इनमें उन योजनाओं का भी ब्योरा वर्ष 2014 से मांगा जाता रहा, जिनकी राशि खाते से गायब है. ऐसे में यह सवाल अब भी जिंदा है कि अमुक योजनाओं का सरकार को जवाब देने के लिए क्या विभाग ने खाते और योजनाओं की पड़ताल की. गत अप्रैल में भी पंचायती राज विभाग के निदेशक ने योजनाओं की राशि का हिसाब वीडियो कांफ्रेंसिंग कर मांगा था. निदेशक को जवाब देने के लिए अप्रैल में भी खाते और योजनाओं की पड़ताल की गयी होती, तो असलियत का पता बहुत पहले चल गया होता. लेकिन गंभीरता तब बरती गयी, जब घोटाले-दर-घोटाले का पटाक्षेप होना शुरू हुआ.
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आंगनबाड़ी केंद्रों का भी पैसा खा गयी सृजन
भागलपुर: सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड द्वारा सरकारी खातों से अवैध तरीके से करोड़ों की राशि की निकासी की गयी. इसमें जिला परिषद के 13वें वित्त आयोग की भी राशि थी. 13वें वित्त आयोग की राशि से सरकार ने जिला परिषद को आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण करने का निर्देश दिया था. दूसरी ओर मामले […]
भागलपुर: सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड द्वारा सरकारी खातों से अवैध तरीके से करोड़ों की राशि की निकासी की गयी. इसमें जिला परिषद के 13वें वित्त आयोग की भी राशि थी. 13वें वित्त आयोग की राशि से सरकार ने जिला परिषद को आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण करने का निर्देश दिया था.
दूसरी ओर मामले में एक पहलू यह भी है कि अगर सरकार द्वारा भेजी गयी राशि समय के साथ संबंधित योजना पर खर्च की जाती, तो किसी और के द्वारा राशि की निकासी नहीं हो पाती. यही नहीं, सरकार के द्वारा समय-समय पर राशि की स्थिति, योजनाओं पर किये गये खर्च आदि का ब्योरा भी मांगा जाता रहा.
सवाल तो उठेंगे
सरकार के पंचायती राज विभाग के तत्कालीन निदेशक दीपक आनंद ने 12 सितंबर 2014 और फिर 24 नवंबर 2014 को चतुर्थ राज्य वित्त आयोग की राशि का हिसाब मांगा था, तो जिला परिषद ने क्या दिया था जवाब. इस योजना की 11.09 करोड़ रुपये राशि से गायब हुई है.
पंचायती राज विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव शशि शेखर शर्मा ने 24 नवंबर 2014 को 13वें वित्त आयोग की राशि का हिसाब भी मांगा था. जिला परिषद ने क्या जवाब दिया. इस योजना की 42 करोड़ की राशि गायब है.
27 अप्रैल 2017 को पंचायती राज विभाग के निदेशक कुलदीप नारायण की अध्यक्षता में जिलों के पंचायत राज पदाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग हुई थी. इसमें निदेशक ने बीआरजेएफ, 13वें वित्त आयोग, मुख्यमंत्री ग्रामोदय योजना, चतुर्थ राज्य वित्त आयोग आदि की भी लंबित उपयोगिता प्रमाणपत्र 15 दिनों के अंदर जमा करने का निर्देश दिया था. इसका जिला परिषद ने क्या जवाब दिया या फाइल ही दबा दी गयी. इसकी जांच हो, तो कई भेद खुल सकते हैं.
क्या है 13वें वित्त आयोग
राज्य सरकार के पंचायती राज विभाग ने 24 जनवरी 2014 को महालेखाकार को एक पत्र जारी किया था. इसमें 13वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर वर्ष 2010-11 से 2014-15 तक के लिए भारत सरकार से प्राप्त होनेवाली अनुदान राशि को राज्य की पंचायत राज संस्थाओं द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण के अलावा अन्य कार्यों में राशि व्यय करने की स्वीकृति दी थी. इस राशि को तीन भाग में विभक्त किया गया था. यानी जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायत को 10:20:70 के अनुपात में दी गयी थी.
मुख्यमंत्री ग्रामोदय योजना से क्या होना था
मुख्यमंत्री ग्रामोदय योजना से गांवों में विभिन्न सरकारी भवनों का निर्माण या उसकी मरम्मत होनी थी. अगर यह होती, तो गांव में विकास झलकता. लेकिन भागलपुर में इसके लिए जमा हुई राशि ही कोई और ले उड़ा.
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