सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार), बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन (बिहार) और बिहार फुले-आंबेडकर युवा मंच के संयुक्त तत्वावधान में विभिन्न मांगों को लेकर घंटाघर चौक से प्रतिरोध मार्च निकाला गया, जो मुख्य बाजार खलीफाबाग चौक, वेराइटी चौक होते हुए स्टेशन चौक पहुंच कर पूरा हुआ. मार्च के दौरान बिहार के एससी, एसटी और ईबीसी-बीसी के 65 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को मोदी सरकार द्वारा 9वीं अनुसूची में नहीं डालने और हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति सहित हर क्षेत्र में एससी, एसटी और ओबीसी को आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी की गारंटी की मांग की गयी. स्टेशन चौक पर आयोजित नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए टीएमबीयू के पूर्व प्रॉक्टर डॉ विलक्षण बौद्ध ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का एससी-एसटी के उप-वर्गीकरण और क्रीमीलेयर के प्रावधान के पक्ष में आया फैसला एससी-एसटी विरोधी है. संविधान विरोधी है.
एससी, एसटी, ईबीसी-बीसी के 65 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को नौंवी अनुसूची में डाली जाये
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