डीडीसी मो मोबिन अली अंसारी से ग्रामीणों ने मुलाकात की
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घोटाले में कार्रवाई की मांग को लेकर ग्रामीणों ने घेरा कलेक्ट्रेट
डीडीसी मो मोबिन अली अंसारी से ग्रामीणों ने मुलाकात की बक्सर : जिले के चौसा प्रखंड की पवनी पंचायत के विभिन्न गांवों में मनरेगा में हुई व्यापक धांधली और सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया. आंदोलन (एक कदम परिवर्तन की ओर) संस्था बैनरतले पवनी पंचायत के विभिन्न गांवों से आये […]
बक्सर : जिले के चौसा प्रखंड की पवनी पंचायत के विभिन्न गांवों में मनरेगा में हुई व्यापक धांधली और सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया. आंदोलन (एक कदम परिवर्तन की ओर) संस्था बैनरतले पवनी पंचायत के विभिन्न गांवों से आये सैकड़ों लोगों ने हाथों में तख्ती लिए समाहरणालय के समक्ष जोरदार विरोध किया. गुरुवार को जिला समाहरणालय पर आयोजित इस धरना और जनसभा के बाद जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में डीडीसी मो. मोबिन अली अंसारी से मुलाकात की.
उल्लेखनीय है कि प्रभात खबर ने मनरेगा योजनाओं में जेल में बंद कैदी से भी मजदूरी कराने और मजदूरों के बिना जानकारी के खाते से पैसा निकाल लेने की खबर को प्रमुखता से छापा था. आंदोलन के अजय मिश्रा ने धरना एवं सभा की अध्यक्षता करते हुए कहा कि केंद्र व राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों से जनता अब ऊब गयी है. पंचायत से लेकर प्रखंड और प्रखंड से लेकर सचिवालय तक भ्रष्टाचार चरम पर है. जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से अधिकारी भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं.
महात्मा गांधी के नाम पर बनी योजना मनरेगा में पूरे जिले में सुनियोजित तरीके से लूट-खसोट हुई है. जांच में दोषी पाये जाने के बाद भी दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. वहीं, संदीप ठाकुर ने कहा कि किसानों से संबंधित सभी कार्यक्रमों में बिचौलियों और अफसरों की मिलीभगत से लूट-खसोट पराकाष्ठा पर है. आम जनता, गरीब और किसान महंगाई की मार से त्रस्त है. हर जगह दलाली और कमीशनखोरी का राज कायम हो चुका है. मनरेगा से लेकर इंदिरा आवास में भी भ्रष्टाचार का बोलबाला है. रोहित ओझा ने कहा कि पवनी पंचायत के विभिन्न गांवों में मनरेगा के नाम पर सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाये गये हैं.
धरना को मुकेश सिंह, अनुराग चतुर्वेदी, आंदोलन के जिलाध्यक्ष गिट्टू तिवारी, रमाकांत प्रजापति, राजेश यादव, मैनेजर राम, निर्मल कुशवाहा व अन्य ने संबोधित किया. बता दें कि जब लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के कोर्ट ने इस मामले में जवाब मांगा, तो बताया गया कि पीसीसी सड़क में दरार पड़ने का कारण भारी वाहनों का आवागमन व पानी नहीं डाला जाना है. इस बात को भी न्यायालय ने सिरे से खारिज कर दिया. इस सड़क के बीचों बीच पेड़ है, जिससे इस रास्ते पर भारी वाहनों का प्रवेश संभव नहीं है. प्राधिकार ने अपने आदेश में लिखा है कि जब अभियंता द्वारा जांच में योजना में गड़बड़ी पायी गयी थी, तो किस परिस्थिति में योजनाओं की राशि अंकित की गयी.
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