कई थानों को नहीं है अपना भवन
बेगूसराय : सरकार थानों को आधुनिकीकरण कर संसाधनों की कमी नहीं होने की लाख दावा कर ले, लेकिन आज भी कई प्रकार की समस्याओं से जिले के विभिन्न थाने एवं ओपी की पुलिस को जूझना पड़ रहा है. जिले में 21 थाने व 13 ओपी स्थापित हैं.
लेकिन कई ऐसे थाने एवं ओपी हैं, जो कई संसाधनों की कमी से असुरक्षित महसूस किये जा रहे है.थानों एवं ओपी में खुद का सरकारी भवन नहीं होना अपनी स्थिति को बयां कर रहा है. राज्य सरकार ने थानों में ऑनलाइन आवेदन लेने का आदेश तो जारी कर दिया गया. लेकिन आज भी कई ऐसे थाने है जो कई सुविधाओं के लिए तरस रही है.
दो राष्ट्रीय राजमार्ग के संगम पर है जीरोमाइल ओपी : जीरोमाइल ओपी कई मायने में अपने आप में महत्व रखता है. जीरोमाइल ओपी के ऊपर बरौनी खाद कारखाना, पपरौर, एचपीसीएल, उवर्रक नगर एवं बीपीसीएल के मार्केटिंग टर्मिनल समेत कई पंचायतों में रहने वालों लोगों के सुरक्षा की जिम्मेवारी है.
जीरोमाइल ओपी को खुद का भवन नहीं होने के कारण पुलिस कर्मी के रहने-सोने में काफी परेशानी होती है. जीरोमाइल थाने की सीमा कई थानों से लगी है. इसलिए इस थाने की महत्ता कुछ अधिक ही है.
ओपी में न तो सरकारी टेलीफोन और न ही मोबाइल : जिले के 13 ओपी को सरकारी टेलीफोन एवं रेगुलर मोबाइल फोन नहीं रहने के कारण क्षेत्र के लोगों को पुलिस से संपर्क करने में काफी दिक्कत होती है. ओपी प्रभारी बदलने के साथ ही ओपी का मोबाइल नंबर भी बदल जाता है.
वर्षों से खराब पड़ा है नगर थाने का सरकारी टेलीफोन :जिले की शान कहे जाने वाले नगर थाने कई मायने में अहम है. बावजूद पदाधिकारियों की देखरेख के बिना कई जरु री काम के चीज बंद पड़े हैं.
नगर थाने में लगी सरकारी फोन पूरी तरह से ठप हो चुका है. नगर थाना में रखे दो मैन पैक की बैट्री खराब रहने के कारण हमेशा ही चार्जिंग मूड में लगा रहता है. जिले में सभी थानों में सरकार की तरफ से सरकारी टेलीफोन उपलब्ध कराय गया था. सरकारी टेलीफोन की देखरेख नहीं होने के कारण फोन बंद पड़ चुके है. अगर किसी थाने को टेलीफोन चालू अवस्था में है भी तो फोन उठाने वाला कोई नहीं है.
छत के अभाव में नगर थाना परिसर में सड़ रहे जब्त वाहन :जिला पुलिस के द्वारा जब्त की गाड़ी को छत के अभाव में थाना परिसर में ही लगा दिया जाता है. इस स्थिति में कई नयी एवं महंगी गाड़ियां सड़ कर बर्बाद हो जाती है. नगर थाना के द्वारा जब्त वाहन रखरखाव के कारण दिन प्रतिदिन बर्बाद होता जा रहा है.
तंबु में चलता है नीमाचांदपुरा थाना : शहर से 16 किलोमीटर दूर नीमाचंदपुरा थाना नौ गांवों के लोगों के लिए बनाया गया. नीमाचंदपुरा थाना के पास खुद की जमीन नहीं है. थाना की पुरानी भवन काफी जर्जर अवस्था में है.
आलम यह है कि तंबु बनाकर पुलिस कर्मी रहने को विवश हैं. सड़क की ऊंचाई से करीब चार फुट नीचे नीमाचांदपुरा थाना बरसात के समय में डूब जाता है.थाना परिसर में बरसात के समय में ठेहुना तक पानी जमा रहता है. बांसवाड़ी क्षेत्र होने के कारण बरसात के समय में थाना परिसर में जहरीला सांप नजर आते रहता है. हाल ही में एक जेनरेटर मुहैया करायी गयी है. लेकिन डीजल का आवंटन नहीं मिलने से उक्त जेनरेटर नकारा साबित हो रहा है.
सुरक्षा के दृष्टिकोण से थाने को हाइटेक बनाने की जरूरत है: दो साल पूर्व ही छापेमारी के दौरान नीमाचंदपुरा थाना की पुलिस को नक्सली से मुठभेड़ हो गयी थी. जिसमें थाना में तैनात एक सैफ के जवान की मौत हो गयी थी. साथ ही तत्कालीन थानाध्यक्ष अमित कुमार को गंभीर चोटें भी आयी थी.
जिला पुलिस के लिए कई समस्याएं उभर कर आ रही है. वरीय पदाधिकारी के द्वारा कार्य के निष्पादन के लिए आदेश तो दे दिया जाता है. लेकिन संसाधनों की कमी के कारण पदाधिकारी के आदेशों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है. जिसे कोई पूछने वाला नहीं है.
बखरी थाना के अंतर्गत परिहारा ओपी उप स्वास्थ्य केंद्र के भवन में चलाया जा रहा है. करीब 35 हजार लोगों की जनसंख्या वाला परिहारा ओपी पुलिस कर्मी की कमी के कारण सुनसान पड़ा है.
मंसूरचक थाना खादी ग्रामोद्योग भवन में चलता है. मंसूरचक थाने की स्थापना 1982 में की गयी थी. तब से ही किराये के मकान में इस थाना का संचालन किया जा रहा है. सीमावर्ती क्षेत्र के कारण दूसरे जिले से भी बदमाशों का आना जाना लगा रहता है. मंसूरचक थाने के लिए जमीन भी आवंटित की जा चुकी है. लेकिन भवन निर्माण का कार्य काफी धीमी गति से हो रहा है.