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बिजली बिल में गड़बड़ी उपभोक्ताओं के लिए मुसीबत

परेशानी बिजली विभाग के राजस्व में भी आयी भारी गिरावट काराकाट(रोहतास) : अनाप-शनाप बिजली बिल मध्यम वर्ग के नागरिकों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. यही वर्ग अदायगी को लेकर संवेदनशील भी है. बिजली का बिल ज्यादा क्यों आता है? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस सवाल का जवाब बिजली कंपनियां शायद ही दे सकें. […]

परेशानी बिजली विभाग के राजस्व में भी आयी भारी गिरावट

काराकाट(रोहतास) : अनाप-शनाप बिजली बिल मध्यम वर्ग के नागरिकों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. यही वर्ग अदायगी को लेकर संवेदनशील भी है. बिजली का बिल ज्यादा क्यों आता है? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस सवाल का जवाब बिजली कंपनियां शायद ही दे सकें. मुख्यमंत्री का आकलन पूरी तरह से सही है कि गलत बिलिंग के कारण ही उपभोक्ता बिल नहीं चुकाते. अनाप-शनाप धनराशि के बिल प्राप्त होने पर उपभोक्ता उन्हें ठीक करवाने के लिए यहां-वहां भटकते हैं.
बिजली विभाग का कोई ऐसा काउंटर नहीं है, जहां बिजली बिल का सुधार हो सके. उपभोक्ता जब गोड़ारी फीडर में बिल सुधारवाने के लिए जाते हैं, तो जवाब मिलता है कि कनीय विद्युत अभियंता के पास जाइए वहां जाने पर कहा जाता है कि सहायक विद्युत अभियंता ही ठीक करेंगे. लेकिन न कभी कनीय मिलते हैं न कभी सहायक मिलते हैं.
उपभोक्ता बिल सुधार के लिए महीनों दौड़ लगाते हैं, लेकिन सुधार नहीं हो पाता. इसके कारण लगातार बिल का बोझ उपभोक्ताओं बढ़ता जाता है. इससे परेशान होकर बिजली उपभोक्ता बिल जमा करना ही छोड़ देते हैं. आज स्थिति वही बन चुकी है. अगले साल शत- प्रतिशत ग्रामीण विद्युतीकरण के बाद बिजली उपभोक्ताओं को बिलिंग सहीं नहीं होगा, तो ग्रामीण क्षेत्रों की बिजली बिल की वसूली कठिन होगी. बिजली की अनियमित आपूर्ति और रखरखाव संबंधी गड़बड़ियों से आजिज ग्रामीण अक्सर बिलिंग व रिकवरी एजेंसियों के कर्मचारियों के लिए असहज स्थिति पैदा कर देते हैं.
ऐसी स्थितियां टालने का एकमात्र उपाय यह है कि समय पर वास्तविक बिल भेजें और पूरी कड़ाई के साथ वसूली करें. लेकिन यह सब करने से पहले सुनिश्चित कर लें कि उपभोक्ताओं को उनकी अपेक्षा के अनुरूप बिजली मिल रही है या नहीं. रखरखाव संबंधित शिकायतों का समयबद्ध ढंग से निस्तारण हो रहा है या नहीं. ऐसी स्थिति में जब बिलिंग सही नहीं हो पा रहा है तो लोग सरकार को दोषी ठहराने लगते हैं. वहीं बिजली विभाग का प्रति वर्ष लाखों लाख रुपया बकाया लगता जाता है. उसके बाद बिजली कंपनी बिजली सप्लाइ रोकने पर मजबूर हो जाती है. जबकि सच यह है कि बिजली की बिलिंग वास्तविक और समय पर उपभोक्ता को मिले, तो 90 प्रतिशत बिल वसूली तय माना जाता है. लेकिन फ्रेंचाइजी सिस्टम से बिजली उपभोक्ता काफी परेशान हैं.
फ्रेंचाइजी से पूरी राशि भी वसूल नहीं हो पा रही है. बिहार सरकार को वसूली की राशि पूरी नहीं मिल पा रही है. इस सिस्टम से बिहार सरकार को निजात पाना होगा, वरना आगे बहुत बड़ी समस्या खड़ी होगी.
बिजली उपभोक्ता बोले
सुकहरा निवासी शंभु कुमार कहते हैं कि उनका बिल 34,303 रु आया है. इसमें 10 हजार रुपया जमा किया गया, फिर उतना ही बिल आया. सुकहरा निवासी फुलेंद्र पासवान कहते हैं कि उनका बिल 27 हजार 4 सौ आया, जिसमें 13 हजार 5 सौ कर दिया गया फिर उतना ही बिल आया. सुकहरा निवासी विजय सिंह का कहना है कि अप्रैल माह में एक हजार का बिल आया. बिल जमा किया गया. पुनः बिल एक हजार का आया. गोड़ारी निवासी गोपेश प्रसाद कहते हैं कि उनका छह माह से बिल नहीं आया. बिल बंद कर दिया गया. जब नेट से बिल जांच की, तो 10 हजार से ज्यादा बिल बता रहा है. यह स्थिति एक उपभोक्ता की नहीं 60 प्रतिशत उपभोक्ता गलत बिजली बिल से परेशान हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
बिजली बिल के सुधार का प्रयास किया जा रहा है. पहले मीटर रीडिंग से ऑन दी स्पॉट बिलिंग दी गयी. उसके बाद अभी एक माह का औसत बिलिंग किया गया है. बहुत जल्द बिलिंग में सुधार हो जायेगा.
अविनाश कुमार, सहायक अभियंता

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