भागलपुर: सैंडिस कंपाउंड में चल रहे राज्य स्तरीय स्वास्थ्य महाकुंभ के समापन मौके पर रविवार को स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने राज्य वासियों को दो तोहफा दिया. जहां एक ओर राज्य के विभिन्न अस्पतालों में एक हजार एंबुलेंस दिये जायेंगे वहीं दूसरी ओर टेली पैथी मेडिसिन के माध्यम से मरीजों का इलाज किया जायेगा. इसका विधिवत उदघाटन करते हुए श्री चौबे ने कहा कि इस विधि से राज्य के लोगों को अपने जिले या नजदीकी अस्पताल से ही बड़े अस्पतालों के चिकित्सकों की सुविधा मिल जायेगी.
भागलपुर में हुआ उद्घाटन : फिलहाल यह व्यवस्था राज्य के 79 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं 19 सदर अस्पतालों में की गयी है. राज्य के सभी 531 पीएचसी को जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है. 150 पीएचसी को जून तक इस विधि से जोड़ दिया जायेगा. इसका ट्रायल लखीसराय और पटना में किया गया था. उदघाटन यहां से हुआ है यह यहां के लिए गौरव की बात है. उन्होंने टेली मेडिसिन के डायरेक्टर से कहा कि काम ठीक से होना चाहिए.
डायरेक्टर ने कहा कि 15 मई तक 98 पीएचसी एवं 30 जून तक बाकी 150 पीएचसी को जोड़ दिया जायेगा. भागलपुर के सदर अस्पताल, नवगछिया, सुलतानगंज, कहलगांव, पीरपैंती एवं सबौर में इसकी व्यवस्था की गयी है. उद्घाटन के दौरान पटना के एक चिकित्सक से बात कर मंत्री को दिखाया गया कि कैसे इस विधि से इलाज किया जाता है. इस विधि से जुड़े चिकित्सक डॉ गौरव ने बताया कि यह सुविधा बीपीएल एवं वाजपेयी आरोग्य श्री (इंश्योरेंस) से जुड़े मरीजों को फ्री में दी जायेगी बाकी मरीजों से कितनी राशि ली जायेगी यह स्टेट हेल्थ सोसाइटी तय करेगी.
क्या है टेली पैथी मेडिसिन
डॉ गौरव ने बताया कि इस विधि से सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल दरभंगा मेडिकल कॉलेज, आइजीएमएस, पीएचसीएच, गुरु गोविंद सिंह प्राइवेट अस्पताल, बेंगलुरु के अस्पताल, अपोलो के चिकित्सक आदि मरीज का इलाज करेंगे. इस मशीन में 11 तरह के टेस्ट किये जाते हैं जिसमें मरीजों की बीपी, इसीजी, इलेक्ट्रोनॉनिक माइक्रोस्कोप, तापमान, पल्स, यूरिन एनालाइजर, इएनटी, स्पाइरोमीटर, टीसी डीसी सहित अन्य जांच की जायेगी. इसका पिंट्र संबंधित अस्पताल में मौजूद मरीज को वहीं मिल जायेगा एवं उस अस्पताल के चिकित्सक मरीज का इलाज करेंगे. इसके लिए पैथोलॉजी जांच की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसके लिए एक आयुष चिकित्सक, एक पारा मेडिकल स्टाफ एवं एक कंप्यूटर ऑपरेटर संस्था की ओर से रहेंगे. यह सुविधा कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश में पहले से चल रही है. बिहार में सबसे अधिक अस्पतालों को इस विधि से जोड़ने की योजना है.