बेगूसराय (नगर) : स्वास्थ्य के क्षेत्र में पटना के बाद बेगूसराय का स्थान माना जाता है. बड़े-बड़े हॉस्पिटलों व क्लिनिकों के संचालन से जिले के लोगों को भले ही इलाज के लिए बाहर जाने से मुक्ति मिल गयी हो लेकिन जिले में संचालित कई क्लिनिकों में मानक को ताक पर रख कर मरीजों के जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.
इसी का नतीजा है कि आये दिन क्लिनिक संचालकों का रोगी और उनके परिजनों का कोपभाजन बनना पड़ रहा है. जिले के विभिन्न क्लिनिकों में इन दिनों मानक को ताक पर रख कर प्रसव पीड़ा कराने का खेल चल रहा है. इसमें पैसे कमाने की होड़ में मरीजों की अनदेखी कर उन्हें असमय ही मौत के मुंह में ढकेला जा रहा है.ट्रेंड पारा मेडिकल स्टाफ की है कमीअधिसंख्य क्लिनिकों में ट्रेंड पारा मेडिकल स्टाप की कमी है. क्लिनिक में अप्रशिक्षित स्टाप को रख कर ही उससे काम लिया जाता है.
नतीजा होता है कि गंभीर मरीज की जान खतरे में हो जाती है. सबसे अधिक परेशानी इस बात को लेकर विभिन्न क्लिनिकों में प्रतिदिन प्रसव आनेवाले मरीजों व उनके परिजनों के साथ कुशल व्यवहार का अभाव दिखायी पड़ता है. इसके चलते क्लिनिक पहुंचने वाले मरीजों व उनके परिजनों को बेवजह स्टाफ के साथ उलझना पड़ता है.
पैसे कमाने की होड़ में क्लिनिक में वैसे मरीजों को भी भरती कर लिया जाता है, जो काफी गंभीर मरीज होते हैं. बाद में वैसे मरीज की ही जान खतरे में आ जाता है. प्रसव के लिए आनेवाले सामान्य मरीज का भी कर दिया जाता है ऑपरेशनप्रसव पीड़िता जब ऐसे क्लिनिकों में पहुंचती हैं, तो सामान्य प्रसव होनेवाली पीड़िता को भी स्टाफ व चिकित्सकों के द्वारा ऑपरेशन कराने की सलाह ही नहीं दी जाती है वरन वैसे मरीजों व परिजनों को खतरनाक स्थिति बता कर उसे ऑपरेशन कराने के लिए मजबूर किया जाता है.
इसका कारण है कि सामान्य प्रसव कराने के बजाय ऑपरेशन के द्वारा कराये जानेवाले प्रसव में क्लिनिकों को काफी फायदा है. ऑपरेशन के माध्यम से प्रसव कराने के बाद एक मरीज को 15 से 20 हजार रुपया ऐसे क्लिनिकों में वहन करना पड़ता है. इससे भी अधिक ताज्जुब की बात यह है कि ऑपरेशन के नाम पर पूर्व में ही ऐसे क्लिनिकों में मोटी रकम जमा करा लिया जाता है.
जो लोग पैसे के अभाव में तुरंत राशि नहीं जमा कर पाते हैं, वैसे मरीजों की जान खतरे में आ जाती है. गत दिनों भी शहर में कुछ इसी तरह की घटना हुई. ऑपरेशन के दौरान क्लिनिक में प्रसव पीड़िता के परिजन से 50 हजार रुपया जमा कराने को कहा. इसमें विलंब होने पर प्रसव पीड़िता बीएसएफ की महिला जवान की मौत हो गयी थी.
जमीन पर नहीं लागू हो पाया है क्लिनिक एक्टबिहार में क्लिनिक संबंधी एक्ट लागू है लेकिन यह जमीन पर नहीं उतर पाया है. नतीजा है कि जिले में क्लिनिक पर न ही कोई नियंत्रण है और न ही स्वास्थ्य विभाग एवं जिला प्रशासन इसकी सुधि ले पाती है. नतीजा है कि प्रतिदिन इस तरह का क्लिनिक खुल रहा है.
जानकारी के अभाव में मरीज भरती हो रहे हैं और उनके जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. कैसी होनी चाहिए प्रसव व्यवस्थाकिसी भी क्लिनिक में प्रसव के दौरान उसके मानक का होना काफी जरूरी है, ताकि आनेवाले मरीजों को किसी प्रकार की कठिनाइयों का सामना न करना पड़े.
-स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ या योग्य महिला चिकित्सक का होना जरूरी-क्लिनिक में हो ट्रेंड पारा मेडिकल स्टाफ-मरीज गंभीर हो तो उसे अविलंब विशेषज्ञ के पास ले जाने की दें सलाह- आनेवाले मरीजों व उनके परिजनों के साथ करें मानवतावादी व्यवहार-आनेवाले गंभीर मरीज की जान बचाना सर्वोच्च प्राथमिकता- प्रसव पीड़िता का अगर ऑपरेशन करना संभव हो तो पहले ही परिजन को दें जानकारी-गंभीर प्रसव पीड़िता को अगर विशेषज्ञ के पास भेजते हैं, तो फोन कर मरीज के बारे में दें जानकारीक्या कहते हैं
अध्यक्षकिसी भी क्लिनिक के संचालन में मानक का होना बहुत ही जरूरी है. लीगल काम करनेवालों को ही आइएमए का सपोर्ट मिलेगा. इललीगल कार्य को आइएमए किसी भी कीमत में बरदाश्त नहीं करेगा.
आइएमए बहुत जल्द इस विषय को लेकर बैठक करने जा रहा है, जिसमें नये चिकित्सकों एवं क्लिनिक चलानेवालों को इस संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी जायेगी.डॉ विनय कुमारअध्यक्षआइएमए, बेगूसराय