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पहले पति व फिर युवा पुत्र को खोकर टूट चुकी है मीना

चंद मिनटों में ही मां के सारे सपने हो गये ध्वस्त बेगूसराय : ठीक ही कहा गया है जो नसीब में लिखा होता है वही होता है. कुछ इसी तरह की घटना जिले के बरौनी थाना क्षेत्र के हाजीपुर निवासी मीना देवी के साथ घटी है. अत्यंत गरीब परिवार में रह रही मीना की शायद […]

चंद मिनटों में ही मां के सारे सपने हो गये ध्वस्त

बेगूसराय : ठीक ही कहा गया है जो नसीब में लिखा होता है वही होता है. कुछ इसी तरह की घटना जिले के बरौनी थाना क्षेत्र के हाजीपुर निवासी मीना देवी के साथ घटी है. अत्यंत गरीब परिवार में रह रही मीना की शायद किस्मत ही थी कि पहले पति फिर बाद में युवा पुत्र की मौत ने उसे बेसहारा कर दिया. मीना के पति महेंद्र मल्लिक जो सीआरपीएफ में उत्तर प्रदेश में कार्यरत थे. 20 अगस्त, 2012 को अचानक हर्ट अटैक में मौत हो गयी.पति के मौत के बाद मीना पहले तो काफी टूट गयी लेकिन अपने पुत्रों को देख कर वो फिर से तमाम बाधाओं को पार करते हुए जिंदगी की गाड़ी खींचनी शुरू कर दी.
इसी क्रम में पिता महेंद्र मल्लिक के जगह पर पुत्र जितेंद्र मल्लिक की नौकरी सीआरपीएफ में लग गयी.इसके बाद वह जम्मू कश्मीर में ड्यूटी करने लगा. कुछ दिन पूर्व ही जब वह घर आया तो मां मीना काफी प्रसन्न थी और अपने बेटे के सामने शादी का प्रस्ताव रखा था. बेटे ने मुस्कुरा कर उसे टालते हुए कहा कि मां कुछ दिन और इंतजार कर लो. लेकिन जितेंद्र को यह क्या पता कि वह अपनी मां की मंशा को पूरा नहीं कर पायेगा. अपने परिवार में रह कर पुन: वह अपनी ड्यूटी के लिए रवाना हुआ था. बताया जाता है कि जितेंद्र काफी होनहार युवक था. पढ़ाई के प्रति शुरू से ही उसकी ललक थी. साहित्य से उसका गहरा लगाव था.
उसके घर के लोग बताते हैं कि जब वह घर आता था तो उस समय भी किताब साथ में ही रखता था. विभाग के लोग भी उसके व्यवहार से काफी खुश थे. अचानक तीन दिन पूर्व जितेंद्र के घर पर मनहूस खबर लिए एक फोन आया कि जितेंद्र की तबीयत काफी खराब हो गयी है. मां मीना के साथ-साथ परिवार के किसी भी लोगों को यह विश्वाश नहीं हो रहा था.
मां काफी घबरा गयी. कुछ देर बात ही दूसरा फोन आता है कि आपलोग जम्मू कश्मीर के लिए वहां से रवाना हो जाइये. जितेंद्र की तबियत काफी बिगड़ चुकी है. इस फोन के बाद तो पूरे परिवार में लगा कि विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है. इसी बीच तीसरा फोन आया. जिसमें जितेंद्र के नहीं रहने की खबर थी. इसके बाद तो परिवार में कोहराम मच गया.
पीड़ित परिवार के घर लोगों की भीड़ जमा हो गयी. आने वाले हर कोई जितेंद्र की लोकप्रियता की चर्चा कर रहे थे.जैसे ही सोमवार को सीआईएसएफ के जवानों की टीम जितेंद्र के पार्थिव शव को लेकर उसके गांव पहुंचा कि अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. हर किसी के आंखों में आंसू जितेंद्र की लोकप्रियता को दर्शा रहा था. हाजीपुर से लेकर सिमरिया गंगा तट में अंतिम यात्रा में लोगों की भीड़ लगी रही. पहले पिता फिर अपने युवा पुत्र को खोने के बाद भी मां मीना देवी के हौंसले इस बात के लिए बुलंद है कि उसका परिवार देश सेवा में काम आया है.

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