सॉफ्टवेयर ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर लगा सेंसर से काम करेगा. ट्रैक पर लगे अलग-अलग तरह के कैमरों से डाटा सेंसर तक भेजा जायेगा, जो आपस में कनेक्ट होंगे. सॉफ्ट ट्रैक डाटा को रीड करने के बाद लिंक जनरेट करेगा. जिस लिंक से आवेदक का रिजल्ट मिलेगा. इसी के साथ रिजल्ट आवेदकों को भी दिया जायेगा. आइडीटीआर औरंगाबाद की टीम ने एमवीआइ व एक कंपनी के साथ ट्रैक का ट्रायल ले लिया है, जिसकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है. हालांकि, रिपोर्ट बनने से पहले आवेदकों के डेटा पर काम होना है. इसके लिए सारथी व एनआइसी से बात होगी, जिसके बाद ही आवेदक से जुड़ी जानकारी सॉफ्टवेयर में पहुंचेगी. जिसके बाद एक आवेदन संख्या प्राप्त होगी. उसी आवेदन संख्या के आधार पर स्थायी डीएल का टेस्ट लिया जायेगा. एमवीआइ एसएन मिश्रा ने बताया कि सॉफ्ट ट्रैक नाम के सॉफ्टवेयर से टेस्ट लेने की बात संस्था से की गयी है. प्रारंभिक ट्रायल के बाद सॉफ्टवेयर का ट्रायल फिर से लिया जाना है.
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