-राष्ट्रीय कार्यशाला में डॉ एए माओ ने दिया व्याख्यानफोटो : आशुतोषवरीय संवाददाता भागलपुरटीएनबी कॉलेज में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के चौथे दिन भी व्याख्यान व प्रायोगिक कक्षा का आयोजन किया गया. शिलांग से आये वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एए माओ ने विलुप्त हो रहे पौधों को टीशू कल्चर विधि से बचाने का तरीका बताया. उन्होंने कहा कि इस विधि द्वारा बिना बीज के पौधे के किसी भी माता से नये पौधों को उगाया जा सकता है. गंगटोक से आये डॉ डीके अग्रवाल ने ऑरकिड की संरचना, प्रकार, वर्गीकरण व कार्य पर प्रकाश डाला. उसे पहचानने का तरीका बताया. उन्होंने कहा कि ऑरकिड के फूलों को काफी दिनों तक बिना किसी संरक्षण के बचाया जा सकता है. इलाहाबाद से आयीं डॉ आरती गर्ग ने पौधों के पोलेन ग्रेन के महत्व पर प्रकाश डाला. इसके बाद प्रायोगिक कक्षा आयोजित की गयी. इसमें 60 प्रतिभागियों को ऑरकिड को पहचानने के तरीके और टीशू कल्चर के बारे में बताया गया. कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव डॉ एचके चौरसिया ने किया. संयोजन डॉ पी लक्ष्मी नरसिम्हन ने किया.
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प्रतिभागियों ने सीखा विलुप्त हो रहे पौधों को बचाना
-राष्ट्रीय कार्यशाला में डॉ एए माओ ने दिया व्याख्यानफोटो : आशुतोषवरीय संवाददाता भागलपुरटीएनबी कॉलेज में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के चौथे दिन भी व्याख्यान व प्रायोगिक कक्षा का आयोजन किया गया. शिलांग से आये वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एए माओ ने विलुप्त हो रहे पौधों को टीशू कल्चर विधि से बचाने का तरीका बताया. उन्होंने कहा कि […]
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