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निर्मल पंचायत का नहीं मिला दर्जा

भागलपुर: जिले के किसी भी पंचायत को निर्मल ग्राम का दर्जा नहीं दिया गया है. पीएचइडी अब तक किसी एक पंचायत में भी ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम के तहत गरीबी रेखा से नीचे व ऊपर के परिवारों के घरों के लिए शत प्रतिशत शौचालय का निर्माण नहीं करा सका है. शौचालय निर्माण का कार्य धीमी गति […]

भागलपुर: जिले के किसी भी पंचायत को निर्मल ग्राम का दर्जा नहीं दिया गया है. पीएचइडी अब तक किसी एक पंचायत में भी ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम के तहत गरीबी रेखा से नीचे व ऊपर के परिवारों के घरों के लिए शत प्रतिशत शौचालय का निर्माण नहीं करा सका है.

शौचालय निर्माण का कार्य धीमी गति से हो रहा है. अब तक 80 हजार से अधिक गरीबी रेखा के नीचे व ऊपर के परिवारों के घरों में शौचालय का निर्माण नहीं हो सका है. यहीं नहीं पिछले साल (2012-13) गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के घरों के लिए 20,000 शौचालय निर्माण कराने का लक्ष्य रखा गया था. इसमें कुल 18000 शौचालय का ही निर्माण हो सका है. इसमें गरीबी रेखा से ऊपर 3500 परिवार के घरों के लिए शौचालय निर्माण शामिल है. गरीबी रेखा से ऊपर परिवार के घरों के लिए 3800 शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा गया था.

शौचालय से वंचित
जिले के तकरीबन तीन लाख 78 हजार 960 बीपीएल व एपीएल परिवार के घरों में शौचालय का निर्माण नहीं हो सका है. शौचालय नहीं रहने के कारण खुले में शौच करने की मजबूरी होती है. जिले में तकरीबन चार लाख 58 हजार 960 बीपीएल व एपीएल परिवार हैं.

क्या है नियम व शर्त
अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम के तहत शौचालय के लिए लाभुक परिवार को 900 रुपये देना होता है. और विभाग 4600 रुपये अनुदान देता है. उन्होंने बताया कि अगर कोई लाभुक खुद से शौचालय निर्माण कराना चाहते हैं, तो विभाग उसे अनुदान की राशि दे देती है. अन्यथा स्वयंसेवी संगठन द्वारा शौचालय का निर्माण कराया जाता है.

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