भागलपुर: श्रावणी मेला के दौरान सुलतानगंज को भीड़-भाड़ से बचाने व कांवरियों की सुविधा के लिए मेला क्षेत्र का नये सिरे से विकास किया जायेगा. इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से विस्तृत प्रपोजल तैयार किया गया है. 16 करोड़ पांच लाख रुपये के संभावित प्राक्कलन के साथ विकास का नक्शा व प्रस्ताव पर्यटन विभाग को स्वीकृति के लिए भेजा गया गया है. इस प्रस्ताव के आधार पर सरकार से विशेषज्ञों द्वारा डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का भी अनुरोध किया गया है.
श्रावणी मेला के दौरान सुलतानगंज के गंगा घाटों पर कांवरियों की जबरदस्त भीड़ उमड़ती है. रोजाना औसतन यहां से एक लाख कांवरिये गंगा जल लेकर देवघर के लिए रवाना होते हैं. ऐसी स्थिति में कांवरियों को सुविधा प्रदान करना प्रशासन के लिए भी चुनौती बनी रहती है. इसको ध्यान में रखते हुए यह विस्तृत प्रपोजल तैयार किया गया है.
प्रपोजल में मेला को राष्ट्रीय मेला के रूप में स्थापित करने एवं बिहार के पर्यटन के मुख्य केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए कई तरह के प्रस्ताव दिये गये हैं. प्रस्ताव में कार्ययोजना के साथ-साथ उस पर होने वाले संभावित खर्च का भी ब्योरा दिया गया है. प्रपोजल में घाट से दूर होती जा रही उत्तरवाहिनी गंगा को करीब लाने पर विशेष जोर दिया गया है. इसके लिए अजगैबीनाथ मंदिर से पहले सुलतानगंज के मसदी एनएच गेस्ट हाउस के पीछे से सीढ़ी घाट तक लगभग तीन किलोमीटर में धारा को पुनर्जीवित करने के लिए नदी के पेट से बालू निकासी कर कृत्रिम नहर का निर्माण करते हुए उसे मसजिद के आगे गंगा में वापस मिलाने की योजना है. इसके किनारे बोल्डर पीचिंग, स्लुइस गेट आदि बना कर उत्तरायणी धारा को किनारे तक लाकर कांवरियों के लिए सुविधाजनक बनाया जा सकता है.
इससे बाढ़ नियंत्रण की दिशा में भी मदद मिलेगी. इसके अलावा एक अहम कार्ययोजना में हरिद्वार में गंगा घाट पर बने संरचना की तर्ज पर यहां भी सीढ़ी घाट, अजगैबी मंदिर से बाइपास को जोड़ने वाली पुल एवं विभिन्न घाटों से उसको संबद्ध करने वाले पुलिया का निर्माण कराया जा सकता है. मेला के दौरान सुलतानगंज बाजार में अत्यधिक भीड़ के कारण यातायात व्यवस्था के अनियंत्रित होने का खतरा बना रहता है और अकसर भगदड़ की स्थिति भी बनी रहती है. इसके निर्माण से शहर में भीड़ कम होगी.
एवं श्रद्धालु भी सुलभ एवं सुरक्षित यात्र का आनंद ले पायेंगे. इसी तरह पर्यटन विभाग को भेजे गये प्रपोजल में श्रवणी मेला के लिए 17 तरह की कार्ययोजना तैयार की गयी है.