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गोली लगे मरीज के परिजनों ने जांच में देरी होने से किया हंगामा

भागलपुर : जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में भी इलाज करवाने के लिए लोगों को अब एम्स दिल्ली की तरह इंतजार करना पड़ रहा है. ओपीडी में आने वाले मरीजों को अल्ट्रासाउंड जांच के लिए दो माह से ज्यादा समय का इंतजार करना पड़ रहा है. जिसका परिणाम यह है कि मरीज दवा […]

भागलपुर : जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में भी इलाज करवाने के लिए लोगों को अब एम्स दिल्ली की तरह इंतजार करना पड़ रहा है. ओपीडी में आने वाले मरीजों को अल्ट्रासाउंड जांच के लिए दो माह से ज्यादा समय का इंतजार करना पड़ रहा है.

जिसका परिणाम यह है कि मरीज दवा तो यहां से ले रहे हैं, लेकिन जांच बाहर जाकर करवाना पड़ रहा. संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद यह परेशानी पर्याप्त संख्या में डॉक्टर नहीं होने की वजह से हो रही है. ऐसे में इमरजेंसी में मरीजों का जांच तो हो जाती है, लेकिन ओपीडी के मरीजों को जांच के नाम पर महीनों इंतजार करना पड़ रहा है.
जांच नहीं होने पर परिजनों ने किया अस्पताल में हंगामा : सुलतानगंज में गोली लगने से घायल हुए जय कुमार को लेकर परिजन मायागंज अस्पताल पहुंचे. पुरानी दुर्गा स्थान के समीप रहने वाले जय कुमार को डॉक्टरों ने खून और अल्ट्रासाउंड जांच के लिए लिखा. लेकिन रविवार होने की वजह से इमरजेंसी में खून की जांच करने वाले ही गायब थे.
जबकि अल्ट्रासाउंड जांच भी नहीं हो रहा था. बीस मिनट से ज्यादा वक्त तक परिजनों ने डॉक्टर एवं यहां के अन्य कर्मी से जांच कराने का आग्रह किया. जब कोई जांच को तैयार न हुआ, तो परिजनों ने हंगामा करना शुरू कर दिया. आधे घंटे तक हंगामा होता रहा.
परिजनों का आरोप था कि डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड जांच के लिए लिखा है. यहां कोई कर्मी नहीं है. पूछने पर बताया गया कि आज रविवार है और अल्ट्रासाउंड जांच भी तय लोगों का होता है. हंगामा होता देख अंत में इमरजेंसी के हेल्थ मैनेजर सामने आये और परिजनों की समस्या सुनने के बाद जांच की सुविधा उपलब्ध करवायी गयी.
सिर्फ चार स्टाफ के भरोसे रेडियोलॉजी विभाग
अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग में डॉक्टर की संख्या आधी है. यहां कम से कम आठ डॉक्टर रहना जरूरी है, लेकिन है अभी मात्र चार ही डॉक्टर हैं. इनपर अल्ट्रासाउंड जांच के साथ ही एक्स-रे व सिटी स्कैन की जिम्मेदारी है. ऐसे में दो सौ मरीजों की जांच करने के बाद रिपोर्ट भी बनानी होती है.
इस वजह से तय समय तक जांच करने के बाद मरीजों की रिपोर्ट तैयार की जाती है. इस प्रक्रिया और डॉक्टर की कमी से ओपीडी के मरीजों को दो से चार माह तक अल्ट्रासाउंड जांच के लिए इंतजार करना पड़ रहा है.
ओपीडी के मरीजों को खास तौर पर हो रही परेशानी
अस्पताल ओपीडी में आने वाले मरीजों को अल्ट्रासाउंड जांच में परेशानी हो रही है. यहां रोजाना औसतन 1500 करीब प्रति दिन आते हैं. जिसमें कम से कम रोजाना 60 से मरीजों को अल्ट्रासाउंड जांच लिखा जाता है.
वहीं, इमरजेंसी और विभिन्न विभागों में भर्ती मरीजों की भी जांच की जाती है. यहां के मरीजों को प्राथमिकता दी जाती है. खास कर ऐसे मरीज जिनका ऑपरेशन किया जाना है, उसे तुरंत जांच की सुविधा दी जाती है. कुल मिला कर अब भी अस्पताल में दो सौ लोगों का जांच यहां किया जा रहा है.

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