जगदीशपुर : कोलानारायणपुर में मूर्ति स्थापना के अवसर पर आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा का समापन मंगलवार को हो गया. कथा समाप्ति के बाद हवन किया गया. अंतिम दिन कथावाचक प्रिय प्रियतम शरण जी महाराज ने कृष्ण-सुदामा प्रसंग पर चर्चा की. उन्होने कहा कि भगवान कृष्ण भक्त वत्सल हैं. वह सबके दिलों में विहार करते हैं. मनुष्य स्वयं भगवान बनने के बजाय प्रभु का दास बनने का प्रयास करें. भक्ति भाव देख जब प्रभु का वात्सल्य जगता है,
तो वह सबकुछ छोड़कर भक्त रूपी संतान के पास दौड़े चले आते हैं. कथावचक ने सुदामा चरित्र का वर्णन झांकी के माध्यम से प्रस्तुत किया, जिससे मंत्रमुग्ध होकर कथा प्रशाल में मौजूद भक्तगण राधे- राधे के जयकारे करने लगे. कृष्ण-सुदामा मिलन को देख सबकी आंखें भर आयीं. कथावाचक ने कहा कि यदि संत नहीं बन सकते, तो संतोषी बन जाओ, क्योंकि संतोष ही सबसे बड़ा धन है. मौके पर मुखिया भैरव यादव, जयनारायण यादव, संजय यादव, प्रह्लाद झा, रवि रंजन सिंह, जयराम सिंह, देवो यादव, सुलेन्द्र यादव, मनोज झा, कम्मो यादव सहित बड़ी संख्या मे लोग मौजूद थे.