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एंबुलेंस सेवा से वंचित हुए मरीज
लचर व्यवस्था के भरोसे मरीज. स्वास्थ्य समिति व विभाग ने खड़े किये हाथ राज्य सरकार के अनुबंधित फर्म ने एंबुलेंस सेवा देने से मना कर दिया है. ऐसे में रोगी कल्याण समिति किसी प्रकार यह सेवा दे रही है. लेकिन मरीजों को बेहतर सुविधा नहीं मिल रही है. मनोज उपाध्याय, बांका बेहतर सेवा मुहैया कराने […]
लचर व्यवस्था के भरोसे मरीज. स्वास्थ्य समिति व विभाग ने खड़े किये हाथ
राज्य सरकार के अनुबंधित फर्म ने एंबुलेंस सेवा देने से मना कर दिया है. ऐसे में रोगी कल्याण समिति किसी प्रकार यह सेवा दे रही है. लेकिन मरीजों को बेहतर सुविधा नहीं मिल रही है.
मनोज उपाध्याय, बांका
बेहतर सेवा मुहैया कराने की अपनी तमाम दलीलों के बीच स्वास्थ्य विभाग बांका जिले में मरीजों को एंबुलेंस सेवाएं उपलब्ध कराने में ही विफल साबित हो रहा है. बांका जिले में एंबुलेंस सेवाएं भगवान भरोसे हैं. राज्य सरकार से अनुबंधित फर्म द्वारा एंबुलेंस सेवा प्रदान करने में असमर्थतता व्यक्त करने के बाद यह स्थिति उत्पन्न हुई है. फिलहाल रोगी कल्याण समितियों द्वारा अपने बूते जैसे तैसे आपात स्थितियों के लिए एंबुलेंस की सेवा बहाल रखी है.
अनुबंधित फर्म द्वारा एंबुलेंस सेवाएं बंद कर दिये जाने की वजह से जिले में इनसे जुड़े ढ़ाई दर्जन से ज्यादा कर्मी बेरोजगार हो गये हैं. मरीजों को परेशानी हो रही है. जिला स्वास्थ्य समिति एवं विभागीय अधिकारियों ने इस मामले में अपने हाथ खड़े कर दिये हैं. उधर सरकारी स्तर पर इस दिशा में अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिये जाने से जिले में एंबुलेंस सेवाओं की पुनर्बहाली की तत्काल कोई उम्मीद नहीं दिख रही. जिला स्वास्थ्य समिति के अधिकारियों ने भी इस मामले में निराशा व्यक्त की है.
जेवीओवी के साथ था अनुबंध: बांका जिले में 102, 108 तथा 1099 एंबुलेंस सेवाएं अनुबंधित फर्म में बंद कर दी है.102 एंबुलेंस सेवाएं बांका जिले के सभी 11 प्रखंडों में एक साथ संचालित हो रही थी. इसके लिए जैन वीडियो ऑन व्हील्स के साथ राज्य सरकार का अनुबंध था. अनुबंध के तहत फर्म को चालक तथा आपातकालीन मेडिकल तकनीक, डीजल तथा रख – रखाव की जिम्मेदारी वहन करनी थी. इसके लिए स्वास्थ्य समिति भुगतान करती थी. एंबुलेंस वाहन स्वास्थ्य समिति की ओर से उपलब्ध कराया गया था.
भुगतान के लिए फर्म में तोड़ा अनुबंध : राज्य स्तर पर भुगतान प्रक्रिया में जटिलता की वजह से अनुबंधित फर्म की बहुत बड़ी राशि स्वास्थ्य समिति के पास बकाया हो गयी. फर्म में इसकी मांग की तो समिति ने अंकेक्षण की आपत्ति पर इसके भुगतान में असमर्थतता व्यक्त की.
फर्म ने इस पर अपनी सेवाएं बंद कर दी. फर्म अपनी बकाया राशि भुगतान के लिए हाई कोर्ट चला गया. हाई कोर्ट ने यह मामला विचाराधीन है. इस बीच राज्य स्वास्थ्य समिति ने एंबुलेंस सेवाएं बहाल करने के लिए पुन: टेंडर की प्रक्रिया आरंभ की. लेकिन हाई कोर्ट ने इस पर यहकहते हुए रोक लगा दी कि जब तक पहले वाला मामला क्लियर नहीं हो जाता तब तक आगे की प्रक्रिया स्थगित रहेगी.
एंबुलेंस सेवाएं बंद हो जाने की वजह से जिले में करीब 30 कर्मी बेरोजगार हो गये हैं. ये कर्मी अनुबंधित फर्म के अंतर्गत काम करते थे. फिलहाल रोगी कल्याण समिति इनसे दैनिक भत्ते पर काम ले रही है. काम भी सभी कर्मियों को नहीं मिल पा रहा है. दरअसल पहले सिर्फ 102 एंबुलेंस सेवा में तीन पालियों में इन आपातकालीन मेडिकल तकनीकी दस्ते की प्रतिनियुक्ति थी. इनमें चालक भी शामिल थे. अब स्वास्थ्य समिति का कहना है कि आगे टेंडर पर रोक है. इन कर्मियों के नियोजन के लिए पद सृजन तथा रोस्टर क्लियरेंस करना होगा जो तकनीकी कारणों से फिलहाल संभव नहीं है.
सुविधा से वंचित जिले के मरीज
जिले में 102 एंबुलेंस सेवाओं से होने वाले लाभ से फिलहाल जिले के लोग वंचित हैं. इस सेवा के तहत गर्भवती माताओं को, बीमार शिशुओं को, बुजुर्गों को, अज्ञात मरीजों तथा दुर्घटना आदि की स्थिति में घायलों को अस्पताल तक लाने तथा उन्हें उनके घर पहुंचाने के लिए मुफ्त सेवाएं उपलब्ध थी.
ये सेवाएं अभी बंद है. अन्य मरीजों के लए भी यह सेवा काफी रियायती थी. अन्य मरीजों के लिए इस सेवा में एकतरफा 9 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से किराया देय था. मार्च 2016 में इस सेवा के तहत 14 एंबुलेंसों से जिले में 1052 गर्भवती माताओं, 28 नवजात शिशुओं, 6 वरिष्ठ नागरिकों तथा 246 अन्य मरीजों को लाभ पहुंचाया गया.
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