बक्सर : शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सरकार की ओर से लगातार प्रयास किया जा रहा है. इस प्रयास के तहत विद्यालयों के भवनों को अत्याधुनिक व मॉडल बनाया गया है. विद्यार्थियों की सुविधा को देखते हुए विद्यालयों को सरकार ने अपग्रेड कर दिया है, लेकिन शिक्षा में सुधार की बुनियादी सुविधाओं पर […]
बक्सर : शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सरकार की ओर से लगातार प्रयास किया जा रहा है. इस प्रयास के तहत विद्यालयों के भवनों को अत्याधुनिक व मॉडल बनाया गया है. विद्यार्थियों की सुविधा को देखते हुए विद्यालयों को सरकार ने अपग्रेड कर दिया है, लेकिन शिक्षा में सुधार की बुनियादी सुविधाओं पर विभाग व सरकार ने ध्यान अब तक नहीं दिया है.
जिसके कारण शिक्षा के स्तर में सुधार की बजाय और गिरावट ही आ गयी है. यदि ध्यान जिले के केवल उच्च विद्यालयों पर डालें, तो जिले के 71 उच्च विद्यालयों में महज 25 विद्यालयों में ही प्रधानाध्यापक मौजूद हैं. अन्य 46 विद्यालय प्रभारी प्रधानाध्यापकों के नेतृत्व में चल रहे हैं, जिसके कारण विद्यालयों के हर प्रकार के काम में परेशानी का सामना करना पड़ता है.
प्रभारी प्रधानाध्यापकों को वैसे वित्तीय अधिकार नहीं हैं जिस बिल को ट्रेजरी से पास कराना पड़ता है. विद्यालय के हर भुगतान के लिए निर्धारित डीडीओ के माध्यम से बिल पास कराना होता है, जिसके कारण प्रभारी प्रधानाध्यापकों को 20 से 30 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है.
जिले में प्रधानाध्यापकों की है कमी : जिले में 71 उच्च विद्यालय संचालित हो रहे हैं. दो तिहाई विद्यालय प्रभारी प्रधानाध्यापकों के सहारे संचालित होते हैं, जिसके कारण विद्यालयों के संचालन में परेशानी हो रही है. इन विद्यालयों के संचालन के लिए जिले में मौजूद उच्च विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को ही डीडीओ बनाया गया है. इन 25 प्रधानाध्यापकों के सहारे ही जिले के सभी 71 उच्च विद्यालयों का संचालन होता है.
होती है प्रधानाध्यापकों को परेशानी : जिले में प्रभारी प्रधानाध्यापकों के साथ ही डीडीओ बने प्रधानाध्यापकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. विद्यालय के हर वित्तीय कार्य के लिए डीडीओ का चक्कर लगाना पड़ता है. इसके लिए 20 से 30 किलोमीटर तक की दूरी एक प्रधानाध्यापक को तय करनी पड़ती है. वहीं, डीडीओ बनाये गये प्रधानाध्यापकों को अपने विद्यालय के कार्य के लिए समय नहीं निकल पाता है, जिसके कारण विभाग के पास प्रधानाचार्य नहीं होने से पठन-पाठन पूरी तरह प्रभावित हो गया है. एक-एक प्रधानाचार्य को दस-दस विद्यालयों का डीडीओ बनाया गया है, लेकिन उन विद्यालयों में पढ़ाने के लिए सभी विषयों के पर्याप्त शिक्षक ही नहीं हैं और तो और हाइ स्कूलों में प्रधानाध्यापक भी नहीं हैं. वित्तीय अधिकार नहीं मिलने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, वेतन के कागजात पर हस्ताक्षर करवाने के लिए डुमरांव जाना पड़ता है. ऐसी स्थिति में शारीरिक, मानसिक व आर्थिक परेशानी होती है.
शीघ्र ही हेडमास्टर नियुक्त होंगे
शिक्षा विभाग की ओर से हेडमास्टर नियुक्त करने के लिए पत्र भेज दिया गया है. शिक्षकों से सर्टिफिकेट की मांग की गयी है. इसके बाद चयन किया जायेगा. शीघ्र ही सभी हाइ स्कूलों में हेडमास्टर नियुक्त कर दिये जायेंगे.
कृष्ण कुमार सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी