बक्सर : पति से गुजारा भत्ता की आस में आशा के पूरे 24 वर्ष बीत गये. आरा जिले के चांदी थाना क्षेत्र के भगवतपुर रतनपुर गांव निवासी संजीवन चौहान की पुत्री आशा की शादी 29 अप्रैल 1992 को मुफस्सिल थाना क्षेत्र के नदाव गांव निवासी अयोध्या चौहान के साथ हुई थी. शादी के दो वर्ष बाद आशा को एक लड़की हुई. पति ने बेटी जनने की बात कह आशा को घर से निकाल दिया. आशा वर्ष 1994 में अपनी नवजात पुत्री के साथ पिता के घर आ गयी. पति उसे रखने को तैयार नहीं था.
महिला इस मामले की शिकायत कुटुंब न्यायालय में दर्ज करायी, जहां कोर्ट ने पति को गुजारा भत्ता के तौर पर आशा को प्रत्येक माह साढ़े बारह सौ रुपये दिये जाने का आदेश दिया. इसके बावजूद पति ने आशा को गुजारा भत्ता नहीं दिया. फिलहाल आशा पटना स्थित कुर्जी मोड़ पर अपने भाई नारायण चौहान के साथ रहती है. रिश्तेदारों व दूसरे लोगों से कर्ज लेकर पुत्री की शादी की. दो लाख रुपये अभी भी कर्ज के तौर पर पड़े हैं. गुरुवार को एसपी कार्यालय पहुंची आशा ने बताया कि कई बार एसपी कार्यालय का चक्कर लगा चुकी हूं.
पुलिस प्रशासन की ओर से किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाती. आशा कहती है कि बहुत कर्जा बा, कई बार एसपी साहब के ऑफिस में अइनी, कुछो नइखे होत. कोर्ट के आदेश की प्रति दिखाती हुई पीड़िता ने बताया कि यहां से कुछ नइखे होवत,कई बार एसपी साहब से गुहार लगइले बानी.