भागलपुर: जेएलएनएमसीएच में एचआइवी संक्रमित एक मरीज एक टेबल के कारण जीवन के लिए जूझ रहा है. जेएलएनएमसीएच के हड्डी विभाग में दो अक्तूबर से ही झारखंड के साहेबगंज जिला के एक गांव का एचआइवी संक्रमित मरीज भरती है. उसके कमर का ऑपरेशन होना है पर अब तक उसका ऑपरेशन नहीं हो पाया है. चिकित्सकों ने उसे पटना के पीएमसीएच में ऑपरेशन कराने की सलाह दी है. चूंकि विभाग में एक ही सीआर्म टेबल है जिस पर रोजाना दो-चार ऑपरेशन किये जाते हैं. अगर एचआइवी मरीज का उक्त टेबल पर ऑपरेशन होगा तो वह संक्रमित हो जायेगा और दूसरे मरीजों को ऑपरेशन नहीं हो पायेगा. इस वजह से उसका ऑपरेशन रुका हुआ है. फिलहाल उसे चिकित्सकों ने फिजियोथेरेपी कराने की सलाह दी है और वह रोज फिजियोथेरेपी करा रहा है.
एनजीओ ने इलाज की मांग की
जेएलएनएमसीएच के हड्डी विभाग में भरती एचआइवी मरीज के कमर के ऑपरेशन नहीं होने की सूचना पर गुरुवार को अनिल सामाजिक विकास एवं अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष डॉ राजेश तिवारी व राजेश राय के नेतृत्व में सदस्यों ने मरीज से मुलाकात की. इसके बाद मरीज व परिजनों ने संस्था के सदस्यों को बताया कि उसका ऑपरेशन रुका है अगर सरकार मदद कर दे तो उसकी जिंदगी की गाड़ी फिर से पटरी पर लौट आयेगी. संस्था के अध्यक्ष ने इस संबंध में अधीक्षक डॉ विनोद प्रसाद से बात की तो अधीक्षक ने मरीज का ऑपरेशन करा देने का आश्वासन दिया है. वहीं संस्था के अध्यक्ष ने भी कहा है कि हमारी ओर से जो भी हो सकेगा मरीज को मदद दी जायेगी. मरीज से मिलने वालों में अजय दूबे, शिशिर कुमार सिंह सहित अन्य शामिल थे.
मरीज ने बताया
मरीज ने बताया कि वह एक छोटी सी साइकिल रिपेयरिंग की दुकान चलाता था. एक दिन बारिश होने के बाद वह गिर गया और उसके कमर में मोच आ गयी. इसके बाद दर्द की गोली लेकर उसने कुछ तक दिन काम चलाया. अचानक उसे कालाजार हुआ पर वह पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो पा रहा था. इसके बाद उसने जांच करायी तो चिकित्सकों ने उसे एचआइवी से ग्रसित बताया. होली फैमिली नर्सिग होम में पांच दिन तक भरती होकर उसने स्वास्थ्य लाभ भी लिया था. जब चिकित्सकों ने बताया कि कमर की हड्डी टूट गयी है तो जेएलएनएमसीएच आये पर यहां से पटना रेफर कर दिया गया और जब पटना पहुंचे तो वहां से भी एचआइवी के कारण इलाज करने से मना कर दिया. इसके बाद पश्चिम बंगाल के मालदा के शेष राज नर्सिग होम में स्वास्थ्य बीमा कार्ड लेकर गये पर वहां से रांची रिम्स रेफर कर दिया गया. जब रिम्स गये तो वहां 26 दिनों तक भरती करने के बाद कहा गया कि इसका ऑपरेशन दिल्ली या मुंबई में ही हो सकता है. इतना कुछ होने के बाद एक बार फिर मैंने सोचा कि जेएलएनएमसीएच में कोशिश करते हैं पर यहां भी अब तक निराशा ही हाथ लगी है.
मेरे पास एक ही सीआर्म टेबुल है. अगर उस पर एचआइवी मरीज का ऑपरेशन होगा तो उस पर दूसरे मरीजों का ऑपरेशन फिर नहीं हो पायेगा. चूंकि वह संक्रमित हो जायेगा. इसकी सूचना मैंने अधीक्षक को दे दी है. अगर टेबुल की व्यवस्था हो जायेगी तो मरीज का ऑपरेशन हो जायेगा.
डॉ दिलीप कुमार सिंह, विभागाध्यक्ष, हड्डी विभाग