30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार : पहली ही गोली से हुई थी दारोगा की मौत…..जानें क्या हुआ था उस काली रात को

23 जून सोमवार 2014 की वह काली रात… जानें क्या हुआ था… शाहकुंड थाना क्षेत्र के पचरुखी-खुलनी पथ के बांध के पास 23 जून 2014 की रात साढ़े आठ बजे रमनी बहियार में पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़ हो गयी थी. इसमें शाहकुंड थाने में पदस्थापित दारोगा अविनाश कुमार (35) शहीद हो गये थे. […]

23 जून सोमवार 2014 की वह काली रात… जानें क्या हुआ था…
शाहकुंड थाना क्षेत्र के पचरुखी-खुलनी पथ के बांध के पास 23 जून 2014 की रात साढ़े आठ बजे रमनी बहियार में पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़ हो गयी थी. इसमें शाहकुंड थाने में पदस्थापित दारोगा अविनाश कुमार (35) शहीद हो गये थे. अपराधियों ने दारोगा की नाक में गोली मारी थी. पुलिस ने इस सिलसिले में खुलनी गांव निवासी तारणी मंडल को गिरफ्तार किया था, जिन्हें बाद में आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी. शहीद अविनाश 2009 बैच के दारोगा थे और मूलत: मुंगेर जिले के महादेवपुर, नौवागढ़ी के रहने वाले थे. 2012 में उनकी शादी नौवागढ़ी के ही जानकी नगर में हुई थी.
भागलपुर : उस घटना के चस्मदीद पुलिसकर्मी 23 जून सोमवार 2014 की वह काली रात नहीं भूल पाये हैं. इस मामले में जब-जब किसी की सजा होती है या फिर आरोपित की गिरफ्तारी होती है, लोग दारोगा अविनाश को जरूर याद करते हैं. पुलिस कर्मियों ने रविवार को मुख्य आरोपित घोलटा यादव की गिरफ्तारी की बात सुनकर एक बार फिर पुरानी बातों को याद करनी शुरू कर दी.
नहीं था अनुमान, अपराधी कर देंगे फायरिंग : पुलिस को अनुमान नहीं था कि जिस अपराधी का वे लोग पीछा कर रहे हैं, वे फायरिंग कर देंगे. यहां दारोगा अविनाश से चूक हुई थी.
इसका फायदा अपराधियों ने उठा लिया था. दारोगा का सर्विस पिस्टल कमर में ही बंधा रह गया था. पुलिस अपराधियों का मंसूबा भांप ही नहीं सकी. प्रत्यक्षदर्शी पुलिसकर्मियों ने बताया था कि हमलोग अपराधियों को आगे जाकर दबोचना चाह रहे थे. इस वजह से जीप को सड़क पर ही खड़ा कर दिया गया और उसकी हेड लाइट को बंद कर दिया.
इसके बाद पुलिस बलों के साथ दारोगा अविनाश आगे बढ़े. अविनाश आगे से एंबुस कर कर अपराधियों को दबोचना की फिराक में थे. यहीं चूक हुई. अपराधी को दबोचने के क्रम में फायरिंग शुरू हो गयी. अपराधियों की पहली गोली में दारोगा जख्मी हो गये. दारोगा को जख्मी होते देख पुलिस बलों ने फायरिंग की. पुलिस तुरंत मौके पर से दारोगा को उठा कर अस्पताल ले गयी.
परिजनों ने आरोपितों को फांसी की सजा की मांग की थी: घटना के बाद दारोगा अविनाश के परिजनों ने तत्कालीन डीआइजी से आरोपितों को फांसी की सजा दिलाने की मांग की थी.
जेएलएनएमसीएच परिसर में ही अपने भाई का शव देखने के बाद डीआइजी के पास पहुंचे शहीद अविनाश कुमार के छोटे भाई मनोज कुमार उर्फ छैला ने ये मांग रखी. छैला ने कहा था- हम कुछ नहीं सुनना चाहते. केवल मेरे भाई को गोली मारनेवाले को फांसी दिला दीजिए. अगर फांसी नहीं दी गयी, तो हम सरेआम आत्महत्या कर लेंगे. मालूम हो कि अविनाश की मां कैंसर से पीड़ित रही है.
पहले भी शहीद हो चुके हैं दारोगा: भागलपुर में 12 साल पूर्व सुल्तानगंज इलाके में दारोगा चंद्रिका पासवान को डकैतों ने गोली मार दी थी. इससे उनकी मौत हो गयी थी.
अपराधियों के लिए मुफीद रहा है शाहकुंड: अपराधियों के लिए शाहकुंड मुफीद जगह रहा है.यहां हमेशा अपराधियों का बोलबाला रहा है. शाहकुंड से सटे अमरपुर, सुल्तानगंज, अकबरनगर, सजौर आदि थाना क्षेत्र में अपराधी वारदातों को अंजाम देते रहे हैं. सात साल पहले अकबरनगर-शाहकुंड पथ के चानन पुल के पास नक्सलियों ने पुलिस पिकेट पर हमला कर बीएमपी के जवानों को जख्मी कर हथियार लूट लिया था. ऐसे भी इस सड़क में गाहे- बगाहे लूटपाट की घटना होते रहती है. 2013 में भी पेट्रोल पंप मालिक पर रंगदारी नहीं देने की वजह से जानलेवा हमला हुआ था. चूंकि शाहकुंड कई थाना क्षेत्र से घिरा हुआ है. इस भौगोलिक स्थिति का भी लाभ अपराधी खूब उठाते रहे हैं.
तारिणी मंडल को मिल चुकी है आजीवन कारावास की सजा
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (द्वितीय) जयप्रकाश की अदालत ने नौवागढ़ी निवासी दारोगा अविनाश कुमार हत्याकांड तथा अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम मामले में अभियुक्त तारणी मंडल को आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. अधिवक्ताओं के अनुसार इस मामले में केस के अनुसंधानकर्ता समेत 18 लोगों की गवाही हुई थी. अन्य आरोपित सिंटू यादव व संजीव यादव उर्फ संजय कुमार यादव को साक्ष्य के अभाव में न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया था.
पुलिस कर्मियों की जुबानी, उस रात की कहानी
चार-एक के बल के साथ अविनाश रात्रि गश्ती में थे. इस दौरान पचरुखी बाजार पहुंचने पर सूचना मिली थी कि दो अपराधी हाथ में पिस्तौल लिये अभी-अभी बहियार की ओर से भागे हैं. दोनों ही अपराधी पचरुखी बाजार के मुर्गा व्यवसायी से रंगदारी मांगने पहुंचे थे. पुलिस गश्ती दल ने दोनों अपराधियों का पीछा करना शुरू कर दिया. खुलनी पहुंचने पर आगे रास्ता नहीं था.
इस कारण दारोगा अविनाश पुलिस बलों को लेकर जीप से उतर गये और पैदल ही अपराधियों का पीछा करने लगे. बहियार में अंधेरा था. इस कारण पुलिस को अपराधी नहीं दिखे. अपने को घिरे देखकर अपराधी पुलिस को टारगेट कर फायरिंग करने लगे. अपराधियों की पहली ही गोली दारोगा अविनाश की नाक में लग गयी और वे गिर पड़े. यह देख गश्ती दल के अन्य सिपाहियों ने फायरिंग शुरू कर दी. जवाब में अपराधियों ने भी फायरिंग की, लेकिन अंधेरे का फायदा उठा कर अपराधी भाग निकले.
साजिश की चर्चा ने फिर पकड़ा जोर
मुठभेड़ के बाद पुलिस महकमे में यह चर्चा होती रही थी कि अपराधियों ने सिर्फ दारोगा अविनाश को ही क्यों टारगेट किया. क्या इसके पीछे कोई सोची-समझी साजिश है? जिस दुकानदार से अपराधी रंगदारी मांगने पहुंचे थे उस दुकानदार ने पुलिस को बताया कि दो लोग हथियार लेकर उनके दुकान पर आये और मात्र 50 रुपये रंगदारी मांगी. लोगों का कहना था कि सोची-समझी साजिश के तहत पुलिस को पंचरुखी बुलाया गया. इस बिंदु पर भी इस हत्याकांड में जांच हुई थी. टोपला के पकड़े जाने के बाद एक बार फिर इस चर्चे ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है.
अविनाश शांत मिलनसार थे . अविनाश के साथ काम कर चुके पुलिस कर्मी बताते हैं कि वे शांत व मिलनसार थे. लोकसभा चुनाव के दौरान ही दारोगा अविनाश की बदली हुई थी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें