दूर की बात है. अभी तो मुहल्ले से जुड़ा सेवक नाला की सफाई ही वर्षो से नहीं हुई है, तो अन्य कामों के लिए क्या भरोसा लगाया जाये. आज भी मुहल्ले के लोग
जीविकोपाजर्न के लिए मछली मारने, नाव चलाने और मजदूरी का काम करते हैं. मुहल्ले के मुख्य गेट पर ही शराब खाना है. मजदूर घर जाने से पहले यहां प्रवेश करते और अपनी दिन भर की कमाई का आधा हिस्सा शराब पर खर्च कर देते हैं. इस बात को बताते हुए अनिल चौधरी कहते हैं कि इसे भला कैसे रोका जाये. वामपंथी युवा नेता देवेंद्र चौधरी बताते हैं कि बिहार सरकार का यहां एक मृत तालाब है, जिसे भराई कर प्राथमिक विद्यालय, सामुदायिक भवन और बच्चों को खेलने के लिए पार्क बन जाये, तो वर्ष 2015 की एक बड़ी उपलब्धि होगी. धीरे-धीरे आग ठंडी हो रही थी और लोगों की बातें भी. चौपाल में शामिल उमाशंकर चौधरी, ललन, राजेश, दिल बहार बात समाप्त के बाद घर की ओर कूच कर गये.
अपराध मुक्त हो वर्ष 2015 : नगर का गोला बाजार वार्ड संख्या 14 समृद्ध और व्यावसायिक क्षेत्र है. वार्ड में कुल दो हजार लोग रहते हैं, जिनमें से करीब 70 प्रतिशत लोग साक्षर हैं. इस मुहल्ले के 95 प्रतिशत निवासी व्यवसाय से जुड़े हैं. जिनकी दिनचर्या में सुबह सात बजे से रात 10 बजे तक खरीद-बिक्री करना है और इसी विषय पर चर्चा परिचर्चा भी करना है. जब बात 2015 की कैसे हो शुरुआत की आती है, तो यहां के कुछ लोग बाजार स्थित नंदू की चाय दुकान पर चर्चा करते दिखे.
लोगों की चाह : गोला बाजार के सुरेश रौनियार शहर में बढ़ रहे अतिक्रमण से दुखी हैं. वे कहते हैं कि पिछले एक साल में जिस रफ्तार से बाजार में भीड़ बढ़ी है. ठीक उसी हिसाब से बाजार में स्थायी रूप से अतिक्रमण कर रास्तों को संकीर्ण किया जा रहा है. आगे भी ऐसी हालात रही, तो शहर में पैदल चलना भी मुश्किल हो जायेगा. शंभु नाथ आर्य चाहते हैं कि 2015 में नगर पर्षद अपने सफाई कार्य में रफ्तार लाये, ताकि शहर स्वच्छ रहे. क्षेत्र में पसरी गंदगी को हमेशा साफ किया जाये. धीरज गुप्ता कहते हैं कि इस वर्ष नगर पर्षद शहर के बाहर एक डंपिंग जोन बनाया जाये, जहां शहर का कूड़ा फेंका जाये.
कचरा फेंकने के लिए निश्चित जगह न होने की वजह से शहर का सारा कचरा गंगा तट पर फेंका जाता है. वहीं, गोला बाजार के व्यवसायी विनोद रौनियार जिले में लगातार बढ़ रहे अपराध से चिंतित हैं और कहते हैं कि पुलिस शहर को शांत कराने की रणनीति के प्रति कटिबद्ध हो. बढ़ रहे अपराध से व्यवसायियों में असुरक्षा की भावना पनप रही है. वे कहते हैं कि 2015 शांति का पैगाम लाये ऐसी कामना करते हैं.
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