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अपरंपार है बखरी पुरानी दुर्गा मंदिर की महिमा

बखरी : आज से तकरीबन 500 वर्ष पूर्व परमार वंश के सम्राट राजा भोज की नगरी धारनगर (म. प्र.) से उनके वंशज राजा थान सिंह और राजा मान सिंह बखरी आये. प्राकृतिक आपदाओं से परेशान दोनों भाइयों ने दुर्गा की स्वर्ण प्रतिमा के साथ एक दुर्गा मंदिर की स्थापना की. कुछ वर्षों के बाद राजा […]

बखरी : आज से तकरीबन 500 वर्ष पूर्व परमार वंश के सम्राट राजा भोज की नगरी धारनगर (म. प्र.) से उनके वंशज राजा थान सिंह और राजा मान सिंह बखरी आये. प्राकृतिक आपदाओं से परेशान दोनों भाइयों ने दुर्गा की स्वर्ण प्रतिमा के साथ एक दुर्गा मंदिर की स्थापना की. कुछ वर्षों के बाद राजा मान सिंह बिना किसी को बताये रातों रात स्वर्ण प्रतिमा को सरौंजा -भोटिया (सहरसा) ले गये और वहीं एक मंदिर बनाकर उस मूर्ति को स्थापित कर दिया . एक किंवदंती के अनुसार राजा थान सिंह को मां दुर्गा ने स्वप्न में कहा कि मैं यहां से कहीं नहीं गयी हूं. तुम दशहरा में मेरी मिट्टी की प्रतिमा बनाकर मेरी पूजा करो सबका कल्याण होगा. इसके बाद इस इलाके के लोग अमन चैन की जिंदगी जीने लगे.

यह मंदिर आज अपने आधुनिकतम रूप में है : प्राचीन काल से ही इस मंदिर का संचालन थान सिंह के वंशज परमारवंशीय अठखूंटी के लोग करते आ रहे हैं . इस मंदिर में जब आय का कोई साधन नहीं था तब भी यहां कभी चंदा नहीं लिया जाता था. ऐसी मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मां के दरबार में मनौती मांगने वाले कभी खाली हाथ नहीं लौटते हैं.
बखरी में लोगों के दिन की शुरुआत भी दुर्गा जी की पूजा से और समापन भी दुर्गा जी से होती है . बाद में चलकर यहां दो और दुर्गा मंदिर वैष्णवी एवं नवदुर्गा की स्थापना हुई. ये दोनों मंदिर भी अपने आप में बेमिसाल है. यूं तो यहां दस दिवसीय मेला का आयोजन होता है किन्तु तीन दिन यहां का मेला देखने लायक होता है . दुर्गापूजा में लाखों लोग यहां माता के दर्शन के लिए आते हैंं. मंदिर प्रशासन एवं अनुमंडलीय प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होते हैं. यहां का जगरना, यात्रा (जतरा) एवं रावण वध बड़ा ही मनोरम दृश्य प्रस्तुत करते हैं .
बाइट कंप्यूटर्स संजय कुमार िसंह का कहना है िक यहां के लोग चाहे विदेश में ही क्यों न रहते हों , दुर्गापूजा में अवश्य घर आते हैं. यहां के पंडाल, गेट, सजावट और सांस्कृतिक कार्यक्रम विश्वस्तरीय होते हैं. मैं बेगूसराय एवं आसपास के गांवों में रहनेवाले अपने तमाम छात्रों, अभिभावकों, फेसबुक मित्रों, व्हाट्सअप मित्रों को दुर्गापूजा में बखरी आमंत्रित करता हूं. सात दिनों तक मैं भी वहीं रहता हूं.

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