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सब की झोली भरती हैं महथिन माई
आस्था. सजा मां का दरबार, जुटने लगी श्रद्धालुओं की भीड़, सुरक्षा की मजबूत व्यवस्था बिहिया : आरा से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिहिया और बिहिया से लगभग एक किलोमीटर पूरब-दक्षिण स्थित महथिन माई का पवित्र मंदिर लोक आस्था के केंद्र के रूप में विख्यात है. महथिन मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए वैसे […]
आस्था. सजा मां का दरबार, जुटने लगी श्रद्धालुओं की भीड़, सुरक्षा की मजबूत व्यवस्था
बिहिया : आरा से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिहिया और बिहिया से लगभग एक किलोमीटर पूरब-दक्षिण स्थित महथिन माई का पवित्र मंदिर लोक आस्था के केंद्र के रूप में विख्यात है. महथिन मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए वैसे तो सालों भर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, लेकिन शारदीय नवरात्र में यहां का नजारा देखते ही बनता है. लोगों को यकीन है कि मां के दरबार में आने वाले खाली हाथ नहीं लौटते, उनकी मनौती अवश्य पूरी होती है.
क्या है धार्मिक व पौराणिक महत्व : इस मंदिर का धार्मिक और अाध्यात्मिक रूप से काफी महत्व है. यही कारण है कि मां महथिन के दरबार से ही हर शुभ कार्यों की शुरूआत होती है. मां महथिन के आंगन में मनौती की एक अनूठी परंपरा है. महिलाओं की जब कोई मांगी हुई मनौती पूरी हो जाती है, तो वह अपने आंचल पर पंवरिये को नचवाती हैं.
सोमवार और शुक्रवार को लगने वाला यहां मेले के अलावा लगन के मौसम और हर पर्व-त्योहारों में माथा टेकने और पूजा-अर्चना करने के लिए यहां जनसैलाब उमड़ा रहता है. शादी-विवाह, बच्चों का मुंडन, वाहन पूजन से लेकर हर तरह के कर्मकांड यहां होते हैं.
नवरात्र में लगता है भक्तों का तांता : जुल्म और अत्याचार के खिलाफ जंग लड़ने वाली वीरांगना महथिन माई का मंदिर सिद्ध शक्तिपीठों की तरह ही है. इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है. ऐसी मान्यता है कि मां महथिन दुर्गा माता की अवतार हैं और जब-जब बिहिया की धरती पर जुल्म और विपत्ति आयेगी उसका नाश कर देंगी. यही कारण है कि मां महथिन के आशीर्वाद से बिहिया को शांति, सद्भाव ओर अमन -चैन का क्षेत्र कहा जाता है.
नवरात्र में मां महथिन का विशेष रूप से शृंगार किया जाता है.दशहरा को लेकर सुरक्षा व्यवस्था हुई कड़ी : चरपोखरी. दुर्गापूजा एवं मुहर्रम को शांतिपूर्ण कराने के लिए पुलिस प्रशासन ने कमर कस ली है. पूजा समितियों व आमलोगों से दुर्गापूजा मेले को शांति व सौहार्दपूर्ण माहौल में मनाने का आह्वान किया है, साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पूजा-पंडालों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया गया है. चरपोखरी थानाध्यक्ष कुंवर गुप्ता ने बताया कि गड़हनी बाजार स्थित सभी पूजा पंडालों में कैमरा लगाने का निर्देश दिया गया है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल सादे लिवास में तैनात रहेंगे. मेले में असामाजिक तत्वों पर कड़ी नजर रखी जायेगी. गौरतलब हो कि प्रखंड क्षेत्र के लगभग 15 स्थानों पर मां दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित की जा रही हैं.
काफी गौरवशाली व मार्मिक है इतिहास
महथिन मंदिर का अपना गौरवशाली मगर मार्मिक इतिहास है. लेकिन विडंबना है कि नारी जीवन की पवित्रता को बयां करने वाली वीरांगना महथिन की कहानी इतिहास के पन्नों पर कहीं भी दर्ज नहीं है. बताया जाता है कि हजारों वर्ष पूर्व बिहिया में रणपाल नामक दुराचारी, घमंडी राजा का राज था. उसके अत्याचार से प्रजा में त्राहि-त्राहि मची थी. उसका हुक्म था कि इस नगर से गुजरने वाली हर नयी नवेली दुल्हन की डोली पहली रात उसके महल में रुकेगी. इसी क्रम में मां महथिन की भी बारी आयी. मां महथिन बगल के सिकरिया गांव के श्रीधर महंत की पुत्री थी.
उनके बचपन का नाम रागमति था. रागमति सुंदर-सुशील और गुणवती होने के साथ-साथ अस्त्र-शस्त्र चलाना भी जानती थी. रागमति की शादी हरिगांव के युवक से हुई. रागमति की डोली जब बिहिया से गुजरने लगी, तो राजा के सैनिकों ने डोली रोक दी. इसका रागमति ने विरोध किया और सैनिकों एवं राजा के साथ युद्ध किया. इसी क्रम में रागमति का चेहरा क्रोध से लाल हो उठा और उसने रणपाल को श्राप दिया. इसके बाद ही डोली में अचानक आग लग गयी और रागमति वहीं सती हो गयी. इस घटना के कुछ ही दिनों के बाद होरिको वंश के राजा रणपाल के पूरे वंश का नाश हो गया.
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