मंझौल : इस वर्ष चैत में अष्टमी युक्त रामनवमी मंगलवार को हो रहा है. जो राष्ट्र के लिए सभी प्रकार से मंगल प्रद कहा जाता है. देश देशांतर के विशिष्ट तांत्रिक गण मां जय मंगला के शरण में दृष्टि गोचर होंगे. स्वयं भगवान शंकर ने भी इसी दिन, तिथि, मुहूर्त में मां आध्या की स्तुति किया था. मां प्रकट होकर विजय भाव का वरदान दिया था.
ये बातें सिद्ध आश्रम मां काली धाम सिमरिया घाट के संरक्षक स्वामी चिदात्ममन देव जी महाराज ने सोमवार को जयमंगला गढ़ मंदिर परिसर में वसंत नवरात्र के अवसर पर अनंत श्री कोटि हवनात्मक अंबा यज्ञ हवन पूजन के बाद कहीं. उन्होंने कहा विश्व के साहित्य में वेद को सबसे पुराना और अपौरु षेय कहा गया है. जिसमें प्रकृति के अंतर्गत त्रिगुण, अाध्यात्मिक, त्रिबीज और तीन स्थान पर सुशोभित है.
कामाख्या, विंध्याचल और जयमंगलामा कामाख्या, ब्रह्मपुत्र के किनारे, विंध्यवासिनी, गंगा के किनारे और जय मंगला मां 14 कोश झील के मध्य स्थित है. यह झील एशिया महादेश में विशिष्ट स्थान रखता है. यहां रक्त, श्वेत और नीली तीनों प्रकार का कमल खिलता है. त्रिपुरासुर संघार के समय जब पृथ्वी रूपी रथ पर चारों वेद को घोड़ा बनाकर ब्रह्मा जी को सारथी और विष्णु भगवान को प्रत्यंचा पर लेकर शंकर भगवान चलते हैं, तो प्रथम स्तुति जय प्राप्ति के लिए सर्वमंगला भगवती की स्तुति करते हैं. विजय उपरांत शंकर भगवान की स्तुति से प्रसन्न वह पर अम्मा संसार के कल्याण के लिए जय मंगला के रूप में सदा के लिए प्रतिष्ठित हो गयी.