भागलपुर : बचपन से एक साथ खेले-कूदे और पढ़े-लिखे भी. हर दिन स्कूल साथ में आना-जाना हुआ करता था. सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. जाने कब दोस्तों के दल में शामिल कई को शराब की लत पड़ गयी. धीरे-धीरे उनकी शराब की खुराक बढ़ती चली गयी और वे हमसे दूर होते चले गये. हम यह नहीं जानते थे कि सुलतानपुर भिट्ठी में कारोबार के नाम पर दारू बेचनेवाले कुछ लोगों की वजह से दोस्तों को बिछड़ना भी पड़ेगा. सबौर कॉलेज में पढ़ाई करनेवाले छात्र अमन व धर्मेंद्र इतना कहते हुए मायूस हो जाते हैं.
उनके गले भर जाते हैं. वे कहते हैं कि शराब की लत ने हमारे कई स्कूली दोस्तों की पढ़ाई-लिखाई छुड़वा दी. अब वह किसी के साथ भी दिन भर शराब पीने के पीछे लगे रहते हैं. शराब ने उन्हें बड़ों-बुजुर्गों की अदब करना ही भुला दिया है. घर में मां-बाप, भाई सब उससे परेशान हैं. शराब की शौक के कारण भिखारी कुमार, विकास, सौरभ, अक्षय आदि दर्जनों किशोर वय के लड़कों की जिंदगी बरबाद हो रही है.
भट्ठी तोड़ने से नहीं, जागरूकता से बदलेगी तसवीर : सुलतानपुर भिट्ठी के एक बुजुर्ग का कहना है कि यहां दारू की भट्ठी प्रशासन द्वारा कई बार तोड़ी गयी. दारू जब्त किया गया. दारू बनानेवाले उपकरण व बरतन सीज कर प्रशासनिक अधिकारी ले गये.
छापामारी में कई लोग गिरफ्तार भी हुए. लेकिन दारू का अवैध धंधा आज भी बदस्तूर जारी है. वे कहते हैं कि सिर्फ भट्ठी तोड़ने और कारोबारी को जेल में डालने भर से स्थिति सुधर नहीं सकती है. प्रशासन और विभिन्न संस्थाओं को भिट्ठी व उसके आसपास के इलाके में जागरूकता अभियान चलाना होगा.
गंदी जगह और गंदे बरतन का इस्तेमाल करते हैं : भिट्ठी गांव में बदबूदार माहौल के बीच गंदगी से पटे आंगन में बैठा कर मैले-कुचैले बरतन में दारू पिलायी जाती है. दारू के साथ यहां भोजन करने की भी व्यवस्था है. लेकिन यहां की गंदगी तो पूछिये मत. कई दिनों तक एक ही तेल में पकौड़े तले जाते हैं. जिस बरतन में भोजन पकाया जाता है,
उसे देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह कई दिनों से धुलाया नहीं गया है. मक्खियां भिनभिनाती रहती है. दारू बनाने में हानिकारक यूरिया और न जाने कौन-कौन सी नशे की टिकिया का इस्तेमाल किया जाता है. चिकित्सकों की माने तो ऐसे शराब का सेवन करना जहर पीने जैसा है. इसके इस्तेमाल से भले ही लोग तुरंत न मरे, लेकिन वे तिल तिल कर रोज मरते हैं.