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वर्ष 2015 / जेएलएनएमसीएच : उपलब्धियों के बीच चुनौतियां कायम

वर्ष 2015 / जेएलएनएमसीएच : उपलब्धियाें के बीच चुनौतियां कायमसंवाददाता, भागलपुरजवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हाॅस्पीटल पूरे साल डेंगू, अव्यवस्था, मरीजों की बढ़ती संख्या और सुविधाओं के अभाव से जूझता रहा. वर्ष 2015 की बात की जाय, तो इस साल अस्पताल के खाते में कई उपलब्धियां रही, लेकिन कई चुनौतियां कायम रही. अधीक्षक डॉ आरसी […]

वर्ष 2015 / जेएलएनएमसीएच : उपलब्धियाें के बीच चुनौतियां कायमसंवाददाता, भागलपुरजवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हाॅस्पीटल पूरे साल डेंगू, अव्यवस्था, मरीजों की बढ़ती संख्या और सुविधाओं के अभाव से जूझता रहा. वर्ष 2015 की बात की जाय, तो इस साल अस्पताल के खाते में कई उपलब्धियां रही, लेकिन कई चुनौतियां कायम रही. अधीक्षक डॉ आरसी मंडल कहते हैं इस अस्पताल में सफाई व्यवस्था काे पटरी पर लाना, अस्पताल को आइएसओ : 9001 का प्रमाणन दिलाना, मरीजों के लिए शुुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना और मरीजों के लिए एमआरआइ, इको जांच, नर्सों को उनके सात माह का वेतन का भुगतान कराने की चुनौती उनके समक्ष है. वर्ष 2015 की उपलब्धि -जुलाई 2015 में 16 स्लाइस वाली नयी सिटी स्कैन मशीन लगायी गयी. यह मशीन पूरे भागलपुर में नहीं है. इससे रोजाना 20-30 मरीजों का सिटी स्कैन नि:शुल्क होता है. -एक साल से खराब ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन को अगस्त 2015 में अस्पताल में चालू कराया गया, जिससे डेंगू व झुलसे मरीजों को चार घंटे में प्लेटलेट्स उपलब्ध कराया जा सका. -बिना लाइसेंस चल रहे ब्लड बैंक का लाइसेंस नवंबर माह में बनवाया गया. -मोतियाबिंद के मरीजों का फेको विधि से इलाज करने वाली फेको मशीन हाॅस्पिटल के आइ डिपार्टमेंट में लगी. यह पांच-छह जनवरी 2016 से काम करने लगेगी. -पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के आधार पर हाॅस्पिटल में बी-ब्रान कंपनी द्वारा डायलिसिस की करने की व्यवस्था मार्च से शुरू हुई. यहां पर डायलिसिस 1400 रुपये में होता है, जबकि बाहर डायलिसिस कराने का खर्चा 3000-3500 रुपये आता है. -बहरेपन की जांच के लिए ऑडियोमेट्री मशीन नवंबर में लगायी गयी. -अस्पताल में पांच कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड मशीन लगी, जिससे लोगों को रंगीन अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट मिलने लगी. अस्पताल में पहले से ही पांच ब्लैक एंड व्हाइट अल्ट्रासाउंड मशीन लगी हुई थी. -मायागंज अस्पताल में तीन शिफ्ट में एक्स-रे किया जाने लगा, जिससे मरीजों का 24 घंटे एक्सरे कराने की सुविधा मिलने लगी. -इस साल इसीजी की व्यवस्था अस्पताल के आउटडोर, इमरजेंसी और वार्डों में उपलब्ध करायी गयी. -जुलाई में अस्पताल में फेफड़े की जांच के लिए ब्रोंकोस्कोपी एवं पेट की जांच के लिए इंडोस्कोपी की व्यवस्था की गयी. ब्रोंकोस्कोपी की व्यवस्था शहर के किसी भी अस्पताल में नहीं है. -मार्च में नवजात शिशुओं के लिए एनआइसीयू (नियो इंटेसिव केयर यूनिट), बच्चों के लिए आइसीयू (इंटेसिव केयर यूनिट) और वयस्कों के लिए वार्ड में वेंटिलेटर की व्यवस्था की गयी. -दिसंबर में अस्पताल में कंट्रोल रूम की स्थापना की गयी, जिसका नंबर 2300217 है. यहां पर फोन कर हर प्रकार की जानकारी ली जा सकती है. ……………………………..यह अभी करना है बाकीअस्पताल के मुख्य अधीक्षक डॉ आरसी मंडल के मुताबिक, इस साल अस्पताल को आइएसओ : 9001 का प्रमाणन दिलाना उनकी प्राथमिकता में है. इसके अलावा अस्पताल को एमआरआइ जांच, इको मशीन लगाना भी उनकी प्राथमिकता में है. उन्होंने कहा कि इस साल शुद्ध पेयजल के लिए 1.20 लाख गैलन की क्षमतावाला वाटर टैंक लगेगा. हड्डी राेग विभाग में आर्थ्रोस्कोपी मशीन लगाने की व्यवस्था की जायेगी. इससे अस्पताल में घुटने का आॅपरेशन हो सकेगा. इस साल जनवरी में पेइंग गेस्ट चालू हो जायेगा. साफ-सफाई के लिए नयी एजेंसी का चयन कर लिया जायेगा. इसके अलावा अस्पताल के हर शौचालय को चकाचक किया जायेगा.

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