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10 वर्षों से नहीं है जिले में यूनानी डॉक्टर

10 वर्षों से नहीं है जिले में यूनानी डॉक्टर- जिले के बेलारी व कमरिया सेंटर पर नहीं है होम्योपैथिक डॉक्टर- नवगछिया के राघोपुर सेंटर की सुरक्षा के लिए सिर्फ एक चपरासी है – सदर अस्पताल के जिला औषधालय में रोजाना आते हैं इलाज के लिए 25 से 30 मरीज संवाददाताभागलपुर : भागलपुर जिले में देसी […]

10 वर्षों से नहीं है जिले में यूनानी डॉक्टर- जिले के बेलारी व कमरिया सेंटर पर नहीं है होम्योपैथिक डॉक्टर- नवगछिया के राघोपुर सेंटर की सुरक्षा के लिए सिर्फ एक चपरासी है – सदर अस्पताल के जिला औषधालय में रोजाना आते हैं इलाज के लिए 25 से 30 मरीज संवाददाताभागलपुर : भागलपुर जिले में देसी चिकित्सालय पूरी तरह चरमरा गयी है. डॉक्टरों व दवा के अभाव में जिले के कई सेंटर सालों से बंद पड़े हैं. वहीं जो सेंटर चल रहे हैं, उसकी स्थिति भी कोई खास अच्छी नहीं है. सदर अस्पताल स्थित सेंटर पर होम्योपैथिक व आयुर्वेदिक के एक-एक डॉक्टर हैं, जबकि यूनानी के एक भी डॉक्टर नहीं है. यूनानी डॉक्टर तो जिले के किसी सेंटर पर नहीं हैं. जिला देसी चिकित्सा पदाधिकारी विजय कुमार शर्मा ने बताया कि पिछले 10 सालों से यूनानी डॉक्टर नहीं हैं. इसके बारे में कई बार निदेशक से पत्राचार किया गया. इतना ही नहीं तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्वनी चौबे को उन्होंने खुद मिल कर वस्तुस्थिति से अवगत कराया था, बावजूद इसके आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. मुख्यालय के अलावा जिले में छह देसी चिकित्सा केंद्रसदर अस्पताल परिसर में देसी चिकित्सा अस्पताल के अलावा जिले में होम्योपैथिक के दो, आयुर्वेदिक के तीन और यूनानी के एक देसी चिकित्सा केंद्र हैं. जिला देसी चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि बैकुंठपुर, तिलकपुर व बेलहर में आयुर्वेदिक केंद्र है. बेलारी व कमरिया में होम्योपैथिक केंद्र है और नवगछिया राघोपुर में एकमात्र यूनानी केंद्र है. यूनानी केंद्र पर पिछले 10 सालों से डॉक्टर नहीं है. इसके अलावा तीन साल पहले कंपाउंडर रिटायर्ड हो गया है, उसके बाद से कोई कंपाउंडर नियुक्त नहीं किया गया है. ज्वाइंट पेन, पेट व चर्म रोग के ज्यादा मरीज कराते हैं इलाजडॉक्टरों ने बताया कि होम्योपैथिक व आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से इलाज कराने के लिए ज्यादातर मरीज ज्वाइंट पेन, पेट की गड़बड़ी, एलर्जी, बाबासीर, चर्म रोग, मासिक धर्म की समस्या, लिकोरिया, एबनोरिया, डायबिटीज, श्वेत प्रदर, ब्लड डिजिज आदि समस्याओं से पीड़ित लोग आते हैं. जिला देसी चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि पिछले साल दवा के लिए मात्र एक लाख 20 हजार रुपये आवंटन हुआ था, लेकिन 2015-16 के लिए तीन लाख रुपये का आवंटन हुआ है. फिलहाल होम्योपैथिक दवा के रूप में करीब 50 प्रकार की दवाएं उपलब्ध है, जबकि 165 प्रकार की दवा होनी चाहिए. इसी प्रकार आयुर्वेदिक में 26 प्रकार की दवा में 4-5 प्रकार की दवा ही उपलब्ध है.

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