निर्णय. भागलपुर दंगा मामले में कामेश्वर यादव को कोर्ट से किया गया बरी
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फैसले की खबर फैलते ही होने लगी चर्चा
निर्णय. भागलपुर दंगा मामले में कामेश्वर यादव को कोर्ट से किया गया बरी भागलपुर : कामेश्वर यादव बरी हो गये. दस वर्ष के बाद वह फिर जेल से बाहर आयेंगे. परिजन खुश हैं, तो शुभचिंतकों में भी उनके जेल से बाहर आने की बेसब्री है. परबत्ती व आसपास के मोहल्ले के लोगों में कोर्ट के […]
भागलपुर : कामेश्वर यादव बरी हो गये. दस वर्ष के बाद वह फिर जेल से बाहर आयेंगे. परिजन खुश हैं, तो शुभचिंतकों में भी उनके जेल से बाहर आने की बेसब्री है. परबत्ती व आसपास के मोहल्ले के लोगों में कोर्ट के फैसले की चर्चा दिन भर होती रही. लोगों में उत्सुकता इस बात को लेकर अधिक थी कि किस दिन वह जेल से बाहर निकलेंगे.
भागलपुर दंगा कांड के बाद चर्चित कामेश्वर यादव जेल जाने से पूर्व हमेशा सुर्खियों में बने रहे. चाहे शहर में सबसे अधिक संवेदनशील माने जानेवाले काली पूजा का आयोजन हो या फिर सोनपुर मेला में राज्य सरकार द्वारा पुरस्कृत करने का हो. कभी प्रशंसा हुई तो कभी आलोचना का भी सामना करना पड़ा. राजनीति में भी भाग्य आजमाया, लेकिन जीत नहीं हुई. नाथनगर विधानसभा सीट से उन्होंने कई बार चुनाव लड़ा.
एक पुत्र की हो चुकी है हत्या. कामेश्वर यादव के एक पुत्र संजय यादव की लगभग 18 वर्ष पूर्व अपराधियों ने हत्या कर दी थी.
इस घटना ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया. इस घटना के कुछ दिन बाद परबत्ती में एक गोलीबारी की घटना में उनकी पत्नी की भी मौत हो गयी. संजय के नजदीकी बब्बन चौबे, संजू मंडल आदि ने बताया कि इन घटनाओं ने उन्हें तोड़ दिया. हालांकि लोगों के सामने उन्होंने इसे कभी जाहिर नहीं होने दिया. संजू की मानें तो कभी भी कोई जरूरतमंद उनके पास पहुंचे तो बिना मदद के उन्हें जाने नहीं देते. मोहल्ले के लोगों में कोई विवाद हो, तो वह उस विवाद का हल मौके पर ही कर देते थे. यही कारण है कि गुरुवार को जब उनके रिहा होने की खबर इलाके में फैली तो लोग इस खबर की पुष्टि मोबाइल पर करते दिखे.
मुख्य बातें
24 अक्तूबर 1989 से छह दिसंबर 1989 तक रहा था दंगा का प्रभाव.
भागलपुर व आसपास के 250 गांव प्रभावित हुए.
50 हजार परिवार को विस्थापित होना पड़ा था.
22 और 23 फरवरी 1990 को भी दो घटनाएं घटी थी.
जस्टिस शमशुल हसन और आरएन प्रसाद कमीशन की रिपोर्ट.
1852 लोग मारे गये और 524 लोग घायल हुए थे
600 पावरलूम, 1700 हैंडलूम और 11 हजार 500 मकान क्षतिग्रस्त हुए थे.
कुल 48 हजार लोग प्रभावित हुए थे.
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