ट्रकों के गुजरने से थरथराने लगता है लोहिया पुल -महज सात साल में पुल हो गया बूढ़ा, गड्ढों के कारण बाहर निकल आये छड़, अक्सर बनी रहती दुर्घटना की आशंका संवाददाता, भागलपुर दक्षिणी शहर का लाइफ लाइन लोहिया पुल मात्रत्र सात साल में बूढ़ा हो गया. मेंटेनेंस के अभाव में गड्ढे बन गये हैं और छड़ बाहर निकल आया है. रेलिंग व फुटपाथ भी क्षतिग्रस्त हो गया है. पुल का ज्वाइंट एक्सपेंशन भी टूट गया है, जिससे हर गुजरने वाले ट्रकों से पुल थरथराने लगता है. कुल मिला कर स्थिति यह है कि पुल अब अंतिम सांसे गिनने लगा है. जिम्मेदार अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. पुल का निर्माण वर्ष 2008 में हुआ था. इसके निर्माण पर 25 करोड़ चार लाख 79 हजार रुपये की लागत आयी थी. यह पुल पश्चिम बंगालको भी जोड़ता है. रेलवे नहीं दे रहा ध्यान पुल का एक हिस्सा रेलवे ट्रैक के ऊपर है. यह हिस्सा काफी जर्जर है. इस हिस्से पर जैसे ही ट्रेन पहुंचती है, वैसे ही पूरा पुल थर्राने लगता है, जिसे क्षतिग्रस्त एक्सपेंशन ज्वाइंट के पास खड़े होकर देखा व महसूस किया जा सकता है. इसकी जानकारी रेलवे प्रशासन को भी है,लेकिन रेलवे अधिकारियों की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इस हिस्से में आयी खराबी उत्तरी छोर : कचहरी चौक भाग की ओर लंबाई पहुंच पथ के साथ : 140.55 मीटर दक्षिणी छोर : हंसडीहा भाग की लंबाई पहुंच पथ के साथ : 173.99 मीटर पश्चिमी छोर : स्टेशन भाग की लंबाई पहुंच पथ के साथ : 37.55 मीटर बॉक्स मैटर दो विभागों के पेच में सालों फंसा मेंटेनेंस का काम लोहिया पुल के अस्तित्व पर संकट का बादल मंडरा रहा है, लेकिन इसके मेंटेनेंस की जिम्मेदारी न तो एनएच विभाग और न ही पुल निर्माण निगम उठा रहा था, जिससे दो विभागों के पेच में मेंटनेंस कार्य फंसा रहा. पिछले साल दिसंबर में जब राष्ट्रीय उच्च पथ प्रमंडल, भागलपुर के कार्यपालक अभियंता लाल मोहन प्रजापति थे, तो स्पष्ट हुआ था कि लोहिया सेतु का निर्माण पुल निर्माण निगम ने किया है और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी एनएच विभाग को मिली है. बावजूद मेंटेनेंस की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. तत्कालीन चीफ इंजीनियर केदार बैठा ने भी एनएच के कार्यपालक अभियंता को मेंटेनेंस का प्रस्ताव बना कर भेजने का निर्देश दिये थे. चीफ इंजीनियर सेवानिवृत्त होने के साथ निर्देश की हवाहवाई हो गयी. ज्वाइंट एक्सपेंशन को मेटेरियल से भर कर बनाया था कामचलाऊ जिला प्रशासन ने एनएच के कार्यपालक अभियंता पर जब दबाव बनाया, तो उनकी ओर से ज्वाइंट एक्सपेंशन को मरम्मत करने के बजाय इसे मेटेरियल से भर दिया गया. वस्तुस्थिति यह है कि मेटेरियल निकल गया है. ज्वाइंट का गेपिंग बढ़ गया है. विशेषज्ञ के अनुसार किसी भी पुल का ज्वाइंट एक्शपेंशन महत्वपूर्ण पार्ट होता है. गरमी में फैलाव और ठंड में सिकुड़ने से पुल को होने वाले नुकसान को बचाता है. बावजूद इस महत्वपूर्ण पार्ट की मरम्मत करने के बजाय इसे छोड़ दिया है. क्षतिग्रस्त पुल से कई लोगों की गयी जानें लोहिया पुल क्षतिग्रस्त रहने से अबतक कई लोगों की जान गयी है. पुल पर गड्ढों के कारण स्कूटी अनियंत्रित होने से सेंट टेरेसा की शिक्षिका सहित कई लोगों की मौत हो चुकी है. पुल में जगह-जगह गहरे गड्ढों से निकलने वाले छड़ खतरनाक बन गये हैं, जिससे अक्सर दुर्घटना होने की आशंका बनी है.
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ट्रकों के गुजरने से थरथराने लगता है लोहिया पुल
ट्रकों के गुजरने से थरथराने लगता है लोहिया पुल -महज सात साल में पुल हो गया बूढ़ा, गड्ढों के कारण बाहर निकल आये छड़, अक्सर बनी रहती दुर्घटना की आशंका संवाददाता, भागलपुर दक्षिणी शहर का लाइफ लाइन लोहिया पुल मात्रत्र सात साल में बूढ़ा हो गया. मेंटेनेंस के अभाव में गड्ढे बन गये हैं और […]
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