बलिया (बेगूसराय) : एक तरफ जहां अनुमंडल क्षेत्र के एक दर्जन से ज्यादा पंचायतों के 50 हजार से ज्यादा लोग डेढ़ माह से गंगा के पानी से घिरे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ लगातार गंगा के पानी में वृद्धि से गोदरगामा बांध पर खतरा बढ़ता ही जा रहा है. जल संसाधन विभाग के लोगों ने इस बांध को बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी है. इन दिनों बांध टूटने की अफवाह से अनुमंडल क्षेत्र के लोगों में भाग-दौड़ की स्थिति बनी हुई है. सामाजिक कार्यकर्ता सह अधिवक्ता कौशल किशोर यादव ने सभी राजनैतिक दलों के नेताओं तथा सरकार से अपील की है कि 1978 के बाद इस 36 वर्ष में बाढ़ की स्थिति पैदा नहीं हुई थी. इस कारण लोगों ने अपना घर नदी से लेकर सड़क की बगल में बना लिया है. अगर बांध टूटता है, तो भारी तबाही हो सकती है.
महीना भर से नहीं बना खाना
तेघड़़ा (बेगूसराय) त्न प्रखंड के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के लोगों का हाल बेहाल है. पानी में रहते-रहते लोगों के पांव सूज गये हैं. पीड़ितों के लिए दवा का इंतजाम नहीं है. कई घरों में महीना भर से खाना नहीं बना है. लोग चूड़ा, शक्कर, सत्तू का सेवन कर दिन काट रहे हैं. बाहर आने-जाने में अपार कष्ट का सामना करना पड़ता हैं. पर्याप्त नौकाओं की व्यवस्था नहीं की गयी है. एक माह से सैकड़ों परिवार पानी में रह कर जीवन गुजार रहे हैं. अब भी स्थिति भयावह है. भोजन, ईंधन और पशुओं के लिए चारे का संकट उत्पन्न हो गया है. शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है. मजदूरों को आर्थिक परेशानी से जूझना पड़ रहा है.
संचालित हो रहा है शिविर
बेगूसराय (नगर) त्न मटिहानी प्रखंड कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुबोध कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि प्रखंड में राहत शिविर सरकार की ओर से ही नहीं, वरन सरकारी दल के कार्यकर्ताओं द्वारा संचालित है. श्री कुमार ने कहा कि रामदीरी चार से लेकर गोरगामा तक कुल सात राहत शिविरों में से एक-दो को छोड़ कर किसी भी राहत शिविर में प्रतिनियुक्त कर्मचारी का उपस्थित नहीं रहना इस बात को दरसाता है कि जिले से लेकर अंचल प्रशासन ने बाढ़पीड़ितों को सरकारी दल के कार्यकर्ताओं के रहमोकरम पर छोड़ दिया है.