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घटतौली से उपभोक्ता परेशान, माप-तौल विभाग मौन

आरा : जिले के कम वजन की चोरी का मामला हर तरफ व्याप्त है. इससे जिलावासी खासा परेशान हैं. इसके लिए सरकार द्वारा विभाग कार्यरत है, पर विभाग की सुस्ती से इसके विस्द्ध कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. वहीं व्यापारियों की चांदी कट रही है. महंगाई के इस जमाने में सामान्य लोगों को सामानों […]

आरा : जिले के कम वजन की चोरी का मामला हर तरफ व्याप्त है. इससे जिलावासी खासा परेशान हैं. इसके लिए सरकार द्वारा विभाग कार्यरत है, पर विभाग की सुस्ती से इसके विस्द्ध कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. वहीं व्यापारियों की चांदी कट रही है. महंगाई के इस जमाने में सामान्य लोगों को सामानों की खरीदारी में वजन में भी कमी से उन पर दोहरी मार पड़ रही है. विभाग द्वारा उन सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानों में उपयोग किये जानेवाले बाट-बटखरे की नियमित जांच करनी है, ताकि उपभोक्ताओं को सही वजन मिल सके,

पर जिले में ऐसा नहीं है. मापतौल विभाग द्वारा अपनी कार्य संस्कृति में कोई परिवर्तन नहीं किया जा रहा है. विभाग की लालफीताशाही तथा असंवेदनशीलता से ऐसे प्रतिष्ठान लगातार ग्राहकों के पैसे को चूना लगा रहे हैं. हालांकि कई जगह ग्राहकों द्वारा इसका विरोध किया जाता है, पर उसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है. विभाग में भी शिकायत करने पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. विभाग का कार्य क्षेत्र बहुत व्यापक है पर सभी कार्य कार्यालय से संपन्न कर दिये जाते हैं. बटखरों की जांच करने की खानापूर्ति की जाती है. वहीं सरकार विभाग के रवैये पर कोई कार्रवाई नहीं करती है तथा उपभोक्ताओं को व्यवसायियों के रहमोकरम पर छोड़ देती है. इससे जिलावासियों को प्रतिवर्ष काफी चूना लगाया जाता है.

बाटों में छेड़छाड़ कर घटा दिया जाता है वजन : दुकानदारों द्वारा बाटों में छेड़छाड़ करके उसका वजन घटा दिया जाता है. लोहे के विभिन्न वजनों के बने बाटों को पत्थर पर घींस कर या दूसरे तरीके से नीचे से उसको काट दिया जाता है, ताकि उसका वजन कम हो सके. कई दुकानदारों द्वारा तो एक किलो की जगह बाट में छेड़छाड़ करके लगभग ढाई सौ ग्राम कम कर दिया जाता है और ग्राहकों को एक किलो की जगह महज पौन किलो ही सामान दिया जाता है.
मैन्युअल बाटों के अलावा इलेक्ट्रॉनिक बाट में भी छेड़छाड़ की जाती है तथा उसे इस तरह सेट किया जाता है कि उसका वजन कम हो. इतना ही नहीं, कपड़ा दुकानों पर उपयोग आनेवाले मीटर में भी छेड़छाड़ की जाती है तथा उसे घटा दिया जाता है.
वजन ठीक करने के लिए विभाग द्वारा लगाया जाता है रंगा : मापतौल विभाग द्वारा समय-समय पर दुकानों की जांच की जाती है तथा जांच करने के बाद बाटों के वजन में कमी होने पर उनमें रंगा लगाकर वजन ठीक किया जाता है तथा इसके लिए व्यापारियों से जुर्माना वसूला जाता है. पर विभाग की मनमानी और सुस्ती से व्यापारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. समय-समय पर बटखरों की जांच नहीं की जा रही है. दुकानदारों द्वारा बाटों में रंगा लगाने के बाद उसे निकालकर फेंक दिया जाता है, जिससे वजन घट जाता है.
कहां-कहां करनी है जांच : मापतौल विभाग द्वारा पेट्रोल पंप पर लगे मीटर, कपड़ा दुकानों में उपयोग किये जाने वाले मीटर, धर्मकांटा, किराना दुकान, सब्जी दुकान, ग्रील दुकान सहित उन सभी दुकानों पर जहां वजन से सामान बेचे जाते हैं.
विभाग में जांच के लिए कटती है रसीद : मापतौल विभाग में दुकानदारों द्वारा बटखरों की जांच के लिए रसीद काटी जाती है. उसकी राशि निर्धारित है. इसके बाद विभाग द्वारा बटखरों के वजन को ठीक किया जाता है.
जांच के लिए क्या है नियम : विभाग द्वारा इलेक्ट्रॉनिक बाटों का छह माह पर विधिवत तरीके से एक बार तथा मैनुअल बाटों को वर्ष में एक बार जांच की जाती है तथा उसका वजन सुधारा जाता है. पर सामान्य तौर पर विभाग द्वारा समय-समय पर जांच करने का नियम है. वहीं शिकायत मिलने पर अविलंब जांच करने का नियम है, पर जिले में ऐसा नहीं हो रहा है.
उपभोक्ताओं को हो रही है आर्थिक क्षति : विभाग के मनमानी व उदासीन रवैये के कारण उपभोक्ताओं को दुकानदारों द्वारा चूना लगाया जा रहा है. इससे उपभोक्ताओं को काफी परेशानी हो रही है, पर विभाग विशेष कारणों से सुस्त पड़ा हुआ है.
उपयोग किये जा रहे हैं ईंट व पत्थर के बटखरे
विकास के इस दौर में भी प्राचीन काल की तरह अब भी ईंट व पत्थर के बाट का उपयोग किया जा रहा है. नगर व शहर में भी इस तरह के बाट का उपयोग किया जा रहा है. जबकि गांव में धड़ल्ले से इस तरह के बाट का उपयोग किया जा रहा है. सब्जी व किराना दुकानों पर ऐसे बाट आज भी देखने को मिलते हैं.

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