चेरियाबरियारपुर. बूढ़ी गंडक नदी का जल पिछले एक सप्ताह से विषाक्त हो गया है. सालों भर अपनी स्वच्छ जल से गतिमान रहने वाली उक्त नदी के पानी का रंग भी विगत एक सप्ताह से बिलकुल बदल गया है. जबकि पानी से विषैले एवं दुर्गंध वाली बू भी आ रही है. जिसके फलस्वरूप नदी में स्नान करना एवं कपड़ा धोना भी मुश्किल हो गया है. जबकि उक्त विषाक्त पानी में मछलियों के जीवन पर भी गहरा संकट दिखाई दे रहा है. बीते एक सप्ताह पूर्व तक जहां उक्त नदी के स्वच्छ एवं पवित्र जल में जो मछलियां गोताजन होकर तैरते हुए शिकारमाही को छका कर आगे निकल जाती थी. वहीं, मछलियां आज विषाक्त पानी में अपने जीवन से निढाल होकर बेहोशी के आलम में तड़प तड़प कर जान देने के लिए मजबूर है. ऐसा प्रतित होता है जैसे इन मछलियों के लिए प्रलय आ गया हो. एवं मानव रूपी दानव इन तड़पती मछलियों को अपना शिकार बनाने के लिए टूट पड़े हों. बताया जाता है बड़ी बड़ी आठ से दस किलो वजन तक की मछलियां विषाक्त पानी को सहन नहीं कर पा रही है. फलत: बेहोश होकर ऐसी मछलियां किनारे से लग जा रही है.जहां पहले से घात लगाए बैठे शिकारमाहियों के द्वारा उसका शिकार किया जा रहा है. बूढ़ी गंडक नदी के पानी विषाक्त होने संबंधी पड़ताल के दौरान लोगों ने बताया हर साल जुट मिल में कार्य समाप्ति के उपरांत सफाई की जाती है. सफाई के दौरान मिल से निकलने वाला कचरा एवं गंदगी को नदी में बहा दिया जाता है. फलत: मिल से निकली गंदगी के कारण पानी विषाक्त हो जाता है. इस ओर से प्रशासन अब-तक बेजार है. जिसके फलस्वरूप हर साल लोगों को कम-से-कम दस दिनों तक परेशानी झेलनी पड़ती है. जबकि इन दस दिनों के अंदर भारी मात्रा में मछलियां अपनी जान गंवा बैठती हैं. बूढ़ी गंडक नदी के जल से मुख्यमंत्री साथ निश्चय योजना अंतर्गत प्रखंड के पांच पंचायतों में नीर निर्मल जल परियोजना के तहत आम व अवाम को आयरनमुक्त शुद्ध पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य है. तथा सभी पांच पंचायतों में विभाग द्वारा शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है. सूत्रों की मानें तो शुद्ध पेयजल आपूर्ति भी गंदगी के कारण प्रभावित हुआ है. उक्त बाबत समाजिक कार्यकर्ता डॉ सत्येंद्र कुमार झा उर्फ भोला जी ने बताया गंदगी की सफाई के लिए केमिकल का उपयोग भी किया जा रहा है. परंतु अब तक पानी साफ़ नहीं हुआ है. जिससे भीषण गर्मी में लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. इस संबंध में चेरियाबरियारपुर बीडीओ प्रियतम सम्राट ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है. वरीय अधिकारी को प्रतिवेदित किया जा रहा है, ताकि उक्त समस्या से स्थानीय नागरिकों को स्थायी रूप से निजात मिल सके.
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बूढ़ी गंडक नदी का पानी विषाक्त, तड़प कर मछलियों की जा रही जान
बूढ़ी गंडक नदी का जल पिछले एक सप्ताह से विषाक्त हो गया है. सालों भर अपनी स्वच्छ जल से गतिमान रहने वाली उक्त नदी के पानी का रंग भी विगत एक सप्ताह से बिलकुल बदल गया है
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