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सराहनीय. इंटर व मैट्रिक की परीक्षा में प्रशासन की सख्ती का दिखा असर

परीक्षा में फर्जीवाड़े पर लगा अंकुश परीक्षाओं में करीब दो दशक का कोढ़ इस बार बांका में मिटता नजर आया. जिले में लोग इसे यहां की शिक्षा प्रणाली के लिए एक शुभ संकेत के रूप में देख रहे हैं. बांका : एक माह के भीतर जिले में हुई दो प्रमुख परीक्षाओं में प्रशासन की सख्ती […]

परीक्षा में फर्जीवाड़े पर लगा अंकुश

परीक्षाओं में करीब दो दशक का कोढ़ इस बार बांका में मिटता नजर आया. जिले में लोग इसे यहां की शिक्षा प्रणाली के लिए एक शुभ संकेत के रूप में देख रहे हैं.
बांका : एक माह के भीतर जिले में हुई दो प्रमुख परीक्षाओं में प्रशासन की सख्ती काम आयी. नकलचियों और शिक्षा माफियाओं के होश गुम हुए. माफिया तत्वों ने जहां अपनी सक्रियता समेट ली वहीं नकल के भरोसे परीक्षा पास करने की अपनी मुहिम में सामने रोड़ा देख कई ने खुद को परीक्षा से ही अलग कर लिया. इंटरमीडिएट की परीक्षा के बाद मैट्रिक की परीक्षा में भी बड़े पैमाने पर परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे.
इंटरमीडिएट की परीक्षा में जहां 16 हजार में से करीब 22 सौ परीक्षार्थी परीक्षा से अनुपस्थित रहे. वहीं मैट्रिक में 27 हजार परीक्षार्थियों में से ढाई हजार परीक्षार्थियों ने परीक्षा में भाग नहीं लिया. परीक्षा से अनुपस्थित रहने वाले ज्यादातर वैसे परीक्षार्थी थे, जो जिले से बाहर के थे. और शिक्षा माफियाओं से गठजोड़ कर यहां के विद्यालयों से फॉर्म भरकर जैसे-तैसे परीक्षा पास करने की जुगत में थे. इस वर्ष मैट्रिक की परीक्षा में जिले के विभिन्न विद्यालयों से 27 हजार से ज्यादा परीक्षार्थियों ने फॉर्म भरा था, लेकिन 2521 परीक्षार्थी परीक्षा से अनुपस्थित रहे.
परीक्षार्थियों की अनुपस्थिति का सिलसिला परीक्षा के पहले ही दिन से आरंभ हो गया था जो अंतिम दिन तक कायम रहा. पहले दिन 383 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल नहीं हुए. परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरा लगाये जाने का यह शायद साइड इफैक्ट था. दूसरे दिन 392, तीसरे दिन 401, चौथे दिन 414, पांचवें दिन 417, छठे दिन 423 एवं अंतिम दिन 81 परीक्षार्थी परीक्षा से अनुपस्थित रहे. बहुत कुछ यही सिलसिला इंटरमीडिएट की परीक्षा में भी कायम रहा था.
इस वर्ष इंटर व मैट्रिक की परीक्षाओं में कदाचारियों की एक न चली. दोनों परीक्षाओं में करीब दर्जन भर ही कदाचारी छात्र-छात्रा नकल करते पकड़े गये. मतलब साफ है कि ज्यादातर परीक्षार्थियों ने प्रशासनिक सख्ती, सीसीटीवी कैमरे के खौफ से नकल करने की हिम्मत ही नहीं जुटायी. मैट्रिक की परीक्षा के दौरान 15, 16 एवं 17 मार्च को लगातार तीन दिनों तक जिले के विभिन्न केंद्रों से तीन फर्जी परीक्षार्थी धराये. अकेले अमरपुर प्रखंड के शाहपुर स्थित सीएमएस हाई स्कूल केंद्र से दो दिनों तक लगातार दो परीक्षार्थी धराये. इंटर की परीक्षा में भी जिले के विभिन्न केंद्रों से तीन फर्जी परीक्षार्थी गिरफ्तार किये गये थे.
वे दूसरे जिलों के मुन्ना भाई टाइप परीक्षार्थियों के बदले मामूली रकम के लिए यह जोखिम उठा रहे थे. उनकी गिरफ्तारी से प्रशासन ने इस रहस्य से भी पर्दा उठाया कि इस जिले में बड़े पैमाने पर दूसरे जिलों के परीक्षार्थी जैसे-तैसे परीक्षा पास होने के लिए यहां के बहुतेरे विद्यालयों से फॉर्म भरते हैं. इन सबके पीछे जिले में सक्रिय शिक्षा माफियाओं का हाथ होता है.
चार वर्ष पूर्व रैकेट का हुआ था परदाफाश
करीब चार वर्ष पूर्व भी इस जिले में सक्रिय शिक्षा माफियाओं के एक ऐसे ही बड़े रैकेट का परदाफाश प्रशासन ने किया था. इसके तार राज्य के विभिन्न जिलों से होते हुए बांका जिले के धोरैया एवं बौंसी प्रखंडों से जुड़े थे. रैकेट का मुख्यालय धोरैया था और इसका संचालक शिक्षा विभाग में ही कार्यरत एक मुलाजिम था.
चार वर्षों बाद पुन: इस बार प्रशासन की चुस्ती और कदाचार के विरुद्ध संकल्प ने शिक्षा माफियाओं द्वारा चलाये जा रहे परीक्षा में फर्जीवाड़े के व्यापार पर विराम लगा दी. जिले की शिक्षा और परीक्षा प्रणाली को लेकर यह स्थिति एक शुभ संकेत के रूप में देखी जा रही है. प्रशासन की गतिशीलता से परीक्षार्थी और अभिभावक दोनों के भविष्य को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है.

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