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बैंक खातों से वेतन नहीं निकालने वालों पर अब आयकर की सख्त नजर

भागलपुर : सरकारी या गैर सरकारी संस्थान में कार्यरत अधिकारी हैं या फिर कर्मचारी, आपके सैलरी एकाउंट पर आयकर की विशेष नजर है. वह अलग-अलग सोर्स के माध्यम से बैंक खातों की निगरानी कर रहा है. सैलरी अकाउंट से रुपये नहीं निकाल रहे हैं तो महंगा पड़ सकता है. आयकर विभाग कभी भी कार्रवाई कर […]

भागलपुर : सरकारी या गैर सरकारी संस्थान में कार्यरत अधिकारी हैं या फिर कर्मचारी, आपके सैलरी एकाउंट पर आयकर की विशेष नजर है. वह अलग-अलग सोर्स के माध्यम से बैंक खातों की निगरानी कर रहा है. सैलरी अकाउंट से रुपये नहीं निकाल रहे हैं तो महंगा पड़ सकता है. आयकर विभाग कभी भी कार्रवाई कर सकता है. सूत्रों की मानें तो सैलरी एकाउंट से लंबे समय तक रुपये न निकालना आयकर की नजर में संदिग्ध है. नोटिस भेज कर कारण तक पूछ सकता है या फिर संतोषप्रद जवाब नहीं मिलने पर बैंक खाते को सीज कर सकता है. वेतन धारकों के खातों की मॉनीटरिंग की जा रही है.
दूसरी आय है तो सोर्स पूछ सकता है
वैसे वेतनधारी जो लंबे समय से सैलरी अकाउंट से रुपये नहीं निकाल रहे हैं वह शक के दायरे में आता है. सैलरी नहीं निकलने से यह मालूम पड़ता है कि उन्हें सैलरी की जरूरत नहीं है. वह अन्य कमाई के चलते ऐसा कर रहा है. हालांकि, अन्य कमाई परिवार के दूसरे सदस्य के सोर्स से भी हो सकता है. दूसरी आय का सोर्स पूछ सकता है. उन्हें आयकर को सोर्स बताना पड़ सकता है.
सिस्टम है नादान, ऐसे ही झेलते रहिए श्रीमान
नगर सरकार का एक साल पूरा हो चुका है. स्मार्ट सिटी की लांचिंग के भी लगभग डेढ़ साल बीत गये. अगर घोषणा की बात करें तो दो साल से ज्यादा हो गये. 16 अप्रैल 2016 में भागलपुर को स्मार्ट सिटी की लिस्ट में शामिल किया गया था. फिर जनवरी 2017 में शहर के एक बड़े होटल में इसकी भव्य लांचिंग के साथ ही इस शहर को पैसे मिलने भी शुरू हो गये थे. अब तक भागलपुर को स्मार्ट बनाने के लिए सरकार ने 380 करोड़ रुपये उपलब्ध करा दिये हैं. खर्च के नाम पर लगभग नौ करोड़ रुपये खर्च भी दिखाये गये हैं. पर उपलब्धि के नाम पर शहर के हिस्से में आया है पार्षदों का मथफुटौव्वल, नगर आयुक्त और मेयर-डिप्टी मेयर के बीच का रार और निगम की मनमानी.
विकास के लिए होनेवाली बैठकों का नहीं होना, होना भी तो उसमें लिये गये निर्णयों को डस्टबीन में डाल देना भी अभी निगम के लेटेस्ट फैशन में है. अभी बरसात शुरू नहीं हुए हैं, पर शहर की दशा बद से बदतर बनी हुई है. लोगों में भय है कि अगर बारिश हो गयी तो भगवान ही मालिक है. अगर कोई काम भी हो रहा है तो उसका तरीका सही नहीं, इस कारण काम से सुविधा कम दुविधा ज्यादा हो गयी है. शनिवार को हमारे छायाकार साथियों ने शहर के कुछ हिस्सों को अपने कैमरे की नजर से देखा, जो तसवीर दिखी वह डरावनी थी. आप भी देखें और मनन करें कि क्यों नहीं होनी चाहिए महामारी.
न पानी िनकाल रहे और न ही ब्लीचिंग का छिड़काव
वेरायटी चौक की स्थिति बदतर होते जा रही है. यदि निगम वहां पर पप सेट लगाकर नाले के पानी को दूसरे नाला में बहा देता, तो हालात इस कदर बदतर न होते. इन सभी इलाकों में ब्लीचिंग पाउडर का ही छिड़काव नहीं किया गया. यदि यहां पर कुछ दिन तक और ऐसे ही हालात बने रहे तो महामारी फैल की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता. लोगों में इस बात को लेकर चर्चा है कि आखिर डिप्टी मेयर के वार्ड में सही व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है. क्या इलाके के लोगों को आंदोलन करना होगा.
वेरायटी चौक के लोग पांच दिन करें इंतजार : दूसरी ओर योजना शाखा प्रभारी के अनुसार नाला निर्माण में लगभग पांच दिन का और समय लगेगा. तब तक यहां पहुंचनेवाले लोगों को यह मुसीबत झेलनी ही पड़ेगी.
Prabhat Khabar Digital Desk
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