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हेड इंज्यूरी में समय प्रबंधन महत्वपूर्ण

भागलपुर: हेड इंज्यूरी में टाइम मैनेजमेंट का काफी महत्वपूर्ण रोल होता है. क्योंकि अधिकतर मौतें समय पर इलाज शुरू नहीं होने के कारण हो जाती है. उक्त बातें रविवार को आइएमए हॉल में आयोजित सेमिनार मैनेजमेंट ऑफ द हेड इंज्यूरी में न्यूरो सजर्न डॉ पंकज कुमार ने कही. उन्होंने बताया कि सामान्य रूप से यह […]

भागलपुर: हेड इंज्यूरी में टाइम मैनेजमेंट का काफी महत्वपूर्ण रोल होता है. क्योंकि अधिकतर मौतें समय पर इलाज शुरू नहीं होने के कारण हो जाती है. उक्त बातें रविवार को आइएमए हॉल में आयोजित सेमिनार मैनेजमेंट ऑफ द हेड इंज्यूरी में न्यूरो सजर्न डॉ पंकज कुमार ने कही. उन्होंने बताया कि सामान्य रूप से यह रोड एक्सीडेंट, अल्कोहल के सेवन से गिरने या चोट लगने के कारण होता है. ऐसे मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के बाद चिकित्सकों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है.

प्राइमरी इलाज किसी भी चिकित्सक को शुरू कर देना चाहिए. जैसे चिकित्सकों को यह देखना चाहिए कि मरीज की सांस चल रही है या नहीं, उसके शरीर से रक्त कितना बह चुका है, वेंटीलेटर की आवश्यकता है या नहीं, सर्वाइकल स्पाइन की क्या स्थिति है. इसके बाद कौन-कौन सी दवा की तुरंत जरूरत है और उसे कैसे दिया जाये इसकी व्यवस्था होनी चाहिए. इतना करने के बाद सिटी स्कैन एवं अन्य जांच जरूरी होता है.

सिटी स्कैन से यह पता चल जाता है कि ब्रेन के किस हिस्से में कितनी चोट है और उसका किस तरह से इलाज हो सकता है. मरीज का ऑपरेशन जरूरी है या फिजिशियन के इलाज से मरीज स्वस्थ हो सकता है यह जांच के बाद तुरंत निर्णय लेना चाहिए. कार्यक्र म में चेयरमैन डॉ सीएम उपाध्याय एवं मंच संचालन डॉ लीना नायर ने किया. इस मौके पर आइएमए अध्यक्ष डॉ एसडी गुप्ता, सचिव डॉ बिहारी लाल, डॉ सोमेन चटर्जी, डॉ राजीव सिन्हा, डॉ सरस्वती पांडे, डॉ वसुंधरा लाल, डॉ जीपी सिन्हा, डॉ वीके जायसवाल सहित अन्य चिकित्सक मौजूद थे.

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