समय के साथ बढ़ती गयी प्रेमचंद की लोकप्रियता
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प्रेमचंद की रचनाएं समय की तसवीर प्रस्तुत करती हैं
समय के साथ बढ़ती गयी प्रेमचंद की लोकप्रियता बक्सर : हिंदी साहित्य के महान कथाकार और विश्व साहित्य की विभूति उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की 138 वीं जयंती मनायी गयी. जयंती का आयोजन भोजपुरी साहित्य मंडल बक्सर के नेतृत्व में नगर के आर्या एकेडमी के सभागार में किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता मंडल के अध्यक्ष अनिल […]
बक्सर : हिंदी साहित्य के महान कथाकार और विश्व साहित्य की विभूति उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की 138 वीं जयंती मनायी गयी. जयंती का आयोजन भोजपुरी साहित्य मंडल बक्सर के नेतृत्व में नगर के आर्या एकेडमी के सभागार में किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता मंडल के अध्यक्ष अनिल कुमार त्रिवेदी ने की. जयंती समारोह में वक्ताओं एवं अतिथियों ने सर्वप्रथम प्रेमचंद के तैलचित्र पर अपना श्रद्धासुमन अर्पित कर किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए साहित्यकार डॉ अरुण मोहन भारवि ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य ग्रामीण, शोषण, सामंती व जुल्म के खिलाफ भारतीय नव जागरण एवं राष्ट्रीय आंदोलन की उपज है.
जैसे-जैसे समय बीता प्रेमचंद की लोकप्रियता परवान चढ़ती चली गयी और आज वे हिंदी की नहीं, वरन देश काल की सीमाओं का अतिक्रमण करते हुए वैश्विक पहचान बन चुके हैं. वहीं, अध्यक्षीय भाषण में अनिल त्रिवेदी ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाएं केवल मनोरंजन के लिए न होकर किसानों के शोषण, निर्धनता, अशिक्षा, अंधविश्वास, विधवा समस्या, जाति भेद एवं मध्यमवर्गीय कुंठा को उजागर करने का औजार बनी हैं. प्रेमचंद की कहानियां नये जीवन मूल्यों का साक्षात्कार कराने के साथ ही तत्कालीन समय की सही तसवीर प्रस्तुत करती है. जयंती कार्यक्रम में रामेश्वर मिश्र, महेश ओझा, शिव बहादुर पांडेय, रजनीकांत राकेश, रामाकांत तिवारी, आदित्य वर्द्धन, अनिल चौबे, दिनेश राय, अजीत तिवारी समेत अन्य शामिल थे.
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