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पीड़ित खा रहा है दर दर की ठोकर, नहीं मिल रहा है न्याय

बांका : सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए जीविका द्वारा क्षेत्र में क्रियान्वयन किया गया है. इससे महिलाएं आत्मनिर्भर भी हो रही हैं. लेकिन विभागीय कलह योजना को धरातल पर उतारने में बाधक साबित हो रहा है. मामला थाने तक जा पहुंचा है. लेकिन आज तक मामला दर्ज कर […]

बांका : सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए जीविका द्वारा क्षेत्र में क्रियान्वयन किया गया है. इससे महिलाएं आत्मनिर्भर भी हो रही हैं. लेकिन विभागीय कलह योजना को धरातल पर उतारने में बाधक साबित हो रहा है. मामला थाने तक जा पहुंचा है. लेकिन आज तक मामला दर्ज कर पदाधिकारी पर काेई कार्रवाई नहीं की गयी है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार, कंचन कुमारी द्वारा कार्य क्षेत्र में नहीं सहयोग करने, अभद्र व्यवहार व अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने सहित जातिवाद सूचक व जान माल की क्षति करने के संबंध में उन्होंने जिला परियोजना प्रबंधक जीविका को सूचना प्रेषित की है.

वहीं अनुसेवक के पद पर कार्यरत पंकज रजक ने गौरव कुमार मिश्र जीविका कार्यालय सहायक द्वारा गाली व गलौज, मारपीट करने जाति सूचक शब्द कह कर मारने को लेकर एससीएसटी थाने में 17 अक्तूबर को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगायी थी. मामला प्रकाश में आने पर एससीएसटी थानाध्यक्ष ने आगे आकर न्याय का भरोसा दिया. पीड़ित से पुन: आवेदन भी लिया.

लेकिन एससीएसटी थाना के सूत्रों के अनुसार, अब तक प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया लंबित है. पीड़ित आवेदनकर्ता ने बताया कि साक्ष्य के आधार पर मैंने न्याय की गुहार लगायी. लेकिन न्याय के बजाय आज तक हमें दर-दर की ठोकर खानी पड़ रही है.

जबकि आवेदन में साफ शब्दों में कहा गया कि जीविका परियोजना द्वारा अनुसेवक के पद पर प्रखंड कार्यालय में एससीएसटी के कर्मी बहाल हैं. लेकिन कार्यालय में उन्हें नीचा दिखाया जा रहा है. इसका विरोध करने पर उसे नौकरी से निकालने की सहित थाने में शिकायत दर्ज कराने पर उसे जान माल की क्षति पहुंचाने की धमकी दी जा रही है.

इससे परेशान कर्मी व महिला परेशान हैं. जबकि थाने में इसकी शिकायत पूर्व में ही दे दी गयी है. लेकिन पुलिस प्रशासन की उदासीनता से आज तक इस मामले पर कोई सटीक कार्रवाई नहीं की गयी है.योजना संचालन में हो रहा है बाधाकई दिनों से जीविका कार्यालय में ताला जड़ा है. इससे जुड़ी ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं प्रतिदिन आवश्यक कार्य हेतु कार्यालय पहुंचती हैं,

लेकिन कार्यालय बंद रहने के कारण वो वापस लौट जाती हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार, जीविका कर्मी व पदाधिकारी के बीच हो रहे आपसी विवाद के कारण सारे कार्य को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. सूत्रों की मानें तो मूंछ की लड़ाई कार्यालय में चल रही है. इसी का नतीजा है कि आज भी कार्यालय में ताला लटक रहा है.कहती हैं थानाध्यक्ष दूसरे कार्य में व्यस्त रहने, मीटिंग में रहने की वजह से मामले की जांच नहीं हो पायी है. यशोदा कुमारी, थानाध्यक्ष, एससीएसटी, बांका

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