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दो कमरे, दो शिक्षक, पढ़ते हैं 200 छात्र

कुव्यवस्था. जगह व संसाधनों के अभाव में बच्चों की पढ़ाई हो रही बाधित डुमरांव : नगर के वार्ड संख्या 12 में स्थित प्राथमिक विद्यालय में पठन-पाठन के लिए मात्र दो कमरे हैं, जहां नामांकित बच्चों की संख्या 200 है. बच्चों के अनुपात में शिक्षक भी नहीं हैं, जिससे विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने पर प्रश्न […]

कुव्यवस्था. जगह व संसाधनों के अभाव में बच्चों की पढ़ाई हो रही बाधित

डुमरांव : नगर के वार्ड संख्या 12 में स्थित प्राथमिक विद्यालय में पठन-पाठन के लिए मात्र दो कमरे हैं, जहां नामांकित बच्चों की संख्या 200 है. बच्चों के अनुपात में शिक्षक भी नहीं हैं, जिससे विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने पर प्रश्न चिह्न खड़ा होता है. यह विद्यालय कभी बिछली गली, मच्छरहट्टा गली, ठठेरी बाजार, तो कभी चारमोटिया मुहल्ला में चला, लेकिन अंत में वार्ड संख्या 12 स्थित लालचंद कुर्मी की गली सतगलिया मुहल्ले में आकर शिफ्ट हो गया. विद्यालय परिसर में मात्र दो कमरे मौजूद हैं, जिसमें एक कमरे में आनन-फानन में शौचालय निर्माण सहित मध्याह्न भोजन संबंधित समाग्री रखने के साथ स्टोर रूम में बना दिया गया.
बचे एक कमरे में बच्चे किसी तरह से पठन-पाठन करते हैं. दूसरे कमरे में बच्चे अपने घर लेकर आनेवाले बोरा व चाट पर बैठ पढ़ाई करते हैं. विद्यालय में पेयजल को लेकर मात्र एक चापाकल मौजूद है. मध्याह्न भोजन रसोईघर के अभाव में दोनों कमरों के बाहर बरामदे में बनता है. 40 बच्चों पर एक शिक्षक रहने के कारण बिहार सरकार में चर्चा थी, लेकिन इस विद्यालय में 200 बच्चों पर मात्र दो शिक्षक पदस्थापित हैं. इस विद्यालय में कमरों की संख्या और नामांकित बच्चों की संख्या को देखने से पठन-पाठन प्रभावित होना लाजमी है. स्टोर रूम वाले कमरे में बना शौचालय अनुपयोगी हो गया, अगर शौचालय का उपयोग किया जाये, तो वहां बच्चों को पढ़ने में काफी परेशानी होगी. विद्यालय में पदस्थापित शिक्षिका शौच करने के लिए आसपास के घरों का सहारा लेती हैं, तो बच्चे अपने-अपने घर जाकर शौच करते हैं. वहीं, विद्यालय के बगल में सेंट्रल नाला बहता है. नाला का निर्माण हुआ, तो उसे ढ़कने के लिए ढक्कन बनाया गया, लेकिन ढक्कन का पता आज तक नहीं चला कि कहां गया. जिस कारण नाला से काफी दुर्गंध आता है. यह विद्यालय शहर व बाजार के समीप मौजूद है.
विद्यालय में नहीं है बिजली कनेक्शन : विद्यालय शहर का भ्रमण करते हुए सतगलिया पहुंच गया, जहां इसे अपना भवन मिला, लेकिन दुख की बात यह है कि आज तक इस स्कूल को बिजली कनेक्शन नहीं मिला. जिससे बच्चे व गुरुजन गरमी व बरसात में किस तरह पठन-पाठन कराते हैं. शिक्षिकाएं हाथ में बेना लेकर स्कूल आतीं हैं.
जमीन को लेकर दर-दर भटकता रहा विद्यालय : प्राथमिक विद्यालय वार्ड संख्या नौ के नाम से जरूर है, लेकिन अभी यह वार्ड संख्या बारह में चलता है. इससे पहले विद्यालय कई मुहल्ले से होकर लालचंद कुर्मी की गली सतगलिया पहुंचा. पहले यह विद्यालय बिछली गली, मच्छरहट्टा गली, ठठेरी बाजार, चारमोटिया मुहल्ला के बाद सतगलिया में पहुंचा, जहां इसको अपना भवन मिला.
एक कमरे में स्टोर रूम, शौचालय व पठन-पाठन
बच्चों के अनुपात न शिक्षक, न कमरा
विद्यालय में नहीं है रसोईघर, बरामदे में बनता है एमडीएम
विद्यालय में रसोईघर व स्टोर रूम नहीं है
विद्यालय में रसोईघर नहीं रहने से कमरे के बाहर व चापाकल के समीप मध्याह्न भोजन बनता है, जिससे विद्यालय प्रबंधन बच्चों को असुरक्षित मानते हुए सहमे रहता है. रसोईघर रहता, तो एमडीएम सामग्री व भोजन उसी कमरे में बनता. विद्यालय में जगह का आभाव होने से बच्चों का पठन-पाठन प्रभावित होता है. एमडीएम बनता है, तो बच्चों को देखना पड़ता है, क्योंकि नन्हें बच्चे लंच टाइम में खेलते रहते हैं. ऐसे भी बरामदे से होकर बच्चे क्लास रूम में पहुंचते हैं.
कम जगह के कारण होती है परेशानी
कमरों की संख्या कम और बच्चों की संख्या अधिक होने से पठन-पाठन में परेशानी होती है. टीचर की कमी को लेकर बीआरसी व जिला मुख्यालय को सूचित किया गया. रसोईघर व स्टोर रूम नहीं रहने से भी दिक्कत होती है. उच्च अधिकारियों से मार्ग-दर्शन प्राप्त होते ही सुविधाओं में होगा.
नंदनी गुप्ता, प्रधानाध्यापिका

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