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धर्म के प्रति श्रद्धा से परिवार हो जाता है पवित्र : स्वामी

आस्था. चंदवा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन सह महायज्ञ आरा : मानव कहलाने के अधिकारी नहीं सदाचार एवं नैतिकता विहीन लोग भगवान एवं शास्त्र के वचनों पर संतों का मौलिक अधिकार अनैतिक और मर्यादाविहीन जीवन से पीढ़ियां भी होती है कुप्रभावित आरा : सदाचार एवं नैतिकता विहीन मनुष्य मानव कहलाने का अधिकारी नहीं. व्यक्ति को […]

आस्था. चंदवा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन सह महायज्ञ

आरा : मानव कहलाने के अधिकारी नहीं सदाचार एवं नैतिकता विहीन लोग
भगवान एवं शास्त्र के वचनों पर संतों का मौलिक अधिकार
अनैतिक और मर्यादाविहीन जीवन से पीढ़ियां भी होती है कुप्रभावित
आरा : सदाचार एवं नैतिकता विहीन मनुष्य मानव कहलाने का अधिकारी नहीं. व्यक्ति को जीवन में अनैतिकता एवं दुराचार से बचना चाहिए. अनैतिकता से जीवन और मरण दोनों अमंगलमय हो जाते हैं.भावीपीढ़ी भी कलंक ग्रसित हो जाती है. अनैतिकता से जीवन यापन करने वाले को कभी यश प्राप्त नहीं होता. इस लिए स्वयं तथा अपनी पीढ़ियों के मानव को मर्यादानु कूल जीवन यापन करना चाहिए. उपरोक्त बाते श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी ने चंदवा चातुमार्स यज्ञ में प्रवचन करते हुये कहीं. श्री जीयर स्वामी ने कहा कि भगवान अलावा उन्होंने दैत्य पुत्र प्रह्लाद एवं पशु गजेंद्र पर भी कृपा की है, जो शास्त्र में उल्लेखित है.
भगवान कभी पक्ष पात नहीं करते. भगान का शाब्दिक अर्थ से प्रकाश, ग-ज्ञान, वास वैभव और न से नेक है. भगवान से ही ये गुण पैदा होते है. भगवान सब को प्रकाशित करते हैं, जिससे वे अपना प्रकाश हटा लेते हैं, उस जीव का तेज समाप्त हो जाता है. तेजोहीन जीव-अजीव का अस्मिता समाप्त हो जाता है. स्वामी जी ने कहा कि जिस परिवार में धर्म के प्रति वह परिवार पवित्र और धन्य हो जाता है, जिस कुल में वैष्ण व उत्पन्न होते हैं वह कुल पवित्र हो जाता है. माता कृतार्थ हो जाती है. देश लोक पृथ्वी और पिता लोग धन्य होगी. अर्थात वह कुल पवित्र हो जाता है. माता या कृतार्थ हो जाता है. माता कृपार्थ हो जाती है. पृश्वी पवित्र एवं धन्य हो जाती है. वह देश धन्य हो जाता है तथा उसके पितर लोग धन्य हो जाते है. भगवान का भक्त होना कल्याण कारक है.
प्रेम खोल देता है मुक्ति का साधन : ठाकुर जी: दुख हमेशा जब भी आता है तो सुख देकर जाता है और जब सुख देता है तो दुख देकर जाता है. कृष्ण की आराधना करने से दुख भी सुख में बदल जाता है. उक्त बातें चंदवा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन सह महायज्ञ में प्रवचन करते हुए भागवत कथा वाचक ठाकुर अनुकूल चंद्र ने कही. उन्होंने कहा कि प्रेम पंक्षी को भी अपना बना देता है. प्रेम इंसान को भगवान बना देता है. इतना ही नहीं मूर्ति का साधन खोल देता है. वहीं प्रवचन करते हुए रामकथा वाचक प्रेम मूर्ति प्रेम भूषण जी महाराज ने कहा कि जिस कार्य को करते समय आत्मा गवाही न दे उस कार्य को कदापि नहीं करना चाहिए.
जलभरी के साथ कल से शुरू होगा महायज्ञ
अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन में 30 अक्तूबर को जलभरी के साथ महायज्ञ का शुभारंभ होगा. सुबह में जलभरी के लिए यज्ञ स्थल से शोभायात्रा निकलेगी और विभिन्न मार्गों से होते हुए बड़का गांव नदी से जल का आहरण कर भक्त यज्ञ स्थल पहुंचेंगे, जिसके साथ ही महायज्ञ का शुभारंभ होगा. महायज्ञ में 1200 क्विंटल घी और ढाई सौ क्विंटल हवन सामग्री की आहुति यज्ञ में दी जायेगी. श्री रामानुजाचार्य सहस्राब्दी के उपलक्ष्य में हो रहे धर्म सम्मेलन चार अक्तूबर को मुख्य समारोह आयोजित किया जायेगा.
मुख्य समारोह एक से बढ़कर एक आकर्षक देखने को मिलेंगे. यज्ञ प्रवचन और धर्म शास्त्र के साथ चिकित्सा व्यवस्था और सांस्कृतिक कार्यक्रम की भी प्रस्तुति होगी. धर्म सम्मेलन को लेकर लोगों की भीड़ यज्ञ स्थल पर जुटने लगी है. सम्मेलन के संत जीयर स्वामी जी महाराज ने भक्तों व समिति के सदस्यों के साथ एक- एक व्यवस्था की खुद मॉनीटरिंग कर रहे हैं. धर्म सम्मेलन में 1008 कुंड का निर्माण कराया गया है. इन कुडों में लगातार हवन होगा और लोग कुंड की परिक्रमा करेंगे. एक हजार कुंड की परिक्रमा करने में लोगों को दो किमी की दूरी तय करनी होगी, जो अपने आप में एक बड़ी बात है.
30 सितंबर को कलशयात्रा का रूट चार्ट
यज्ञ स्थल से बांध होते हुए पुरानी पुलिस लाइन, पुलिस क्लब, पुराना क्लेक्ट्रेट, रमना मैदान, जज कोठी मोड़, केजी रोड, स्टेशन, कतीरा, ओवरब्रिज, नयी पुलिस लाइन, बड़का गांव पुल के समीप जलभरी के बाद यज्ञ स्थल पर समापन होगा.

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