मोतियाबिंद . हर माह मिल रहे 80 से 90 मरीज
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जांच सदर अस्पताल में बाहर करा रहे आॅपरेशन
मोतियाबिंद . हर माह मिल रहे 80 से 90 मरीज भागलपुर : बेहतरीन जांच मशीन, अच्छा लेंस, शानदार आॅपरेशन थिएटर से लेकर काबिल चिकित्सक की सुविधा सदर अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में है. विभाग के ओपीडी में हर माह डेढ़ हजार से अधिक मरीज अपनी आंखों की जांच कराते हैं, जिनमें से करीब 80 […]
भागलपुर : बेहतरीन जांच मशीन, अच्छा लेंस, शानदार आॅपरेशन थिएटर से लेकर काबिल चिकित्सक की सुविधा सदर अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में है. विभाग के ओपीडी में हर माह डेढ़ हजार से अधिक मरीज अपनी आंखों की जांच कराते हैं, जिनमें से करीब 80 से 90 मरीज को तत्काल आॅपरेशन की जरूरत होती है, लेकिन इनमें से चंद मरीज ही अपने मोतियाबिंद का आॅपरेशन सदर अस्पताल में कराते हैं. बाकी निजी अस्पताल में हजारों खर्च कर अपनी जेब ढीली करते हैं.
हर माह औसतन 17 मरीज करा रहे मोतियाबिंद का आॅपरेशन
इस साल अप्रैल से नवंबर तक सदर अस्पताल में हुए मोतियाबिंद के आॅपरेशन की बात करें तो यहां पर औसतन हर माह 17 मरीजों ने मोतियाबिंद का आॅपरेशन कराया. अप्रैल माह में 57, मई में सात, जून में 16, जुलाई में पांच, अगस्त में दो, सितंबर में 21, अक्टूबर में 14 व नवंबर माह में 19 लोगों ने मोतियाबिंद का आॅपरेशन कराया, जबकि सदर अस्पताल के ओपीडी में हर रोज औसतन 50 से अधिक लोग अपनी आंखों की जांच कराने आते हैं. इनमें से नौ से 10 मोतियाबिंद के मरीज चिह्नित किये जाते हैं जबकि तीन-चार मोतियाबिंद के ऐसे मरीज होते हैं जिन्हें तत्काल मोतियाबिंद के आॅपरेशन की जरूरत होती है. इस तरह औसतन हर माह 90 या इससे अधिक ऐसे मरीज होते हैं जिनके मोतियाबिंद का तत्काल आॅपरेशन करना जरूरी होता है.
जांच-आपरेशन, चश्मा, दवा से लेकर खाना-ठहरना तक फ्री में
जिला अंधापन नियंत्रण समिति के तत्वावधान में सदर अस्पताल में मोतियाबिंद के मरीज की आंखों की जांच से लेकर शुगर, ब्लड प्रेशर तक की जांच फ्री में होती है. काबिल चिकित्सक सह नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ संजय कुमार द्वारा समिति की ओर से नि:शुल्क आॅपरेशन किया जाता है. आपरेशन के बाद चश्मा, ठहरना व खाना-दवा भी मरीजों को फ्री में मिलता है.
मरीजों को मोटिवेट नहीं कर पा रहा है सदर अस्पताल
हर माह करीब 90 मोतियाबिंद के मरीज सदर अस्पताल में विभिन्न प्रकार की जांच में चिह्नित होते हैं. जिनका आॅपरेशन तत्काल किया जाना होता है, लेेकिन आंकड़े बताते हैं कि इनमें से औसतन 17 मरीजों के मोतियाबिंद का आॅपरेशन सदर अस्पताल में होता है. बड़ा सवाल यह कि आखिर यह मरीज आॅपरेशन के लिए कहां जाते हैं. मरीजों से हुई पूछताछ में यह बात सामने आयी कि ज्यादातर मोतियाबिंद के मरीज सदर अस्पताल में आॅपरेशन कराना नहीं चाहते हैं. मरीज मानते हैं कि सदर अस्पताल में लगाया जाने वाला लेंस उत्तम क्वालिटी का नहीं होता है. फिर से उन्हें मोतियाबिंद होने की आशंका रहेगी या फिर आॅपरेशन सफल होने का चांस कम होगा. प्राइवेट अस्पताल वाले जहां मरीजों की इसी आशंका का फायदा उठा मरीजों को आॅपरेशन के लिए राजी कर लेते हैं.
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