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बाढ़ के बाद महामारी का बढ़ा खतरा

आरा : भोजपुर के जिला प्रशासन के समक्ष बाढ़ से घिरे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के अलावा उन्हें बीमारियों से बचाना भी एक बड़ी चुनौती बन गयी है. बाढ़ग्रस्त इलाकों में कालरा, टायफाइड और दस्त जैसी महामारी के फैलने का खतरा पैदा हो गया है या फिर होने का खतरा मंडराने लगा है. […]

आरा : भोजपुर के जिला प्रशासन के समक्ष बाढ़ से घिरे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के अलावा उन्हें बीमारियों से बचाना भी एक बड़ी चुनौती बन गयी है. बाढ़ग्रस्त इलाकों में कालरा, टायफाइड और दस्त जैसी महामारी के फैलने का खतरा पैदा हो गया है या फिर होने का खतरा मंडराने लगा है.
इन सब परिस्थिति से निबटने के लिए बाढ़ क्षेत्र में लगातार दौरा करने के बाद जिलाधिकारी बीरेंद्र प्रसाद यादव ने कुछ दिनों पहले सदर अस्पताल में पहुंच कर बाढ़ क्षेत्रों में लगाये गये चिकित्सकों तथा भेजी गयी दवाओं के बारे में जानकारी ली थी. कई स्थानों पर प्रशासन की ओर से ब्लिचिंग पाउडर का छिड़काव भी किया गया, लेकिन जलजमाव की वजह से लगातार सदर अस्प्ताल में डायरिया के मरीज पहुंच रहे हैं.
गंगा का जल स्तर सामान्य : जिले में बाढ़ का पानी निकलने के बाद अब महामारी का खतरा बढ़ गया है. गंगा और सोन दोनों नदियों में आयी बाढ़ का पानी अब सामान्य हो गया है. जिन इलाकों में बाढ़ आयी थी, उन इलाकों में महामारी का खतरा बढ़ गया है शहर की आबादी वाली जगह से पानी निकलने के बाद गंदगी का अंबार लग गया है, जिसकी वजह से महामारी का खतरा बढ़ गया है.
कलरा और टाइफाइड के साथ डायरिया का प्रकोप बढ़ा : चिकित्सकों के मुताबिक मनुष्य में होनेवाली अधिकतर बीमारियां पानी के जरिये ही होती हैं. मालूम हो कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में डायरिया, कालरा, टायफाइड और दस्त जैसी बीमारियों के फैलने का डर होता है.
राहत शिविरों में अगर लोगों को उबला हुआ पानी उपलब्ध कराया जाये, साफ-सुथरा भोजन मिले तो लोगों को स्वस्थ रखा जा सकता है .चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राजीव रंजन का कहना है कि बाढ़ के बाद चर्मरोगियों की संख्या में वृद्धि होती है. उनका मानना है कि बाढ़ के दौरान लोग अपनी जान बचाना चाहते हैं, ऐसे शुद्धता उनकी प्राथमिकता नहीं होती. उन्हें चाहिए कि शुद्ध पेयजल का उपयोग खास कर गुनगुने पानी का सेवन करें ताकि पेट संबंधी तथा चर्म रोग से बचा जा सके.
जल हो जाता है दूषित : बाढ़ के उतरने के बाद गांवों में जल स्रोतों मसलन कुआं, तालाब आदि का जल प्रदूषित हो जाता है और मच्छरों की संख्या में भी तेजी से वृद्धि होती है. लोगों को इससे बचना होगा. बता दें कि सदर अस्पताल में हर रोज लगभग आधा दर्जन से अधिक मरीज ऐसे आ रहे है जो डायरिया से पीड़ित हैं. इसके अलावा कुछ मरीज निजी क्लिनिकों में भी जा रहे हैं.
क्या कहते हैं अधिकार
डायरिया, कलरा, टाइफाइड सहित अन्य बीमारियों से निबटने के लिए व्यापक इंतजाम अस्पताल में किया गया है.अस्पताल में आनेवाले मरीजों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसका भी ख्याल रखा जा रहा है. बाढ़ के दौरान व अभी अस्पताल की टीम के द्वारा बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में चिकित्सकों की तैनाती की गयी है, जो दवा का वितरण कर रहे हैं और बीमारियों से किस तरह बचा जाये, इसकी जानकारी दे रहे हैं.
डॉ सतीश कुमार सिन्हा, उपाधीक्षक ,सदर अस्पताल

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